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अतिक्रमण की भेंट चढ़े कोटा के 5 रियासत कालीन तालाब, जिम्मेदारों की अनदेखी से हुई दुर्दशा - छत्रपुरा तालाब

राजस्थान सरकार ने तालाबों ओर नदियों को बचाने के लिए कई अभियान चलाए लेकिन कोटा शहर में रियासत कालीन तालाब अपनी व्यथा पर आंसू बहा रहे हैं. अतिक्रमणकारियों ने इनका अस्तित्व ही खत्म कर दिया है. शहर में करीब 5 रियासतकालीन तालाब में से अब मात्र एक तालाब में ही पानी भरा रहता है. शेष देखरेख के अभाव में अतिक्रमियों की भेंट चढ़ गए.

रियासित कालीन तालाब चढ़े अतिक्रमियों की भेंट
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Published : Jun 26, 2019, 5:12 PM IST

कोटा. शहर में रियासत कालीन करीब पांच तालाब थे, जो शहर में पानी की कमी को दूर करते थे. इसमे मुख्यत: तालाब अतिक्रमियों की भेंट चढ़ गए. वहीं लोगो ने बताया कि विभाग की देखरेख के अभाव में इन तालाबो की यह दुर्दशा हुई है. अगर समय रहते इनकी ओर ध्यान दिया जाता तो शहर का पर्यावरण सन्तुलित रहता. अब खामियाजा आज भुगतना पड़ रहा है. शहर में मुख्य 5 तालाब थे जो शहर के जल स्तर को संतुलित कर रखते थे लेकिन सरकार के नुमाइंदों ने इनका अस्तित्व ही खत्म कर दिया.

रियासित कालीन तालाब चढ़े अतिक्रमियों की भेंट

शहर के प्रमुख 5 तालाबों में से 4 का अस्तित्व ही खत्म हो गया है.
1. बंधा धर्मपुरा तालाब का पानी शहर को बाढ़ से बचाने के लिए डायवर्जन कर सीधा चम्बल नदी में डाल दिया. इससे आस पास के क्षेत्र में पानी की किल्लत हो गई. इस तालाब के आस पास क्षेत्र में ज्यादातर पशुपालक रहते है. इस डायवर्जन से तालाब में पानी नहीं रुकने से क्षेत्र में पानी की किल्लत हो गई वहीं भूमि रिचार्ज नही होने से इस क्षेत्र का जलस्तर काफी हद तक नीचे चला गया. वहीं अगर ट्यूबवेल खोदे तो 700 से 800 फिट पर भी पानी नहीं निकलता. तालाब खाली रहने से अतिक्रमियों ने अपने पैर पसार लिये हैं.

2. अनंतपुरा तालाब में प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखियों के चलते पूरे तालाब में कब्जा कर लिया गया है. इस तालाब में अतिक्रमण से पानी की भराव क्षमता खत्म होने से पर्यावरण पर भी असर पड़ा है. वहीं अगर क्षेत्र में एक घंटा तेज बारिश आने पर तालाब में बने मकान जल मग्न हो जाते है. जिनको नगर निगम और बचाव दल रेस्क्यू कर नाव व ट्यूब में बैठाकर सुरक्षित जगह पहुंचाते है. सरकार की विडंबना देखो की इसमे बसे लोगों को भूखंडों के पट्टे भी जारी कर दिए हैं.

3. गणेश तालाब पर प्रशासन ने हाउसिंग बोर्ड को जमीन आवंटन कर आलीशान मकान बना दिये है और यह तालाब तो पहले से ही सरकारी फाइलो में से गायब हो चुका है. अधिकारियों को यह तक नहीं पता कि इस जगह पर कोई तालाब भी था कि नहीं. आज इस तालाब पर आलीशान मकान बने हुए हैं.

4. छत्रपुरा तालाब यहां के स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह तालाब रियासत कालीन तालाब है इसमें कई जगह आज भी घांट बने हुए है जिनमे अच्छे नकासी तरासी हुई है. यही इसके पास घुड़साल बनी हुई थी जो आज इसमे सरकारी ऑफिस चल रहे हैं. इस तालाब की बात करे तो इसमें भी अतिक्रमियों के चलते तालाब का अस्तित्व ही खत्म हो गया. लोगों ने इसकी दीवार तोड़ दी और सीढ़ियों तक नामो निशान मिट गया. वहीं इसका जल स्तर सुखने से पानी की किल्लत बढ़ गई और बारिश में पानी भरने से मकान जल मग्न हो जाते है. पिछले साल इसमे बाढ़ आने से लोगो को नगर निगम की रेस्क्यू टीम ने लोगों को बाहर निकाला बाद में दीवार तोड़ पानी की निकासी की गई. इसके बावजूद प्रशासन ने लोगो को पट्टे तक जारी कर दिये हैं.

5. किशोर सागर तालाब के स्वरूप को बचाने के लिए प्रशासन ने हरसम्भव प्रयास किये और इसको चारो तरफ से प्रयटकों को लुभाने के लिए इसके पास सेवन वंडर्स बना दिया, लेकिन प्रशासन इसका सीपेज रोकने में नाकामयाब रहा. इसमें चम्बल से पानी भरा जाता है, जो लोगों का आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

वहीं सम्बंधित विभागों ने शहर में बने तालाब अनदेखी के चलते अपनी व्यथा पर आंसू बहा रहे हैं. इनकी अनदेखी से आज शहर के पर्यावरण पर भी असर देखने को मिला है. प्रशासनिक अधिकारी भी इस जिम्मेदारियों को एक दूसरे पर डाल रहे है.

कोटा. शहर में रियासत कालीन करीब पांच तालाब थे, जो शहर में पानी की कमी को दूर करते थे. इसमे मुख्यत: तालाब अतिक्रमियों की भेंट चढ़ गए. वहीं लोगो ने बताया कि विभाग की देखरेख के अभाव में इन तालाबो की यह दुर्दशा हुई है. अगर समय रहते इनकी ओर ध्यान दिया जाता तो शहर का पर्यावरण सन्तुलित रहता. अब खामियाजा आज भुगतना पड़ रहा है. शहर में मुख्य 5 तालाब थे जो शहर के जल स्तर को संतुलित कर रखते थे लेकिन सरकार के नुमाइंदों ने इनका अस्तित्व ही खत्म कर दिया.

रियासित कालीन तालाब चढ़े अतिक्रमियों की भेंट

शहर के प्रमुख 5 तालाबों में से 4 का अस्तित्व ही खत्म हो गया है.
1. बंधा धर्मपुरा तालाब का पानी शहर को बाढ़ से बचाने के लिए डायवर्जन कर सीधा चम्बल नदी में डाल दिया. इससे आस पास के क्षेत्र में पानी की किल्लत हो गई. इस तालाब के आस पास क्षेत्र में ज्यादातर पशुपालक रहते है. इस डायवर्जन से तालाब में पानी नहीं रुकने से क्षेत्र में पानी की किल्लत हो गई वहीं भूमि रिचार्ज नही होने से इस क्षेत्र का जलस्तर काफी हद तक नीचे चला गया. वहीं अगर ट्यूबवेल खोदे तो 700 से 800 फिट पर भी पानी नहीं निकलता. तालाब खाली रहने से अतिक्रमियों ने अपने पैर पसार लिये हैं.

2. अनंतपुरा तालाब में प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखियों के चलते पूरे तालाब में कब्जा कर लिया गया है. इस तालाब में अतिक्रमण से पानी की भराव क्षमता खत्म होने से पर्यावरण पर भी असर पड़ा है. वहीं अगर क्षेत्र में एक घंटा तेज बारिश आने पर तालाब में बने मकान जल मग्न हो जाते है. जिनको नगर निगम और बचाव दल रेस्क्यू कर नाव व ट्यूब में बैठाकर सुरक्षित जगह पहुंचाते है. सरकार की विडंबना देखो की इसमे बसे लोगों को भूखंडों के पट्टे भी जारी कर दिए हैं.

3. गणेश तालाब पर प्रशासन ने हाउसिंग बोर्ड को जमीन आवंटन कर आलीशान मकान बना दिये है और यह तालाब तो पहले से ही सरकारी फाइलो में से गायब हो चुका है. अधिकारियों को यह तक नहीं पता कि इस जगह पर कोई तालाब भी था कि नहीं. आज इस तालाब पर आलीशान मकान बने हुए हैं.

4. छत्रपुरा तालाब यहां के स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह तालाब रियासत कालीन तालाब है इसमें कई जगह आज भी घांट बने हुए है जिनमे अच्छे नकासी तरासी हुई है. यही इसके पास घुड़साल बनी हुई थी जो आज इसमे सरकारी ऑफिस चल रहे हैं. इस तालाब की बात करे तो इसमें भी अतिक्रमियों के चलते तालाब का अस्तित्व ही खत्म हो गया. लोगों ने इसकी दीवार तोड़ दी और सीढ़ियों तक नामो निशान मिट गया. वहीं इसका जल स्तर सुखने से पानी की किल्लत बढ़ गई और बारिश में पानी भरने से मकान जल मग्न हो जाते है. पिछले साल इसमे बाढ़ आने से लोगो को नगर निगम की रेस्क्यू टीम ने लोगों को बाहर निकाला बाद में दीवार तोड़ पानी की निकासी की गई. इसके बावजूद प्रशासन ने लोगो को पट्टे तक जारी कर दिये हैं.

5. किशोर सागर तालाब के स्वरूप को बचाने के लिए प्रशासन ने हरसम्भव प्रयास किये और इसको चारो तरफ से प्रयटकों को लुभाने के लिए इसके पास सेवन वंडर्स बना दिया, लेकिन प्रशासन इसका सीपेज रोकने में नाकामयाब रहा. इसमें चम्बल से पानी भरा जाता है, जो लोगों का आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

वहीं सम्बंधित विभागों ने शहर में बने तालाब अनदेखी के चलते अपनी व्यथा पर आंसू बहा रहे हैं. इनकी अनदेखी से आज शहर के पर्यावरण पर भी असर देखने को मिला है. प्रशासनिक अधिकारी भी इस जिम्मेदारियों को एक दूसरे पर डाल रहे है.

Intro:
कोटा के रियासित कालीन तालाब, अतिक्रमियो की भेंट चढ़े।जिम्मेदार विभाग सोता रहा।
राजस्थान सरकार ने तालाबो ओर नदियों को बचाने के लिए कई अभियान चलाए लेकिन कोटा शहर में रियासित कालीन तालाब अपनी व्येता पर आंसू बहाते हुए इनका अस्तित्व ही खत्म कर दिया।शहर में करीब 5 रियासित कालीन तालाब थे।अब मात्र एक तालाब में ही पानी भरा रहता है।बाकी के देखरेख के अभाव में अतिक्रमियों की भेंट चढ़ गए।
इससे शहर का जल स्तर काफी नीचे चला गया है।असंबंधित विभागों ने इन तालाबो तो बचाने के बजाए अतिक्रमियों को मकानों के पट्टे तक बना दिये।
Body:कोटा शहर में रियासित कालीन करीब पांच तालाब थे। जो शहर में पानी की कमी को दूर करते थे।इसमे मुख्त:तालाब अतिक्रमियों की भेंट चढ़ गए। वही लोगो ने बताया कि विभागों की देखरेख के अभाव में इन तालाबो की यह दुर्दशा हुई है।अगर समय रहते इनकी ओर ध्यान देते तो आज शहर को पर्यावरण सन्तुलित रहता।जिसका खामियाजा आज भुगतना पड़ रहा है।शहर में मुख्य5तालाब है जो शहर के जल स्तर को संतुलित कर रखते थे लेकिन सरकार के नुमाइंदों ने इनका अस्तित्व ही खत्म कर दिया।
शहर में मुख्यतः5 तालाब है।जिनमे4तालाबो का अस्तित्व ही खत्म हो गया।
1.- बंधा धर्मपुरा तालाब, का पानी शहर को बाढ़ से बचाने के लिए इसका पानी डायवर्जन कर सीधा चम्बल नदी में डाल दिया।इससे आस पास के क्षेत्र में पानी की किल्लत हो गई।इस तालाब के आस पास क्षेत्र में ज्यादातर पशुपालक रहते है।इस डायवर्जन से तालाब में पानी नही रुकने से क्षेत्र में पानी की किल्लत हो गई वही भूमि रिचार्ज नही होने से इस क्षेत्र का जलस्तर काफी हद तक नीचे चला गया।वही अगर ट्यूबवेल खोदे तो 700 से800 फिट पर भी पानी नही निकलता।वही तालाब खाली रहने से अतिक्रमियों ने अपने पैर पसार लिये है।
2.-अनंतपुरा तालाब, में प्रशासनिक अधिकारियों की अंदेखियो के चलते पूरे तालाब में कब्जा कर लिया।इस तालाब में अतिक्रमण से पानी की भराव क्षमता खत्म होने से पर्यावरण पर भी असर पड़ा है।वही अगर क्षेत्र में एक घंटा तेज बारिश आने पर तालाब में बने मकान जल मग्न हो जाते है।जिनको नगर निगम और बचाव दल रेस्क्यू कर नाव व ट्यूब में बैठाकर शुरक्षित जगह पहुचाते है।और सरकार की विडंबना देखो की इसमे बसे लोगो को भूखंडों के पट्टे भी जारी कर दिए।
3.-गणेश तालाब, को प्रशासन ने हाउसिंग बोर्ड को जमीन आवंटन कर आलीशान मकान बना दिये है और यह तालाब तो पहले से ही सरकारी फाइलो में से गायब हो चुका है।अधिकारियों को यह तक नही पता कि इस जगह कोई तालाब भी था।आज इस तालाब पर आलीशान मकान बने हुए है।
4.छत्रपुरा तालाब, यहां के स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह तालाब रियासत कालीन तालाब है इसमें कई जगह आज भी घांट बने हुए है जो कि अच्छे नकासी तरासी हुई है। यही इसके पास घुड़साल बनी हुई थी जो आज इसमे सरकारी ऑफिस चल रहे हैं।इस तालाब की बात करे तो इसमें भी अतिक्रमियों के चलते तालाब का अस्तित्व ही खत्म हो गया।लोगो ने इसकी दीवार तोड़ दी और सीढ़ियों तक नामो निशान मिट गया।वही इसका जल स्तर सुखने से पानी की किल्लत बढ़ गई और बारिश में पानी भरने से मकान जल मग्न हो जाते है।पिछले साल इसमे बाढ़ आने से लोगो को नगर निगम की रेस्क्यू टीम ने लोगो को बाहर निकाला बाद में दीवार तोड़ पानी की निकासी की गई।इसके बावजूद प्रशासन ने लोगो को पट्टे तक जारी कर दिये।
5.किशोर सागर तालाब,प्रशासन ने इसके स्वरूप को बचाने के लिये हरसम्भव प्रयास किये और इसको चारो तरफ से प्रयटकों को लुभाने के लिए इसके पास सेवन वंडर्स बना दिया।लेकिन प्रशासन इसका सीपेज रोकने में नाकामयाब रहा। इसमे चम्बल से पानी भरा जाता है।जिससे लोगो का आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
Conclusion:वहीं सम्बंधित विभागों ने शहर में बने तालाब अनदेखी के चलते अपनी व्येता पर आंसू बहा रहे।इनकी अनदेखी से आज शहर के पर्यावरण पर भी असर देखने को मिला है।प्रशासनिक अधिकारी भी इस जिम्मेदारियों को एक दूसरे पर डाल रहे है।
बाईट-जीवन सैनी, स्थानिय निवासी
बाईट-रेखा राव, स्थानिय निवासी
बाईट-भवानी सिंह पालावत, सचिव यूआईटी

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