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उच्च तकनीकी से ऑपरेशनः कोटा में मरीज को बेहोश किए बिना 6 MM का चीरा लगाकर डॉक्टर ने निकाली डिस्क

कोटा के मेडिकल कॉलेज के न्यूरो सर्जरी विभाग में अत्याधुनिक तकनीक से एक मरीज की सर्जरी की गई. जिसमें मरीज का सबसे उन्नत तकनीक ट्रांसफर मीनल एंडोस्कोपिक सुचरलेस सर्जरी से केवल छह मिलीमीटर के चीरे से डिस्क को निकाल कर नस से दबाव हटाया गया.

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6 एमएम का चीरा लगाकर डॉक्टर ने निकाली डिस्क
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Published : Nov 12, 2020, 12:43 PM IST

कोटा. जिले में मेडिकल कॉलेज के न्यूरो सर्जरी विभाग में अत्याधुनिक तकनीकी से एक मरीज की सर्जरी की गई. संभवत राजस्थान के सरकारी चिकित्सालय में पहली बार ऐसा ऑपरेशन हुआ है. न्यूरो सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ.एसएन गौतम ने बताया कि हिंडोली निवासी 22 वर्षीय मरीज कालूराम का करीब 2 महीने से कमर में दर्द और दाएं पैर में दर्द की वजह से चलने फिरने में परेशानी महसूस कर रहा था.

6 एमएम का चीरा लगाकर डॉक्टर ने निकाली डिस्क

जिसके दो महीने से निरंतर इलाज के बाद भी ठीक नहीं होने पर उसने हमारे यहां दिखाया. रोगी की एमआरआई की जांच करवाने पर उसके लंबर डिस्क का खिसककर नस पर दबाव होना पाया गया. इसपर मरीज की सहमति से ऑपरेशन का निर्णय किया गया.

पढ़ें: पीलूपुरा रेलवे ट्रैक पर पहुंचकर विजय बैंसला ने की आंदोलन समाप्ति की घोषणा, घरों को लौटे गुर्जर

मरीज का सबसे उन्नत तकनीक ट्रांसफर मीनल एंडोस्कोपिक सुचरलेस सर्जरी से केवल 6 मिलीमीटर के चीरे से डिक्स को निकाल कर नस से दबाव हटाया गया है. इसमें सबसे खास बात यह रही कि मरीज को ऑपरेशन के दौरान बेहोश नहीं करके केवल चीरे की जगह को ही लोकल एनीमिया देखकर सुन्न किया गया था. इसके बाद मरीज ऑपरेशन के दौरान पूरी तरह से होश में था और बातचीत कर रहा था. वहीं कोटा में इस तरह की सर्जरी पहली बार की गई है.

कोटा. जिले में मेडिकल कॉलेज के न्यूरो सर्जरी विभाग में अत्याधुनिक तकनीकी से एक मरीज की सर्जरी की गई. संभवत राजस्थान के सरकारी चिकित्सालय में पहली बार ऐसा ऑपरेशन हुआ है. न्यूरो सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ.एसएन गौतम ने बताया कि हिंडोली निवासी 22 वर्षीय मरीज कालूराम का करीब 2 महीने से कमर में दर्द और दाएं पैर में दर्द की वजह से चलने फिरने में परेशानी महसूस कर रहा था.

6 एमएम का चीरा लगाकर डॉक्टर ने निकाली डिस्क

जिसके दो महीने से निरंतर इलाज के बाद भी ठीक नहीं होने पर उसने हमारे यहां दिखाया. रोगी की एमआरआई की जांच करवाने पर उसके लंबर डिस्क का खिसककर नस पर दबाव होना पाया गया. इसपर मरीज की सहमति से ऑपरेशन का निर्णय किया गया.

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मरीज का सबसे उन्नत तकनीक ट्रांसफर मीनल एंडोस्कोपिक सुचरलेस सर्जरी से केवल 6 मिलीमीटर के चीरे से डिक्स को निकाल कर नस से दबाव हटाया गया है. इसमें सबसे खास बात यह रही कि मरीज को ऑपरेशन के दौरान बेहोश नहीं करके केवल चीरे की जगह को ही लोकल एनीमिया देखकर सुन्न किया गया था. इसके बाद मरीज ऑपरेशन के दौरान पूरी तरह से होश में था और बातचीत कर रहा था. वहीं कोटा में इस तरह की सर्जरी पहली बार की गई है.

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