ETV Bharat / state

क्या मास्को की तरह विश्व का सबसे बड़ा घंटा नहीं हो पाएगा स्थापित?, मेटलॉजिस्ट आर्य की मौत के बाद खड़े हुए ये सवाल

author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 20, 2023, 9:03 PM IST

मेटलॉजिस्ट देवेंद्र आर्य की मौत हो गई है. उनकी मौत के बाद कोटा में तैयार किए जा रहे विश्व के सबसे बड़े घंटे को लेकर ही कई तरह के संशय खड़े हो गए हैं. इनमें सबसे बड़ा संशय यही है कि अब ये घंटा सांचे से बाहर आएगा भी या नहीं.

घंटी के निर्माण पर सवाल
घंटी के निर्माण पर सवाल

कोटा. शिक्षा नगरी कोटा में तैयार किए जा रहे विश्व के सबसे बड़े घंटे के सांचे से बाहर आने से पहले मेटलॉजिस्ट देवेंद्र आर्य की मौत के बाद कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं. इसमें सबसे बड़ा संशय यह बन गया है कि यह घंटा अब सांचे से बाहर आएगा या नहीं या फिर विश्व के सबसे बड़े घंटे (मॉस्को की जार बेल) की तरह जमीन पर ही रहेगा और उसे बजाया नहीं जा सकेगा.

देवेंद्र आर्य ने पहले दावा किया था कि यह दुनिया की सबसे भारी सिंगल पीस कास्टिंग वाली नॉन फेरस घंटी होगी, इसमें कोई ज्वाइंट नहीं होगा. दूसरा रिकॉर्ड विश्व की सबसे बड़ी घंटी व तीसरा रिकॉर्ड विश्व की पहली ज्वाइंट लेस चैन इसमें लगाई जाएगी. यह घंटा करीब 78 हजार किलो का है. चेन का वजन करीब 400 किलो के आसपास है. इसका पेंडुलम भी 100 किलो का है, जिससे इस बेल को बजाया जाएगा. इतने बड़े घंटे का निर्माण पहली बार मेटलॉजिस्ट और इंजीनियरिंग इतिहास में हुआ था. इसके साथ ही फाइबर के तैयार किए गए घंटे का शेप भी एक रिकॉर्ड था.

पढ़ें:दुनिया की सबसे बड़े घंटे की कास्टिंग करने वाले इंजीनियर की मौत पर गरमाई सियासत, भाजपा ने हादसे को बताया हत्या

1737 में बनी थी घंटी, कास्टिंग के दौरान ही टूट गई थीः वर्तमान में विश्व की सबसे बड़ी घंटी रूस के मास्को की क्रेमलिन के मैदान में प्रदर्शित रूसी जार बेल है. इसे जार कोलोकोल (जारस्की) के नाम से भी जाना जाता है. यह दुनिया की सबसे बड़ी घंटी भी है. जिसका वजन 216 टन के आसपास है, लेकिन जब 1737 में इसका निर्माण हो रहा था. इसी दौरान कास्टिंग करते समय एक आग लगने की घटना हुई थी. यहां सपोर्ट के लिए लगाए गए लकड़ी के स्ट्रक्चर में आग लग गई थी. इससे यह घंटी टूट गई. इसे इसी तरह से अभी रखा हुआ है. इस घंटी को लटकाया जाना था, लेकिन यह संभव नहीं हो सका. क्षतिग्रस्त घंटी को कभी भी बजाया नहीं गया, इसकी ऊंचाई 6.14 मीटर है.

यूआईटी नहीं निकलवाई थी सांचे से घंटे को बाहरः वहीं, कोटा में तैयार किए जा रहे घंटे की कास्टिंग 18 अगस्त को हुई थी, वहीं 19 अगस्त को देवेंद्र आर्य ने चंबल हेरिटेज रिवरफ्रंट के आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया पर श्रेय लेने का आरोप लगाया और आपत्ति जताई थी. साथ ही इस प्रोजेक्ट को छोड़ दिया था. ऐसे में यह घंटा खुल नहीं पाया था. करीब ढाई महीने गुजर जाने के बाद इसे सांचे से बाहर नहीं निकाला जा सका था. इसके बाद नगर विकास न्यास ने दोबारा देवेंद्र आर्य को बुलाया था और उन्हें सहमत किया. इसके बाद ही उन्होंने 3 नवंबर को काम शुरू किया था अब देवेंद्र आर्य की मौत के बाद यह घंटा सांचे से बाहर आ पाएगा या नहीं यह भी बड़ा सवाल है, क्योंकि यूआईटी ने इस बीच कई इंजीनियरों को बुलाया था और मेटलॉजिस्ट को भी बुलाया था, लेकिन उन्होंने घंटे को सांचे से बाहर निकालने से इनकार कर दिया था. ऐसे में देवेंद्र आर्य की मौत के बाद अब कौन इस घंटे को बाहर निकालेगा, इसको लेकर भी सवाल बना हुआ है.

पढ़ें:कोटा में विश्व के सबसे बड़े घंटे की कास्टिंग करने वाले इंजीनियर देवेंद्र आर्य व उनके सहयोगी की हादसे में मौत

बीजेपी ने लगाया हत्या करने का आरोपः देवेंद्र आर्य और उनके सहयोगी रामकेश की मौत से रिवरफ्रंट पर हुए निर्माण के दौरान सुरक्षा की अनदेखी की पोल खुल गई है. रिवरफ्रंट पर काम करते समय उचित सुरक्षा की व्यवस्था नहीं रखी गई थी. इस दौरान जब निर्माण कार्य चल रहा था, तब भी करीब आधा दर्जन मजदूर या उनके बच्चों की मौत हुई है. भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने भी इस मामले में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को घेरा है. उन्होंने कहा कि कोटा के कलमाड़ी धारीवाल हैं, रिवरफ्रंट पर बड़ी मात्रा में घोटाले और गबन किए हैं. अब इस मामले में उनकी पोल खुल गई. उनके खिलाफ हत्या का प्रकरण दर्ज होना चाहिए, क्योंकि देवेंद्र आर्य ने पहले ही पत्र लिखकर जिला प्रशासन को अवगत कराया था. आरोप लगाया कि उनकी हत्या की गई है.

किया था 3 महीने में घंटा खोल लटकाने का वादाः देवेंद्र आर्य से ईटीवी भारत की 3 नवंबर को बातचीत हुई थी. इस दौरान उन्होंने कहा था कि उन्होंने ऊपर के तीन सांचे खोले हैं. साथ ही कहा था कि फिलहाल घंटा ठीक लग रहा है, लेकिन अंदेशा जताया था कि नीचे के पूरे सांचे खोलने के बाद ही पता चल पाएगा कि यह ब्रेक हुआ है या नहीं. दूसरी तरफ इसको लटकाने में भी 3 महीने का समय लगने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि घंटे को बाहर निकालने के बाद पहले बाहर से फिनिशिंग होगी, उसकी मिट्टी को पूरी तरह से हटा दिया जाएगा. इसके बाद अंदर की तरफ से रेत और मिट्टी को निकालकर फिनिशिंग की जाएगी. इसके बाद उसे पेडलस्टेण्ड पर लटकाया जा सकेगा. ऐसे में अभी भी 3 महीने से ज्यादा का समय इसमें बाकी है.

पढ़ें:कोटा चंबल हेरिटेज रिवरफ्रंट मामले को लेकर 8-9 को एनजीटी की टीम करेगी विजिट, अगली सुनवाई 12 दिसंबर को

एडीएम सिटी को सौंपी गई जांचः चंबल रिवरफ्रंट हादसे की जांच के लिए अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट शहर को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है. जिला कलेक्टर एमपी मीणा ने बताया कि घंटे को सांचे से निकलवाने के काम के दौरान हाइड्रा मशीन के पट्टे खिसकाए जाने से हादसा हुआ है. इस हादसे में इंजीनियर देवेंद्र आर्य व सहयोगी रामकेश की मृत्यु के मामले में अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट सिटी बृजमोहन बैरवा को तुरंत प्रभाव से जांच अधिकारी नियुक्त किया है. एडीएम बैरवा को तुरंत जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं.

कोटा. शिक्षा नगरी कोटा में तैयार किए जा रहे विश्व के सबसे बड़े घंटे के सांचे से बाहर आने से पहले मेटलॉजिस्ट देवेंद्र आर्य की मौत के बाद कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं. इसमें सबसे बड़ा संशय यह बन गया है कि यह घंटा अब सांचे से बाहर आएगा या नहीं या फिर विश्व के सबसे बड़े घंटे (मॉस्को की जार बेल) की तरह जमीन पर ही रहेगा और उसे बजाया नहीं जा सकेगा.

देवेंद्र आर्य ने पहले दावा किया था कि यह दुनिया की सबसे भारी सिंगल पीस कास्टिंग वाली नॉन फेरस घंटी होगी, इसमें कोई ज्वाइंट नहीं होगा. दूसरा रिकॉर्ड विश्व की सबसे बड़ी घंटी व तीसरा रिकॉर्ड विश्व की पहली ज्वाइंट लेस चैन इसमें लगाई जाएगी. यह घंटा करीब 78 हजार किलो का है. चेन का वजन करीब 400 किलो के आसपास है. इसका पेंडुलम भी 100 किलो का है, जिससे इस बेल को बजाया जाएगा. इतने बड़े घंटे का निर्माण पहली बार मेटलॉजिस्ट और इंजीनियरिंग इतिहास में हुआ था. इसके साथ ही फाइबर के तैयार किए गए घंटे का शेप भी एक रिकॉर्ड था.

पढ़ें:दुनिया की सबसे बड़े घंटे की कास्टिंग करने वाले इंजीनियर की मौत पर गरमाई सियासत, भाजपा ने हादसे को बताया हत्या

1737 में बनी थी घंटी, कास्टिंग के दौरान ही टूट गई थीः वर्तमान में विश्व की सबसे बड़ी घंटी रूस के मास्को की क्रेमलिन के मैदान में प्रदर्शित रूसी जार बेल है. इसे जार कोलोकोल (जारस्की) के नाम से भी जाना जाता है. यह दुनिया की सबसे बड़ी घंटी भी है. जिसका वजन 216 टन के आसपास है, लेकिन जब 1737 में इसका निर्माण हो रहा था. इसी दौरान कास्टिंग करते समय एक आग लगने की घटना हुई थी. यहां सपोर्ट के लिए लगाए गए लकड़ी के स्ट्रक्चर में आग लग गई थी. इससे यह घंटी टूट गई. इसे इसी तरह से अभी रखा हुआ है. इस घंटी को लटकाया जाना था, लेकिन यह संभव नहीं हो सका. क्षतिग्रस्त घंटी को कभी भी बजाया नहीं गया, इसकी ऊंचाई 6.14 मीटर है.

यूआईटी नहीं निकलवाई थी सांचे से घंटे को बाहरः वहीं, कोटा में तैयार किए जा रहे घंटे की कास्टिंग 18 अगस्त को हुई थी, वहीं 19 अगस्त को देवेंद्र आर्य ने चंबल हेरिटेज रिवरफ्रंट के आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया पर श्रेय लेने का आरोप लगाया और आपत्ति जताई थी. साथ ही इस प्रोजेक्ट को छोड़ दिया था. ऐसे में यह घंटा खुल नहीं पाया था. करीब ढाई महीने गुजर जाने के बाद इसे सांचे से बाहर नहीं निकाला जा सका था. इसके बाद नगर विकास न्यास ने दोबारा देवेंद्र आर्य को बुलाया था और उन्हें सहमत किया. इसके बाद ही उन्होंने 3 नवंबर को काम शुरू किया था अब देवेंद्र आर्य की मौत के बाद यह घंटा सांचे से बाहर आ पाएगा या नहीं यह भी बड़ा सवाल है, क्योंकि यूआईटी ने इस बीच कई इंजीनियरों को बुलाया था और मेटलॉजिस्ट को भी बुलाया था, लेकिन उन्होंने घंटे को सांचे से बाहर निकालने से इनकार कर दिया था. ऐसे में देवेंद्र आर्य की मौत के बाद अब कौन इस घंटे को बाहर निकालेगा, इसको लेकर भी सवाल बना हुआ है.

पढ़ें:कोटा में विश्व के सबसे बड़े घंटे की कास्टिंग करने वाले इंजीनियर देवेंद्र आर्य व उनके सहयोगी की हादसे में मौत

बीजेपी ने लगाया हत्या करने का आरोपः देवेंद्र आर्य और उनके सहयोगी रामकेश की मौत से रिवरफ्रंट पर हुए निर्माण के दौरान सुरक्षा की अनदेखी की पोल खुल गई है. रिवरफ्रंट पर काम करते समय उचित सुरक्षा की व्यवस्था नहीं रखी गई थी. इस दौरान जब निर्माण कार्य चल रहा था, तब भी करीब आधा दर्जन मजदूर या उनके बच्चों की मौत हुई है. भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने भी इस मामले में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को घेरा है. उन्होंने कहा कि कोटा के कलमाड़ी धारीवाल हैं, रिवरफ्रंट पर बड़ी मात्रा में घोटाले और गबन किए हैं. अब इस मामले में उनकी पोल खुल गई. उनके खिलाफ हत्या का प्रकरण दर्ज होना चाहिए, क्योंकि देवेंद्र आर्य ने पहले ही पत्र लिखकर जिला प्रशासन को अवगत कराया था. आरोप लगाया कि उनकी हत्या की गई है.

किया था 3 महीने में घंटा खोल लटकाने का वादाः देवेंद्र आर्य से ईटीवी भारत की 3 नवंबर को बातचीत हुई थी. इस दौरान उन्होंने कहा था कि उन्होंने ऊपर के तीन सांचे खोले हैं. साथ ही कहा था कि फिलहाल घंटा ठीक लग रहा है, लेकिन अंदेशा जताया था कि नीचे के पूरे सांचे खोलने के बाद ही पता चल पाएगा कि यह ब्रेक हुआ है या नहीं. दूसरी तरफ इसको लटकाने में भी 3 महीने का समय लगने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि घंटे को बाहर निकालने के बाद पहले बाहर से फिनिशिंग होगी, उसकी मिट्टी को पूरी तरह से हटा दिया जाएगा. इसके बाद अंदर की तरफ से रेत और मिट्टी को निकालकर फिनिशिंग की जाएगी. इसके बाद उसे पेडलस्टेण्ड पर लटकाया जा सकेगा. ऐसे में अभी भी 3 महीने से ज्यादा का समय इसमें बाकी है.

पढ़ें:कोटा चंबल हेरिटेज रिवरफ्रंट मामले को लेकर 8-9 को एनजीटी की टीम करेगी विजिट, अगली सुनवाई 12 दिसंबर को

एडीएम सिटी को सौंपी गई जांचः चंबल रिवरफ्रंट हादसे की जांच के लिए अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट शहर को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है. जिला कलेक्टर एमपी मीणा ने बताया कि घंटे को सांचे से निकलवाने के काम के दौरान हाइड्रा मशीन के पट्टे खिसकाए जाने से हादसा हुआ है. इस हादसे में इंजीनियर देवेंद्र आर्य व सहयोगी रामकेश की मृत्यु के मामले में अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट सिटी बृजमोहन बैरवा को तुरंत प्रभाव से जांच अधिकारी नियुक्त किया है. एडीएम बैरवा को तुरंत जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.