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गद्दे व टीन की आड़ ले बारिश में किया अंतिम संस्कार, गीली लकड़ियां जलाने को मंगवाया 20 लीटर डीजल

कोटा के सुल्तानपुर से लगते उकलदा गांव में एक व्यक्ति के अंतिम संस्कार के लिए 20 लीटर डीजल मंगवाना पड़ा. चिता की आग ना बुझे, इसके लिए हाथों में टीन शेड उठानी पड़ी.

Teen shade used for last rites in Kota, diesel used to fire wet woods
गद्दे व टीन की आड़ ले बारिश में किया अंतिम संस्कार, 20 लीटर डीजल से सुलगी चिता
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Published : Jul 11, 2023, 5:17 PM IST

कोटा. जिले के ग्रामीण इलाके सुल्तानपुर से लगते हुए उकलदा गांव में मुक्तिधाम की अव्यवस्थाओं का खामियाजा अंतिम संस्कार के समय उठाना पड़ रहा है. ऐसा ही एक मामला सोमवार को देखने को मिला. जब गांव के ही 70 वर्षीय बुजुर्ग नंदकिशोर मेघवाल का निधन हो गया. उनके परिजन उबड़-खाबड़ रास्ते से शव यात्रा को जैसे तैसे अंतिम संस्कार के लिए मुक्तिधाम लेकर गए. वहां पर टीन शेड नहीं था. बारिश के चलते अंतिम संस्कार नहीं हो पाया. ऐसे में टीन शेड को हाथों में पकड़कर आड़ करनी पड़ी और अंतिम संस्कार किया गया.

मृतक के भतीजे लखन का कहना है कि भारी बारिश के बीच में अर्थी को साइड में रख कर पहले अंतिम संस्कार के लिए जुगाड़ की छत बनाने की कोशिश की गई. हालांकि श्मशान स्थल पर टीन शेड बिखरे पड़े थे. जिन्हें जैसे-तैसे शव यात्रा में शामिल लोगों ने एकत्रित किया और पकड़ कर खड़े हो गए. यह भी कम पड़ गए थे. ऐसे में अर्थी के साथ में जो गद्दे बिछाकर लेकर गए थे, उन्हें भी आड़ के रूप में इस्तेमाल करना पड़ा.

पढ़ें: विकास का सच! मुक्तिधाम में न बिजली न पानी, टॉर्च और बाइक की रोशनी में हुई अंतिम रस्में

बारिश के चलते लकड़िया भी गीली हो गई थीं व चिता भी नहीं सुलग रही थी. ऐसे में 20 लीटर डीजल मंगवाया गया. यह ज्वलनशील पदार्थ बड़ी मात्रा में इसमें डाला गया, तब जाकर अंतिम संस्कार हो पाया. इसमें घंटों लग गए. इस अव्यवस्था के चलते ही शवों की दुर्गति हो रही है. इस पूरे मामले पर भारतीय जनता पार्टी की जिला परिषद सदस्य राजनीता मेघवाल का कहना है कि उकलदा नंदकिशोर उनके रिश्तेदार हैं. गांव से शमशान जाने का रास्ता भी नहीं है. भारी कीचड़ के बीच में शव यात्रा को लेकर जाना मजबूरी बना हुआ है.

पढ़ें: Kota zero pollution scheme :अब कोटा में नि:शुल्क और जीरो पॉल्यूशन पर होगा अंतिम संस्कार, निगम के साथ MOU साइन

पहले मुक्तिधाम की जगह पर टीनशेड लगे हुए थे. वर्तमान में यह गिर गए हैं. जिसके बाद ही इन्हें ठीक नहीं करवाया गया है. मुक्तिधाम के बाउंड्री वाल भी टूट गई है और पूरी तरह से जर्जर अवस्था में पहुंच गई है. इस पूरे मामले पर दीगोद की एसडीओ हरविंदर डी सिंह का कहना है कि उन्हें मामले की जानकारी नहीं है, लेकिन उकलदा गांव में जमीन मुक्तिधाम के लिए आवंटित है. मुक्तिधाम टीनशेड गिर गए हैं या दुरुस्त नहीं हुए हैं, तो इस पूरे मामले की जांच करवाई जाएगी. उसके लिए बीडीओ से जानकारी जुटाई जाएगी. मुक्तिधाम को लेकर आ रही समस्याओं का निस्तारण जरूर करवाया जाएगा.

पढ़ें: Nagaur: सांप्रदायिक सौहार्द की बेहतरीन मिसाल, मुस्लिम समाज ने कराया हिंदू मुकुल का अंतिम संस्कार

वर्क आर्डर जारी, लेकिन ठेकेदार भाग गयाः जनवरी 2023 में ही उकल्दा में मुक्तिधाम की टीनशेड के लिए स्वीकृति जारी हो गई थी, लेकिन निर्माण नहीं हो पाया. सरपंच सत्यनारायण वर्मा का कहना है कि ठेकेदार ने निर्माण नहीं किया और वह भाग गया. इसके बाद दोबारा निर्माण के लिए वर्क आर्डर जारी करवाया है. जमीन काफी कम है. ऐसे में टीनशेड ही लगवाने हैं. मौके पर रेत भेज दी गई थी, लेकिन ट्रैक्टर ट्रॉली से पत्थर नहीं जा पाए. बारिश का मौसम खुलने के बाद कार्य करवाया दिया जाएगा. पहले 15 फीट का ड्रेन का रास्ता था. इस पर ग्रामीणों ने अतिक्रमण कर लिया और अब यह महज 5 फीट का ही बचा है.

कोटा. जिले के ग्रामीण इलाके सुल्तानपुर से लगते हुए उकलदा गांव में मुक्तिधाम की अव्यवस्थाओं का खामियाजा अंतिम संस्कार के समय उठाना पड़ रहा है. ऐसा ही एक मामला सोमवार को देखने को मिला. जब गांव के ही 70 वर्षीय बुजुर्ग नंदकिशोर मेघवाल का निधन हो गया. उनके परिजन उबड़-खाबड़ रास्ते से शव यात्रा को जैसे तैसे अंतिम संस्कार के लिए मुक्तिधाम लेकर गए. वहां पर टीन शेड नहीं था. बारिश के चलते अंतिम संस्कार नहीं हो पाया. ऐसे में टीन शेड को हाथों में पकड़कर आड़ करनी पड़ी और अंतिम संस्कार किया गया.

मृतक के भतीजे लखन का कहना है कि भारी बारिश के बीच में अर्थी को साइड में रख कर पहले अंतिम संस्कार के लिए जुगाड़ की छत बनाने की कोशिश की गई. हालांकि श्मशान स्थल पर टीन शेड बिखरे पड़े थे. जिन्हें जैसे-तैसे शव यात्रा में शामिल लोगों ने एकत्रित किया और पकड़ कर खड़े हो गए. यह भी कम पड़ गए थे. ऐसे में अर्थी के साथ में जो गद्दे बिछाकर लेकर गए थे, उन्हें भी आड़ के रूप में इस्तेमाल करना पड़ा.

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बारिश के चलते लकड़िया भी गीली हो गई थीं व चिता भी नहीं सुलग रही थी. ऐसे में 20 लीटर डीजल मंगवाया गया. यह ज्वलनशील पदार्थ बड़ी मात्रा में इसमें डाला गया, तब जाकर अंतिम संस्कार हो पाया. इसमें घंटों लग गए. इस अव्यवस्था के चलते ही शवों की दुर्गति हो रही है. इस पूरे मामले पर भारतीय जनता पार्टी की जिला परिषद सदस्य राजनीता मेघवाल का कहना है कि उकलदा नंदकिशोर उनके रिश्तेदार हैं. गांव से शमशान जाने का रास्ता भी नहीं है. भारी कीचड़ के बीच में शव यात्रा को लेकर जाना मजबूरी बना हुआ है.

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पहले मुक्तिधाम की जगह पर टीनशेड लगे हुए थे. वर्तमान में यह गिर गए हैं. जिसके बाद ही इन्हें ठीक नहीं करवाया गया है. मुक्तिधाम के बाउंड्री वाल भी टूट गई है और पूरी तरह से जर्जर अवस्था में पहुंच गई है. इस पूरे मामले पर दीगोद की एसडीओ हरविंदर डी सिंह का कहना है कि उन्हें मामले की जानकारी नहीं है, लेकिन उकलदा गांव में जमीन मुक्तिधाम के लिए आवंटित है. मुक्तिधाम टीनशेड गिर गए हैं या दुरुस्त नहीं हुए हैं, तो इस पूरे मामले की जांच करवाई जाएगी. उसके लिए बीडीओ से जानकारी जुटाई जाएगी. मुक्तिधाम को लेकर आ रही समस्याओं का निस्तारण जरूर करवाया जाएगा.

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वर्क आर्डर जारी, लेकिन ठेकेदार भाग गयाः जनवरी 2023 में ही उकल्दा में मुक्तिधाम की टीनशेड के लिए स्वीकृति जारी हो गई थी, लेकिन निर्माण नहीं हो पाया. सरपंच सत्यनारायण वर्मा का कहना है कि ठेकेदार ने निर्माण नहीं किया और वह भाग गया. इसके बाद दोबारा निर्माण के लिए वर्क आर्डर जारी करवाया है. जमीन काफी कम है. ऐसे में टीनशेड ही लगवाने हैं. मौके पर रेत भेज दी गई थी, लेकिन ट्रैक्टर ट्रॉली से पत्थर नहीं जा पाए. बारिश का मौसम खुलने के बाद कार्य करवाया दिया जाएगा. पहले 15 फीट का ड्रेन का रास्ता था. इस पर ग्रामीणों ने अतिक्रमण कर लिया और अब यह महज 5 फीट का ही बचा है.

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