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सरकारी कर्मचारी होने के बावजूद बेटा नहीं कर रहा था माता-पिता की देखभाल, अब हर महीने देगा 2 हजार रुपए

कोटा के सांगोद में कनवास एसडीएम ने सोमवार को भरण पोषण के तहत दर्ज मामले का निस्तारण करवाया. एसडीएम ने बताया कि दोनों पक्षों की आपसी समझाइश के चलते मामले का निस्तारण हुआ. अब सरकारी कर्मचारी के पद पर कार्यरत बेटा अपने माता-पिता को हर महीने 2 हजार रुपए भरण पोषण के लिए देगा.

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प्रकरण का निस्तारण
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Published : Sep 21, 2020, 6:26 PM IST

सांगोद (कोटा). कनवास उपखंड कोर्ट में रामीबाई पत्नी तोलाराम रेगर निवासी धूलेट (कनवास) ने अपने बेटे के खिलाफ भरण पोषण नहीं करने के संबंध में प्रार्थना पत्र दिया था. इस पर कार्रवाई करते हुए कनवास उपखंड अधिकारी ने आपसी समझाइश के चलते रामीबाई और तोलाराम को भरण पोषण दिलवाने की बात पर सहमति बनवाई.

जानकारी के मुताबिक लालचंद पुत्र तोलाराम निवासी धूलेट, सहायक सचिव के पद पर कार्यरत होने के बावजूद अपने माता-पिता रामीबाई और तोलाराम का भरण पोषण व अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं करवा रहा था. मामले पर कनवास उपखंड अधिकारी राजेश डागा ने सुनवाई करते हुए भरण पोषण अधिनियम- 2007 के अन्तर्गत मामला दर्जकर लालचंद रेगर को दूरभाष के जरिए न्यायालय मेंं बुलवाया. लालचंद के माता-पिता के प्रार्थना-पत्र से अवगत कराया तथा लालचंद को यह समझाया कि सरकारी कर्मचारी होने के बावजूद भी अपने माता-पिता की सेवा और उनके भरण-पोषण नहीं किया जा रहा है, जो की उचित नहीं है. इस पर लालचंद ने उपखण्ड अधिकारी राजेश डागा को विश्वास दिलाया कि भविष्य में अपने माता-पिता रामीबाई और तोलाराम के भरण-पोषण के लिए प्रतिमाह 2000 रुपए देगा. साथ ही भविष्य में इस प्रकार की शिकायत का मौका नहीं देगा.

यह भी पढ़ें: 1 साल बीत गया लेकिन दूध की थैलियों के निस्तारण की योजना अभी भी फाइलों में बंद

इस पर लालचंद के माता पिता ने भी सहमति जताई. बाद में कनवास एसडीएम राजेश डागा ने लालचंद रेगर को आदेशित भी किया कि वे अपने माता-पिता के भरण पोषण के लिए प्रतिमाह 2 हजार रुपए देगा. साथ ही हिदायत भी दी कि राज्य सरकार के आदेशानुसार किसी भी सरकारी कर्मचारी द्वारा अपने माता-पिता की देखभाल और भरण पोषण के लिए इनकार किया जाता है तो उस कर्मचारी के वेतन से 10 फीसदी हिस्सा काटकर उनके माता-पिता को देने के प्रावधान भी है. इस प्रकार कनवास एसडीएम राजेश डागा ने मात्र 1 घंटे में प्रार्थी को भरण पोषण अधिनियम का लाभ दिलाकर प्रकरण का निस्तारण किया.

सांगोद (कोटा). कनवास उपखंड कोर्ट में रामीबाई पत्नी तोलाराम रेगर निवासी धूलेट (कनवास) ने अपने बेटे के खिलाफ भरण पोषण नहीं करने के संबंध में प्रार्थना पत्र दिया था. इस पर कार्रवाई करते हुए कनवास उपखंड अधिकारी ने आपसी समझाइश के चलते रामीबाई और तोलाराम को भरण पोषण दिलवाने की बात पर सहमति बनवाई.

जानकारी के मुताबिक लालचंद पुत्र तोलाराम निवासी धूलेट, सहायक सचिव के पद पर कार्यरत होने के बावजूद अपने माता-पिता रामीबाई और तोलाराम का भरण पोषण व अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं करवा रहा था. मामले पर कनवास उपखंड अधिकारी राजेश डागा ने सुनवाई करते हुए भरण पोषण अधिनियम- 2007 के अन्तर्गत मामला दर्जकर लालचंद रेगर को दूरभाष के जरिए न्यायालय मेंं बुलवाया. लालचंद के माता-पिता के प्रार्थना-पत्र से अवगत कराया तथा लालचंद को यह समझाया कि सरकारी कर्मचारी होने के बावजूद भी अपने माता-पिता की सेवा और उनके भरण-पोषण नहीं किया जा रहा है, जो की उचित नहीं है. इस पर लालचंद ने उपखण्ड अधिकारी राजेश डागा को विश्वास दिलाया कि भविष्य में अपने माता-पिता रामीबाई और तोलाराम के भरण-पोषण के लिए प्रतिमाह 2000 रुपए देगा. साथ ही भविष्य में इस प्रकार की शिकायत का मौका नहीं देगा.

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इस पर लालचंद के माता पिता ने भी सहमति जताई. बाद में कनवास एसडीएम राजेश डागा ने लालचंद रेगर को आदेशित भी किया कि वे अपने माता-पिता के भरण पोषण के लिए प्रतिमाह 2 हजार रुपए देगा. साथ ही हिदायत भी दी कि राज्य सरकार के आदेशानुसार किसी भी सरकारी कर्मचारी द्वारा अपने माता-पिता की देखभाल और भरण पोषण के लिए इनकार किया जाता है तो उस कर्मचारी के वेतन से 10 फीसदी हिस्सा काटकर उनके माता-पिता को देने के प्रावधान भी है. इस प्रकार कनवास एसडीएम राजेश डागा ने मात्र 1 घंटे में प्रार्थी को भरण पोषण अधिनियम का लाभ दिलाकर प्रकरण का निस्तारण किया.

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