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कोटा के संस्कार महोत्सव में शामिल हुए हजारों कोचिंग छात्र, डूबे भक्तिरस में - कोचिंग छात्र

कोटा शहर में बाल दिवस के मौके पर सोमवार को संस्कार महोत्सव आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में कोचिंग स्टूडेंट्स भक्तिरस में डूबे नजर (Thousands of students in Sanskar Mahotsav) आए. वे भजनों पर झूमते भी दिखाई दिए. इस मौके पर स्टूडेंट्स को जीवन में संस्कारों का महत्व समझाया गया.

Sanskar Mahotsav in Kota, thousands of students took part in it
कोटा के संस्कार महोत्सव में शामिल हुए हजारों कोचिंग छात्र, डूबे भक्तिरस में
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Published : Nov 14, 2022, 11:28 PM IST

कोटा. बाल दिवस पर सोमवार को शहर में संस्कार महोत्सव आयोजित किया गया. इसमें हजारों की संख्या में कोचिंग छात्र मौजूद (Thousands of students in Sanskar Mahotsav) रहे. स्टूडेंट्स भजनों पर झूमते हुए नजर आए और पांडाल में भक्तिमय माहौल नजर आया. इस आयोजन में करीब 40 हजार स्टूडेंट्स शामिल हुए.

इस आयोजन के लिए विशाल पांडाल बनाया गया था. इसमें शहर के अलग-अलग इलाकों से विद्यार्थी भाग लेने के लिए पहुंचे थे. इसमें करीब 40 हजार विद्यार्थी शामिल हुए व लाखों स्टूडेंट्स ने लाइव देखा. यहां फिजिक्स, कैमेस्ट्री, मैथ्स और बॉयलोजी के सवालों में उलझे रहने वाले विद्यार्थियों को संस्कारों की सीख मिली. भक्ति और विज्ञान का यह अनूठा संगम विद्यार्थियों को अध्यात्म और ध्यान से जोड़ने के लिए रहा.

पढ़ें: बाड़मेर में हर्षोल्लास के साथ मनाई गई बसंत पंचमी, विद्या आरंभ संस्कार महोत्सव का आयोजन

कार्यक्रम में श्री तिरूपति बालाजी की तर्ज पर भगवान लक्ष्मी-वेंकटेश का विवाहोत्सव (कल्याणोत्सव) वैष्णव परंपरा के अनुसार मनाया गया. इसमें भगवान वेंकटेश व लक्ष्मी की सवारी गाजे-बाजे के साथ आई और भजन गूंजे. कार्यक्रम में लोग वर-वधू पक्ष के रूप में रहे. जिसमें पुरुष कुर्ते पायजामे व पगड़ी में नजर आए, वहीं महिलाएं ओढ़नी व साड़ी में नजर आईं. कार्यक्रम में डॉ गोविन्द माहेश्वरी, राजेश माहेश्वरी, नवीन माहेश्वरी व डॉ बृजेश माहेश्वरी ने भी भजन गायन में साथ दिया.

पढ़ें: Kota Evacuation Model : लॉकडाउन में हजारों बच्चों को सुरक्षित भेजा था घर..फेमस हुआ था ये मॉडल

कार्यक्रम में श्री झालरिया पीठाधिपति जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी घनश्यामाचार्य महाराज ने विद्यार्थियों को धर्म, धैर्य, ध्यान की सीख देते हुए कहा कि आज शिक्षा तो मिल रही है, लेकिन संस्कार का हास हो रहा है. शिक्षा के साथ संस्कार बहुत जरूरी हैं, क्योंकि हमारे संस्कार ही हमें परिवार, समाज, देश के प्रति जवाबदेह बनाते हैं. उन्होंने कहा कि कोई भी संस्थान, समाज, देश या प्रदेश किसी एक व्यक्ति की मेहनत का नतीजा नहीं होता. हम आज जो सुख भोग रहे हैं, ये हमारे अच्छे कर्म ही हैं.

पढ़ें: कोचिंग छात्रों को कोटा बुलाने के लिए तैयार किया Video Song...'ये वक्त है बदल जाएगा, वी आर विद यू'

माता-पिता गुरुजनों को नहीं भूलें: घनश्यामाचार्य महाराज ने विद्यार्थियों से कहा कि आप कितने ही शिक्षित हो जाओ, लेकिन अपने संस्कारों को कभी नहीं भूलें. कितनी ही बड़ी कंपनी में अच्छे पद पर चले जाओ, लेकिन अपने माता-पिता व गुरुजनों का सत्कार करना नहीं भूलें, क्योंकि आप जहां भी हो, उनकी वजह से ही हो. मित्रों का चयन बहुत सोच-समझकर करना होगा. यदि बुरी आदतों वाला विद्यार्थी आपका मित्र बनेगा, तो आप भी उस व्यसन का शिकार हो जाएंगे. इसके विपरीत पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी से आपकी मित्रता होगी, तो आप भी अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित होंगे.

कोटा. बाल दिवस पर सोमवार को शहर में संस्कार महोत्सव आयोजित किया गया. इसमें हजारों की संख्या में कोचिंग छात्र मौजूद (Thousands of students in Sanskar Mahotsav) रहे. स्टूडेंट्स भजनों पर झूमते हुए नजर आए और पांडाल में भक्तिमय माहौल नजर आया. इस आयोजन में करीब 40 हजार स्टूडेंट्स शामिल हुए.

इस आयोजन के लिए विशाल पांडाल बनाया गया था. इसमें शहर के अलग-अलग इलाकों से विद्यार्थी भाग लेने के लिए पहुंचे थे. इसमें करीब 40 हजार विद्यार्थी शामिल हुए व लाखों स्टूडेंट्स ने लाइव देखा. यहां फिजिक्स, कैमेस्ट्री, मैथ्स और बॉयलोजी के सवालों में उलझे रहने वाले विद्यार्थियों को संस्कारों की सीख मिली. भक्ति और विज्ञान का यह अनूठा संगम विद्यार्थियों को अध्यात्म और ध्यान से जोड़ने के लिए रहा.

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कार्यक्रम में श्री झालरिया पीठाधिपति जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी घनश्यामाचार्य महाराज ने विद्यार्थियों को धर्म, धैर्य, ध्यान की सीख देते हुए कहा कि आज शिक्षा तो मिल रही है, लेकिन संस्कार का हास हो रहा है. शिक्षा के साथ संस्कार बहुत जरूरी हैं, क्योंकि हमारे संस्कार ही हमें परिवार, समाज, देश के प्रति जवाबदेह बनाते हैं. उन्होंने कहा कि कोई भी संस्थान, समाज, देश या प्रदेश किसी एक व्यक्ति की मेहनत का नतीजा नहीं होता. हम आज जो सुख भोग रहे हैं, ये हमारे अच्छे कर्म ही हैं.

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