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RTU जांच कमेटी ने एसोसिएट प्रोफेसर परमार को बर्खास्त करने की सिफारिश की, प्रबंधन बोला- कोर्ट का फैसला तय करेगा कार्रवाई - आरटीयू रजिस्ट्रार वीरेंद्र कुमार वर्मा की खबरें

राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय में पास कराने के बदले अस्मत मांगने के केस में गठित जांच कमेटी ने निलंबित एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार को दोषी मानते हुए बर्खास्तगी की सिफारिश की है. जांच रिपोर्ट देने के 1 माह बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. आरटीयू प्रबंधन इस मामले में टालमटोल कर रहा है.

राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय
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Published : Mar 17, 2023, 12:35 PM IST

कोटा. राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के निलंबित एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार छात्राओं से पास करने की एवज में अस्मत मांगने के मामले में जेल में बंद है. गिरीश परमार के खिलाफ स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने चालान भी पेश कर दिया है और बीते करीब ढाई महीने से जेल में है. दूसरी तरफ, गिरीश परमार के खिलाफ दिसंबर महीने में गठित जांच कमेटी ने भी रिपोर्ट रजिस्ट्रार को सौंप दी थी. इस जांच रिपोर्ट में गिरीश परमार को दोषी मानते हुए बर्खास्तगी की सिफारिश की गई है. हालांकि जांच रिपोर्ट को 1 महीने से ज्यादा का समय बीत गया है. लेकिन किसी भी तरह की कोई कार्रवाई उस पर नहीं की गई है. राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय प्रबंधन का कहना है कि न्यायालय के फैसले के बाद ही कार्रवाई हो सकती है.

कमेटी के सदस्य बोले- हमने रिपोर्ट दे दी
आरटीयू में छात्राओं को पास करने की एवज में अस्मत मांगने के मामले में गठित कमेटी के चेयरमैन प्रो. एसके राठौड़, सदस्य प्रो. मनीषा भंडारी व प्रो. डीके पलवलिया शामिल थे. इन सदस्यों ने मीडिया से मुखातिब होने से इनकार कर दिया. साथ ही कहा कि जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट विश्वविद्यालय प्रबंधन को सौंप दी है. जांच रिपोर्ट स्टूडेंट्स के बयान, ऑडियो क्लिप, पुलिस एफआईआर और पूर्व पीड़ित व पास आउट महिलाओं के बयान के आधार पर बनाई गई है. इस मामले में वाइस चांसलर प्रो. एसके सिंह का कहना है कि पूरे मामले की कानून के जानकारों से जांच करवा रहे हैं. जांच रिपोर्ट पर किस तरह से कार्रवाई की जा सकती है इस पर विचार चल रहा है.

पढ़ें राजस्थान यूनिवर्सिटी के बाहर सीएम गहलोत को काले झंडे दिखाने के मामले में 6 पुलिसकर्मी सस्पेंड

रजिस्ट्रार बोले- न्यायालय का फैसला ही तय करेगा कार्रवाई
इस मामले में रजिस्ट्रार वीरेंद्र कुमार वर्मा का कहना है कि कमेटी ने जांच रिपोर्ट सौंप दी है. जिसे वीसी सचिवालय भेज दिया गया है. साथ ही कहा कि यह मामला अभी न्यायालय में लंबित है. इसकी जांच पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) कर रही है. इस पर फैसला न्यायालय में ही होना है. ऐसे में कमेटी की सिफारिश का कोई औचित्य नहीं रह जाता है. हालांकि उन्होंने कहा कि इस मामले में वीसी स्तर पर ही कार्रवाई हो रही है. साथ ही कहा कि बर्खास्तगी भी बहुत बड़ी बात होती है.

यह है पूरा मामला, 2 स्टूडेंट के साथ परमार जेल में बंद
आरटीयू की एक छात्रा ने 21 दिसंबर 2022 को मुकदमा दर्ज कराया था कि पास करने की एवज में उससे अस्मत मांगी जा रही है. जिसमें दो स्टूडेंट अर्पित अग्रवाल और ईशा यादव भी शामिल हैं. इस मामले में आगे की कार्रवाई पुलिस ने शुरू कर दी है. इसकी जांच के लिए एसआइटी का गठन कर जांच की जा रही है. एक के बाद एक आरटीओ की तीन छात्राओं ने इसी तरह की एफआईआर दादाबाड़ी थाने में दर्ज कराई है जिनकी जांच एक साथ ही की गई. इस मामले में 22 दिसंबर को गिरीश परमार और अर्पित अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया गया. इन्हें पुलिस रिमांड पर भी कई दिनों तक रखा गया. बाद में ईशा यादव को भी गिरफ्तार किया और तीनों को न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया. इस पूरे प्रकरण में खुलासा हुआ कि यूनिवर्सिटी के पेपर सेट करने से लेकर कॉपी जांचने का तक का काम अर्पित और ईशा गिरीश परमार के लिए कर रहे थे. इसी के दम पर छात्राओं को फेल करने का भय दिखाकर परमार के लिए अस्मत मांगते थे. इस मामले में राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय ने गिरीश परमार, ईशा यादव और अर्पित अग्रवाल तीनों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया.

कोटा. राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के निलंबित एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार छात्राओं से पास करने की एवज में अस्मत मांगने के मामले में जेल में बंद है. गिरीश परमार के खिलाफ स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने चालान भी पेश कर दिया है और बीते करीब ढाई महीने से जेल में है. दूसरी तरफ, गिरीश परमार के खिलाफ दिसंबर महीने में गठित जांच कमेटी ने भी रिपोर्ट रजिस्ट्रार को सौंप दी थी. इस जांच रिपोर्ट में गिरीश परमार को दोषी मानते हुए बर्खास्तगी की सिफारिश की गई है. हालांकि जांच रिपोर्ट को 1 महीने से ज्यादा का समय बीत गया है. लेकिन किसी भी तरह की कोई कार्रवाई उस पर नहीं की गई है. राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय प्रबंधन का कहना है कि न्यायालय के फैसले के बाद ही कार्रवाई हो सकती है.

कमेटी के सदस्य बोले- हमने रिपोर्ट दे दी
आरटीयू में छात्राओं को पास करने की एवज में अस्मत मांगने के मामले में गठित कमेटी के चेयरमैन प्रो. एसके राठौड़, सदस्य प्रो. मनीषा भंडारी व प्रो. डीके पलवलिया शामिल थे. इन सदस्यों ने मीडिया से मुखातिब होने से इनकार कर दिया. साथ ही कहा कि जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट विश्वविद्यालय प्रबंधन को सौंप दी है. जांच रिपोर्ट स्टूडेंट्स के बयान, ऑडियो क्लिप, पुलिस एफआईआर और पूर्व पीड़ित व पास आउट महिलाओं के बयान के आधार पर बनाई गई है. इस मामले में वाइस चांसलर प्रो. एसके सिंह का कहना है कि पूरे मामले की कानून के जानकारों से जांच करवा रहे हैं. जांच रिपोर्ट पर किस तरह से कार्रवाई की जा सकती है इस पर विचार चल रहा है.

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रजिस्ट्रार बोले- न्यायालय का फैसला ही तय करेगा कार्रवाई
इस मामले में रजिस्ट्रार वीरेंद्र कुमार वर्मा का कहना है कि कमेटी ने जांच रिपोर्ट सौंप दी है. जिसे वीसी सचिवालय भेज दिया गया है. साथ ही कहा कि यह मामला अभी न्यायालय में लंबित है. इसकी जांच पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) कर रही है. इस पर फैसला न्यायालय में ही होना है. ऐसे में कमेटी की सिफारिश का कोई औचित्य नहीं रह जाता है. हालांकि उन्होंने कहा कि इस मामले में वीसी स्तर पर ही कार्रवाई हो रही है. साथ ही कहा कि बर्खास्तगी भी बहुत बड़ी बात होती है.

यह है पूरा मामला, 2 स्टूडेंट के साथ परमार जेल में बंद
आरटीयू की एक छात्रा ने 21 दिसंबर 2022 को मुकदमा दर्ज कराया था कि पास करने की एवज में उससे अस्मत मांगी जा रही है. जिसमें दो स्टूडेंट अर्पित अग्रवाल और ईशा यादव भी शामिल हैं. इस मामले में आगे की कार्रवाई पुलिस ने शुरू कर दी है. इसकी जांच के लिए एसआइटी का गठन कर जांच की जा रही है. एक के बाद एक आरटीओ की तीन छात्राओं ने इसी तरह की एफआईआर दादाबाड़ी थाने में दर्ज कराई है जिनकी जांच एक साथ ही की गई. इस मामले में 22 दिसंबर को गिरीश परमार और अर्पित अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया गया. इन्हें पुलिस रिमांड पर भी कई दिनों तक रखा गया. बाद में ईशा यादव को भी गिरफ्तार किया और तीनों को न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया. इस पूरे प्रकरण में खुलासा हुआ कि यूनिवर्सिटी के पेपर सेट करने से लेकर कॉपी जांचने का तक का काम अर्पित और ईशा गिरीश परमार के लिए कर रहे थे. इसी के दम पर छात्राओं को फेल करने का भय दिखाकर परमार के लिए अस्मत मांगते थे. इस मामले में राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय ने गिरीश परमार, ईशा यादव और अर्पित अग्रवाल तीनों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया.

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