कोटा. राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय (RTU) में छात्राओं को पास करने की एवज में अस्मत मांगने के मामले में एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार, स्टूडेंट अर्पित अग्रवाल और ईशा यादव न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे हैं. मामले में खुलासा हुआ है कि अर्पित और ईशा न केवल कॉपी चेक करते थे, बल्कि प्रोफेसर के इशारे पर पेपर भी सेट करते थे.
पुलिस ने इस मामले में 2 महीने के अंतराल में ही चालान पेश कर दिया है. इस 4600 पन्नों के चालान में गिरीश परमार की काली करतूतें सामने आई हैं. साथ एक अहम खुलासा भी हुआ है कि अर्पित अग्रवाल और ईशा यादव दोनों अन्य स्टूडेंट्स की कॉपी ही नहीं चेक करते थे, वे गिरीश परमार के इशारे पर पेपर भी सेट कर रहे थे. प्रकरण की जांच कर रहे पुलिस उप अधीक्षक प्रथम और एसआईटी के इंचार्ज अमर सिंह राठौड़ का कहना है कि आरटीयू में स्टूडेंट ही पेपर सेट कर रहे थे और कॉपी चेक कर रहे थे.
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ऐसे दस्तावेज एफएसएल जांच के लिए भेजे हैं. इसके अलावा जो ऑडियो मिले थे. उनको भी जांच के लिए भेजा है, ताकि इनकी वार्तालाप के ट्रांसक्रिप्ट को वैध करवाया जाए. तीनों आरोपियों के मोबाइल जब्त किए थे. जिनकी भी एफएसएल जांच करवाई जा रही है. गिरीश परमार की कार भी जब्त है. जिसमें अर्पित अग्रवाल स्टूडेंट्स की कॉपियां लेकर घूमता था और उन्हें कार में बैठा कर ही गिरीश परमार से संबंध बनाने का दबाव डालता था.
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इस तरह से हैक किया हुआ था एग्जाम का सिस्टम: विशेष लोक अभियोजक हितेश जैन ने बताया कि पुलिस की जांच पड़ताल में सामने आया है कि 34 उत्तर पुस्तिकाएं अर्पित अग्रवाल और ईशा यादव ने चेक की हैं. इसके साथ ही एक ऑडियो में भी खुलासा हुआ है कि ईशा यादव और अर्पित अग्रवाल ही गिरीश परमार के कहने पर पेपर सेट करते थे और उन्हें व्हाट्सएप ग्रुप पर भेज दिया करते थे. स्टूडेंट्स ने परमार का एक ऑडियो भी ग्रुप में डाला था, जिसमें वह कहता नजर आ रहा है कि इन्हीं में से प्रश्न एग्जाम में पूछे जाएंगे. जबकि न तो यह प्रश्न आते थे और न ही चैप्टर में से कोई प्रश्न पूछा जाता था. इसके चलते इनमें से पढ़ाई नहीं करने वाले स्टूडेंट फेल हो जाते थे. मेन पेपर की सेटिंग भी ईशा और अर्पित अग्रवाल गिरीश परमार के इशारे पर किया करते थे, जो पेपर स्टूडेंट को दिया जाता था.
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आरोपियों के बीच ढाई महीने में 258 कॉल: मुख्य आरोपी गिरीश परमार के साथ अर्पित और ईशा भी पूरी तरह से छात्राओं को धमकाने के काम में जुटे हुए थे. इसी के चलते वह गिरीश परमार के साथ संबंध बनाने का दबाव भी डालते थे. आरोपियों के ऑडियो सामने आए थे. जिनमें गिरीश परमार, ईशा यादव और अर्पित अग्रवाल तीनों छात्राओं को फंसाने की योजना बनाते सुने गए. पुलिस ने 1 सितंबर 2022 से लेकर मुकदमा दर्ज होने के पहले 22 दिसंबर 2022 तक ढाई महीने की कॉल डिटेल रिकॉर्ड लिया है. जिसके आधार पर इन तीनों के बीच 258 बार बातचीत हुई है. जिसमें करीब 12 घंटे के आसपास तीनों ने बात की है. साथ ही 10 मैसेज भी भेजे गए हैं. इसके अलावा सोशल मीडिया मैसेज और कॉलिंग अलग है.
अर्पित और ईशा दोनों भी थे संपर्क में: गिरीश परमार और अर्पित अग्रवाल के बीच 135 बार बातचीत हुई. जिसमें 38 कॉल इनकमिंग थे, जबकि 88 कॉल आउटगोइंग. साथ ही 9 एसएमएस थे. इन दोनों के बीच 4 घंटे और 46 मिनट बातचीत हुई. दूसरी तरफ गिरीश और ईशा यादव के बीच 57 बार फोन पर बातचीत हुई. इसमें 40 कॉल आउटगोइंग और 17 कॉल इनकमिंग थे. इनकी बातचीत 4 घंटे 5 मिनट हुई.
इसी तरह से अर्पित अग्रवाल और ईशा के बीच भी 66 बार बातचीत हुई. जिसमें 27 इनकमिंग और 38 आउटगोइंग थी. इसके अलावा एक एसएमएस भी शामिल है. इसमें दोनों के बीच 3 घंटे 5 मिनट बातचीत हुई है. ऐसे में साफ है कि गिरीश के अलावा भी अर्पित और ईशा यादव बातचीत करते थे. वह भी परमार के लिए छात्राओं को शिकार बनाने का काम में जुटे हुए थे.