कोटा. राजस्थान में विधानसभा चुनावों (Rajasthan assembly election) में अब महज एक साल बाकी है. कांग्रेस और बीजेपी (Rajasthan Congress and BJP) दोनों राजनीतिक दलों ने अपने वोटर्स को टटोलने की कवायद शुरू कर दी है. एक ओर कांग्रेसी खेमे में राजनीतिक उठापटक (Rajasthan Political crisis) और नेतृत्व परिवर्तन की खबरों के बीच प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत कांग्रेस विधायकों और उद्योगपतियों को साधने के साथ ही लगातार जनता के बीच जा रहे हैं. तो वहीं सोमवार को सचिन पायलट भी हाड़ौती के दौरे (Satish Poonia on Kota tour) पर पहुंचे. दूसरी ओर बीजेपी खेमे में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया लगातार दौरे (Satish Poonia on Kota tour) कर रहे हैं.
बता दें, सूबे की राजनीति में दो ही प्रमुख दल हैं, जिनकी सरकार बीते तीन दशक से है. लेकिन दोनों ही दलों भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के नेताओं के बीच आपसी खींचतान चल रही है. राजस्थान में सत्तासीन कांग्रेस सत्ता के संघर्ष से गुजर रही है. एक तरफ नेतृत्व परिवर्तन की बातें चल रही है तो दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी आने वाले चुनाव में सत्ता में आने के लिए लालायित है और प्रयास कर रही है. लेकिन दोनों ही पार्टियों में अंतर्कलह (Factionalism in Rajasthan BJP and Congress) चुनौती दे रहा है.
गुटबाजी का सामना- सतीश पूनिया को वसुंधरा गुट ने हाड़ौती में चुनौती दी है तो दूसरी तरफ हाड़ौती के झालावाड़ और कोटा के दौरे पर आए सचिन पायलट को सूबे के मुख्यमंत्री गहलोत गुट के नेता, विधायक और मंत्रियों की गुटबाजी का सामना करना पड़ा. उनके गुट का एक भी नेता नहीं पहुंचा.
प्रहलाद गुंजल बोले- नहीं थी दौरे की जानकारी: हाड़ौती दौरे पर आए राजस्थान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को भी वसुंधरा गुट ने चुनौती दी है. कोटा में वसुंधरा गुट से जुड़े पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल, भवानी सिंह राजावत और विद्याशंकर नंदवाना नदारद रहे. प्रहलाद गुंजल का कहना है कि कोटा जिला और प्रदेश संगठन से सतीश पूनिया के दौरे की कोई सूचना नहीं आई थी. ऐसे में वे कार्यक्रम में शामिल होने के लिए नहीं पहुंचे. साथ ही उन्हें यह भी जानकारी नहीं थी कि क्या-क्या कार्यक्रम सतीश पूनिया के हैं.
बारां में वसुंधरा गुट के ये नेता रहे नदारद- सतीश पूनिया के समर्थक नेताओं की ओर से बारां में सभी मोर्चों का संयुक्त सम्मेलन आयोजित किया गया था. हालांकि इस सम्मेलन पर भी बीकानेर दौरे पर गई सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का असर देखने को मिला. बारां जिले के जिला अध्यक्ष जगदीश मीणा वसुंधरा गुट के हैं और उन्हीं के कट्टर समर्थक हैं. ऐसे में वे पूरी कार्यकारिणी के साथ ही नदारद रहे. हालांकि, मोर्चा के अध्यक्ष और पदाधिकारी मौजूद थे. वसुंधरा गुट के भी कई कार्यकर्ता सम्मलेन में मौजूद रहे, लेकिन नेताओं ने पूरी तरह से दूरी बना कर रखी.
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ये नेता रहे नदारद- नदारद रहे नेताओं में छबड़ा विधायक प्रताप सिंह सिंघवी, जिला महामंत्री ब्रह्मानंद शर्मा, पूर्व विधायक रामपाल मेघवाल, पूर्व जिलाप्रमुख नंदलाल सुमन, पूर्व जिला अध्यक्ष चंद्रप्रकाश विजय, पूर्व वृद्धजन बोर्ड के अध्यक्ष प्रेम नारायण गालव, पूर्व चेयरमैन नगरपालिका चेयरमैन यशभानु जैन और पूर्व जिला अध्यक्ष नरेश सिंह सिकरवार कार्यक्रम से दूरी बनाए रखे. यहां तक कि इन्होंने प्रदेश अध्यक्ष का स्वागत भी नहीं किया.
विरोधी गुट के ये नेता रहे मौजूद- दूसरी तरफ, इस कार्यक्रम में प्रदेश महामंत्री मदन दिलावर, प्रदेश उपाध्यक्ष चंद्रकांता मेघवाल, प्रदेश उपाध्यक्ष हेमराज मीणा, पूर्व विधायक ललित मीणा, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य आनंद गर्ग सहित कई लोग मौजूद थे. इसके अलावा कोटा से बारां के बीच में कई जगह पर सतीश पूनिया का स्वागत भी किया गया. इसके अलावा कोटा दौरे पर बीजेपी संगठन देहात और शहर के अलावा विधायक संदीप शर्मा, कल्पना देवी और पूर्व विधायक हीरालाल नागर सहित कई नेता भी साथ रहे.
हाड़ौती के सातों विधायक भी दौरे से रहे दूर- यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के गृह नगर में पायलट का जबरदस्त स्वागत हुआ, लेकिन हाड़ौती एक भी विधायक उनसे मुलाकात करने नहीं पहुंचा. इनमें यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल, खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया, खेल एवं युवा मंत्री अशोक चांदना, पूर्व मंत्री भरत सिंह, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष रामनारायण मीणा, बारां से पानाचंद मेघवाल और निर्मला सहरिया शामिल है. यहां तक कि बूंदी और बारां जिले से कांग्रेस कार्यकारिणी का कोई भी पदाधिकारी भी उनसे मिलने नहीं पहुंचा था. यह सब गुटबाजी के चलते ही हुआ है, क्योंकि हाड़ौती में पायलट समर्थक एक भी विधायक नहीं है.
धारीवाल के साथ नजर आने वाले एक भी नेता नहीं दिखे- शहर जिलाध्यक्ष रविंद्र त्यागी के अलावा यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के दौरे और कार्यक्रम में नजर आने वाले अमित धारीवाल, डॉ. जफर मोहम्मद, शिवकांत नंदवाना सहित कई नेता दूर रहे. यहां तक की शहर कांग्रेस कार्यकारिणी भी पूरी तरह से दूर था. इधर, खादी ग्रामोद्योग के उपाध्यक्ष पंकज मेहता, कोटा के दोनों महापौर राजीव अग्रवाल भारती, मंजू मेहरा, उपमहापौर पवन मीणा, सोनू कुरैशी पायलट के दौरे से दूर रहे. यहां तक कि इक्के दुक्के पार्षद ही पहुंचे थे. जबकि कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों में राखी गौतम, नईमुद्दीन गुड्डू और रामगोपाल बैरवा मौजूद थे. देहात जिलाध्यक्ष सरोज मीणा भी मौजूद थी.
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नेताओं से दूरी मिटाने के लिए मिलने पहुंचे पायलट- पायलट ने दौरे के दौरान कांग्रेस के दूसरे धड़े के नेताओं से भी मुलाकात की. झालावाड़ में वे खानपुर के पूर्व विधायक मीनाक्षी चंद्रावत से मिले और उनसे करीब 20 मिनट तक चर्चा की. हालांकि यह मुलाकात अकेले में हुई. इसके बाद जब कोटा पहुंचे, तो उन्होंने विधायक भरत सिंह से भी मुलाकात की. विधायक भरत सिंह और मीनाक्षी चंद्रावत दोनों ही खेमे बाजी से दूर रहे हैं. हालांकि इस मुलाकात के बाद भरत सिंह ने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया, लेकिन उन्होंने यह कहा कि पायलट के पिता से उनके अच्छे संबंध थे. इसी की अनुसरण पायलट भी कर रहे हैं. गहलोत को भी अपना करीबी बताया है. हालांकि भरत सिंह न तो 2020 में हुई बाड़ेबंदी में शामिल हुए थे और न ही वे शांति धारीवाल के निवास पर हुई विधायकों की बैठक में पहुंचे थे.