कोटा. नगर विकास न्यास ने स्मार्ट सिटी के तहत कोटा शहर के बूंदी रोड स्थित हर्बल पार्क में देश का पहला डेडीकेटेड व राजस्थान के पहले स्नेक पार्क का 7 करोड़ की लागत में निर्माण करवाया है. वहीं, इस स्नेक पार्क को सेंट्रल जू अथॉरिटी ऑफ इंडिया से भी अनुमति मिल गई है. ऐसे में अब स्नेक लाने की कयावद भी नगर विकास न्यास की ओर से शुरू होने जा रही है. नगर विकास न्यास के सचिव मानसिंह मीणा ने बताया कि सेंट्रल जू अथॉरिटी ऑफ इंडिया से स्नेक पार्क को संचालित करने की अनुमति मिल गई. इसमें गाइडलाइन के अनुसार सांपों को लाने के लिए प्रयास किया जा रहा है. सांपों को किस तरह से यहां लाया जाएगा, यह पूरा काम वन्य जीव विभाग के नियमानुसार होगा. इसके लिए सेंट्रल जू अथॉरिटी से अनुमति ली जाएगी.
इस स्नेक पार्क का प्रोजेक्ट बनवाने से लेकर इसके निर्माण और सांपों की कोटा शिफ्टिंग तक का पूरा काम विनीत महोबिया देख रहे हैं. वह इसके प्रोजेक्ट मैनेजर हैं. उनका कहना है कि इस स्नेक पार्क में जल्द ही सांपों को शिफ्ट किया जाएगा. साथ ही इसका इनॉग्रेशन भी किया जाएगा. इसके लिए देशभर के स्नेक पार्क से पत्राचार भी नगर विकास न्यास का चल रहा है.
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केवल जू से ही शिफ्ट होंगे सांप : महोबिया के अनुसार जिस तरह से चिड़ियाघर या बायोलॉजिकल पार्क में रहने वाले वन्य जीव और पक्षियों को केवल नए या दूसरे चिड़ियाघर या बायोलॉजिकल पार्क में भेजा जा सकता है. रेस्क्यू किए गए या जंगल से आए हुए वन्य जीव या पक्षियों को चिड़ियाघर या बायोलॉजिकल पार्क में नहीं छोड़ा जाता है. इस तरह से स्नेक पार्क में भी रहने वाले स्नेक को ही स्नेक पार्क में शिफ्ट किया जाता है, जबकि रेस्क्यू हुए स्नेक को जंगल में छोड़ने का प्रावधान है. साथ ही स्नेक पार्क में किसी भी स्नेक को रखने के पहले केंद्रीय जीव अथॉरिटी से अनुमति लेनी पड़ती है.
सांप के अनुकूल वातावरण बनाना भी चुनौती : इस स्नेक पार्क में 29 केज बनाए गए हैं, जहां पर सांपों को रखा जाना है. विनीत महोबिया ने बताया कि विदेशी चार प्रजाति के आठ सांपों को रखा जाना है. इनमें बॉल पायथन, कॉर्न स्नेक, मिल्क स्नेक व मेक्सिकन ब्लैक किंग स्नेक शामिल हैं. इसके अलावा देश-विदेश में पाए जाने वाले कई सांप ठंडा और गर्म प्रदेशों में रहते हैं. उनको अलग-अलग समय पर अलग-अलग तापमान व वातावरण की जरूरत होती है. ऐसे में कोटा में डेडीकेटेड स्नेक पार्क में भी सांपों के लिए वैसा वातावरण उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती होगी. विनीत महोबिया का कहना है कि कई सांपों के लिए एयर कंडीशन और कई के लिए हीटर की जरूरत रहेगी. अधिकांश स्नेक पार्क सर्दी में बंद हो जाते हैं, लेकिन कोटा में ऐसा नहीं हो इसके प्रयास किए जाएंगे. यह पूरी तरह से ढका हुआ और हीट प्रूफ है.
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स्नेक पार्क में रहेंगे 18 प्रजाति के 200 से ज्यादा सांप : इस स्नेक पार्क में विषैले और गैर विषैले दोनों तरह के सांपों को रखा जाएगा. महोबिया के अनुसार कोटा में बनकर तैयार हुए डेडीकेटेड स्नेक पार्क में शुरुआती तौर पर 18 प्रजाति के 200 से ज्यादा सांपों को रखा जाना है. इनमें चार विदेशी प्रजाति के हैं. यह चारों ही सांप गैर विषैले हैं, जिनको लाने के लिए नगर विकास न्यास स्तर पर प्रक्रिया जारी है. वहीं, शेष 14 भारतीय प्रजाति के सांप हैं. इनमें विषैले सांपों में इंडियन कोबरा, कॉमन इंडियन क्रेट और रसेल वाइपर शामिल हैं. इसके अलावा गैर विषैले सांपों में इंडियन पाइथन, रेट स्नेक, चेकरेड कील बैक, ब्रोंज बैक कील स्नेक, त्रिंकेट स्नेक, कैट स्नेक, बैंडेड कूकरी, वुल्फ स्नेक, रेड स्पॉटेड रॉयल, फॉर्स्टन कैट स्नेक व बैंडेड रेसर शामिल हैं.
इसलिए है देश का पहला डेडीकेटेड स्नेक पार्क : कोटा में देश का डेडीकेटेड स्नेक पार्क बना है. जबकि शेष जगहों पर बायोलॉजिकल या जू के साथ ही इसका संचालन किया जाता है. हालांकि, इस समय वहां भी सांपों की संख्या घटी है. इसी के चलते कोटा में सांप शिफ्ट करने में भी परेशानी आ सकती है, क्योंकि वहां भी सांपों की कमी बनी हुई है. भारत में करीब एक दर्जन के आसपास स्नेक पार्क हैं. वहां पर रहने वाले सांपों के प्रजनन से बढ़ाने वाली संख्या ही दूसरे स्नेक पार्क में भेजी जाती है. ऐसे में इसके लिए भी सेंट्रल जू अथॉरिटी ऑफ इंडिया ही अनुमति देती है.
10 महीने से था अनुमति का इंतजार : स्नेक पार्क का निर्माण 2021 में शुरू हुआ था, लेकिन करीब 15 महीने इसके निर्माण में लगे और 10 माह से ये पार्क बनकर तैयार है. हालांकि, यूआईटी कोटा ने राज्य सरकार के वन्य जीव विभाग के जरिए सेंट्रल जू अथॉरिटी ऑफ इंडिया से अनुमति मांगी थी, इस अनुभूति में ही 10 महीने का समय लग गया. तैयार स्नेक पार्क को भी सांप का स्वरूप दिया गया है. सांप की तरह ही इसे बनाया गया है. पार्क के साथ ही शेषनाग की प्रतिमा लगाकर फाउंटेन भी बनाए गए हैं. इसके साथ ही अंदर जहां पर सांपों को रखा जाएगा. वहां भी इस तरह की पेंटिंग या दीवारों पर पोस्टर लगाए गए हैं, ताकि सांपों को जंगल जैसा ही फील हो.
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यूआईटी वन्य जीव विभाग के सहयोग से करेगी संचालित : नगर विकास न्यास, फॉरेस्ट, वाइल्डलाइफ और डिपार्टमेंट साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग के सहयोग से इसका संचालन किया जाना है. यहां देश में मिलने वाले सांप और उनकी प्रजातियों के बारे में बच्चे और लोगों को जानकारी दी जाएगी. साथ ही देश भर से जूलॉजी, वाइल्डलाइफ, फॉरेस्ट और एग्रीकल्चर, हॉर्टिकल्चर के स्टूडेंट को रिसर्च का मौका भी मिलेगा, जिसमें वे रिसर्च और एजुकेशन रेप्टाइल के बारे में समझ सकेंगे. इसमें एक म्यूजियम भी बना है, जिसमें सांपों की उत्पत्ति से लेकर वर्तमान स्वरूप तक को प्रदर्शित किया जाएगा. इसके साथ ही डिजिटल प्रेजेंटेशन की भी व्यवस्था की गई है.