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कोटाः इटावा के खातोली में मिला रियासत कालीन टिकट - खातोली रियासत

इटावा के खातोली कस्बे में रियासत कालीन चार आने का टिकट मिला है, जो क्षेत्र में चर्चाओं का विषय बन गया है. कहा जाता है कि रियासत काल में करवाड़, पीपल्दा, खातोली, गैंता राजा-महाराजाओं का गढ़ हुआ करता था.

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इटाव के खातोली में मिला रियासत कालीन टिकट
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Published : Aug 14, 2020, 1:24 PM IST

Updated : Aug 14, 2020, 3:33 PM IST

इटावा (कोटा). उपखंड क्षेत्र का खातोली कस्बा आजादी से पहले राजतंत्र का एक हिस्सा हुआ करता था और एक समय राजा-महाराजाओं का गढ़ हुआ करता था. रियासत काल में राज दरबार द्वारा रियासतें चलाई जाती थीं. यह हम नहीं कह रहे है, इसका प्रमाण दे रहा है, वह कागज का टुकड़ा, जो रियासत काल में उपयोग में लाया जाता था.

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राजदरबार में किसी व्यक्ति के दंडित होने पर उस राजदरबार के राजा के नाम से जारी टिकिट का उपयोग किया जाता था. ऐसा एक टिकट सामने आया है, जो राजा महाराजाओं के समय में उपयोग में लाया जाता था. 4 आने का यह टिकट खातोली दरबार के सब्जीपुरा गांव निवासी किसी पटेल के जमाने में उपयोग में लाया गया था.

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यह टिकट जब एक पुराने संदूक में मिला, तो खातोली राजदरबार की याद ताजा हो गई और लोगों में खातोली राज दरबार के प्रति चर्चाओं का दौर शुरू हो गया. बता दें कि राजतंत्र के समय खातोली में राज दरबार हुआ करता था. इसका एक सबूत यह भी है कि यहां राजा-महाराजाओं के समय का गढ़ स्थित है और अब इस राज दरबार के टिकिट ने इस बात को और मजबूती दे दी है. खातोली के पुराने लोग बताते है कि रियासत काल में करवाड़, पीपल्दा, खातोली, गैंता गढ़ हुआ करता था और राजा-महाराजाओं के द्वारा ही राजतंत्र चलाया जाता था.

इटावा (कोटा). उपखंड क्षेत्र का खातोली कस्बा आजादी से पहले राजतंत्र का एक हिस्सा हुआ करता था और एक समय राजा-महाराजाओं का गढ़ हुआ करता था. रियासत काल में राज दरबार द्वारा रियासतें चलाई जाती थीं. यह हम नहीं कह रहे है, इसका प्रमाण दे रहा है, वह कागज का टुकड़ा, जो रियासत काल में उपयोग में लाया जाता था.

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राजदरबार में किसी व्यक्ति के दंडित होने पर उस राजदरबार के राजा के नाम से जारी टिकिट का उपयोग किया जाता था. ऐसा एक टिकट सामने आया है, जो राजा महाराजाओं के समय में उपयोग में लाया जाता था. 4 आने का यह टिकट खातोली दरबार के सब्जीपुरा गांव निवासी किसी पटेल के जमाने में उपयोग में लाया गया था.

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यह टिकट जब एक पुराने संदूक में मिला, तो खातोली राजदरबार की याद ताजा हो गई और लोगों में खातोली राज दरबार के प्रति चर्चाओं का दौर शुरू हो गया. बता दें कि राजतंत्र के समय खातोली में राज दरबार हुआ करता था. इसका एक सबूत यह भी है कि यहां राजा-महाराजाओं के समय का गढ़ स्थित है और अब इस राज दरबार के टिकिट ने इस बात को और मजबूती दे दी है. खातोली के पुराने लोग बताते है कि रियासत काल में करवाड़, पीपल्दा, खातोली, गैंता गढ़ हुआ करता था और राजा-महाराजाओं के द्वारा ही राजतंत्र चलाया जाता था.

Last Updated : Aug 14, 2020, 3:33 PM IST
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