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Old pension scheme के लिए लाखों रुपए की निकाली रिकवरी, विरोध में साथ आए चार विश्वविद्यालय के कर्मचारी - NPS amount to be given by employees

कोटा के चार विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने ओल्ड पेंशन स्कीम के लिए विरोध प्रदर्शन किया है. उनका कहना है कि उनसे एनपीएस का पैसा वसूल ना करके इसका भुगतान राज्य सरकार करे.

NPS amount to be given by employees, Protest by 4 universities staff in Kota
Old pension scheme के लिए लाखों रुपए की निकाली रिकवरी, विरोध में साथ आए चार विश्वविद्यालय के कर्मचारी
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Published : Jun 13, 2023, 6:54 PM IST

कोटा. शहर के चार विश्वविद्यालय के कर्मचारी अब ओल्ड पेंशन स्कीम के लिए लामबंद हो गए हैं. इन कर्मचारियों ने कहा कि उन्हें ओल्ड पेंशन स्कीम का फायदा सरकार की गलत मंशा के चलते नहीं मिल पाएगा. घोषणा के 1 साल बाद हमारी ओल्ड पेंशन में अड़ंगे लगाए जा रहे है. इसको लेकर मंगलवार को चारों विश्वविद्यालय के सैकड़ों की संख्या में कार्मिकों ने सर्किट हाउस से रैली निकालकर कलेक्ट्रेट पर विरोध प्रदर्शन किया. साथ ही कलेक्टर को मुख्यमंत्री के ज्ञापन दिया है.

साफ हिदायत दी गई है कि अगर उनकी ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली नहीं की जाती है, तो वह आगे यूनिवर्सिटी तक को बंद कर देंगे. इस प्रदर्शन में कोटा विश्वविद्यालय, राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय, कोटा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी और वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय ओपन यूनिवर्सिटी के कार्मिक शामिल हुए. विरोध कर रहे कार्मिकों का कहना है कि 15 जून तक उन्हें एक ऑप्शन फॉर्म भरने के लिए कहा गया है. जिसमें ओल्ड पेंशन स्कीम लेनी है या नहीं इसका जिक्र करना है.

पढ़ेंः BJP on OPS: कर्मचारी वोट बैंक जुटाने के लिए बीजेपी ने ओपीएस की विसंगति दूर कर व्यवहारिक बनाने का खेला दांव

वित्त विभाग ने एक लेटर जारी किया है. जिसके अनुसार 30 जून तक उन्हें एनपीएस का पैसा 12 फीसदी ब्याज के साथ जमा कराना है. यह पैसा सैलरी का करीब 10 फीसदी के आसपास होता है. विरोध कर रहे आरएस नारोलिया का कहना है कि हमारी मांगे नहीं मानी जाएगी तो, हम प्रदर्शन को उग्र कर देंगे. यूनिवर्सिटी भी बंद की जाएगी. हमारे चारों यूनिवर्सिटी के कार्मिक एक हो गए हैं. हमारी महज एक ही मांग है कि 20 अप्रैल 2023 को निकाले गए वित्त विभाग के पत्र में से बिंदु संख्या 8 को वापस लिया जाए. जिसमें कर्मचारियों को ही एनपीएस की कटौती का पैसा जमा करवाने के लिए कहा गया है.

यह है पूरा मामला: इस मामले में सामने आ रहा है कि केंद्र सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम के लिए एनपीएस का पैसा राज्य सरकार को नहीं दे रही है. ऐसे में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने के लिए एनपीएस का भार कर्मचारियों पर डाला जा रहा है. दूसरी तरफ राज्य सरकार ने अप्रैल 2022 से ही एनपीएस की कटौती बंद कर दी थी. यह पैसा केंद्र सरकार के पास भी नहीं जा रहा था. ऐसे में साल 2004 के बाद में लगे सैकड़ों की संख्या में यूनिवर्सिटी के टीचिंग से लेकर क्लियरिकल और सभी कार्मिकों पर ओपीएस का फायदा लेने के पहले लाखों रुपए जमा कराने की तलवार लटकी हुई है. यह राशि 3 से लेकर 40 लाख रुपए तक है.

पढ़ेंः ओपीएस लागू करने की मांग को लेकर रेलवे कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन

सरकार वहन करे एनपीएस का खर्चः प्रवीण शर्मा का कहना है कि हमारी मांग है कि राज्य सरकार के सभी कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम का फायदा दे दिया गया है. साथ ही केंद्र से एनपीएस का पैसा नहीं मिलने के चलते राज्य सरकार इसे वहन कर रही है. ऐसे में सभी ऑटोनॉमस बॉडी यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों को भी इसका फायदा मिलना चाहिए. उनका पैसा या तो यूनिवर्सिटी जमा करा दे या फिर राज्य सरकार जमा कराए. जबकि इसकी जगह सरकार यूनिवर्सिटी कार्मिकों को ही बाध्य कर रही है कि वह केंद्र सरकार से एनपीएस का पैसा लेकर आए. यह असंभव है. इसी के चलते रिकवरी कर्मचारियों से निकाल दी गई है. जब 2022 में ही सभी यूनिवर्सिटी कार्मिकों को ओपीएस का फायदा देने की घोषणा कर दी गई थी, तो फिर 1 साल बाद रिकवरी निकालने का कोई औचित्य नहीं है.

पढ़ेंः Raghuram Rajan on OPS: 'पुरानी पेंशन योजना में जाने से भविष्य में देनदारी बढ़ सकती है'

अचानक से मांगे लाखों रुपए, कैसे जमा कराएंः कर्मचारियों के नेता चमन तिवारी का कहना है कि वित्त विभाग ने तुगलकी फरमान जारी किया है. इससे विश्वविद्यालय के 2004 के बाद लगे सभी कर्मचारियों को नुकसान हो रहा है. जबकि हमारा कहना है कि जब एनपीएस से पैसा वापस कर्मचारी को मिलेगा, तब राज्य सरकार उसे वसूल कर ले. आज की तारीख में कई कर्मचारियों के पास लाखों रुपए नहीं है, ऐसे में वह ओपीएस के लिए पैसा कहां से जमा कराएंगे. ऐसे में यह पैसा या तो राजस्थान सरकार खुद दे या फिर ऑटोनॉमस बॉडी विश्वविद्यालयों को निर्देशित किया जाए कि वह इस पैसे को जमा करा दे. बाद में कर्मचारियों से आने पर ले लिया जाए.

कोटा. शहर के चार विश्वविद्यालय के कर्मचारी अब ओल्ड पेंशन स्कीम के लिए लामबंद हो गए हैं. इन कर्मचारियों ने कहा कि उन्हें ओल्ड पेंशन स्कीम का फायदा सरकार की गलत मंशा के चलते नहीं मिल पाएगा. घोषणा के 1 साल बाद हमारी ओल्ड पेंशन में अड़ंगे लगाए जा रहे है. इसको लेकर मंगलवार को चारों विश्वविद्यालय के सैकड़ों की संख्या में कार्मिकों ने सर्किट हाउस से रैली निकालकर कलेक्ट्रेट पर विरोध प्रदर्शन किया. साथ ही कलेक्टर को मुख्यमंत्री के ज्ञापन दिया है.

साफ हिदायत दी गई है कि अगर उनकी ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली नहीं की जाती है, तो वह आगे यूनिवर्सिटी तक को बंद कर देंगे. इस प्रदर्शन में कोटा विश्वविद्यालय, राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय, कोटा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी और वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय ओपन यूनिवर्सिटी के कार्मिक शामिल हुए. विरोध कर रहे कार्मिकों का कहना है कि 15 जून तक उन्हें एक ऑप्शन फॉर्म भरने के लिए कहा गया है. जिसमें ओल्ड पेंशन स्कीम लेनी है या नहीं इसका जिक्र करना है.

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वित्त विभाग ने एक लेटर जारी किया है. जिसके अनुसार 30 जून तक उन्हें एनपीएस का पैसा 12 फीसदी ब्याज के साथ जमा कराना है. यह पैसा सैलरी का करीब 10 फीसदी के आसपास होता है. विरोध कर रहे आरएस नारोलिया का कहना है कि हमारी मांगे नहीं मानी जाएगी तो, हम प्रदर्शन को उग्र कर देंगे. यूनिवर्सिटी भी बंद की जाएगी. हमारे चारों यूनिवर्सिटी के कार्मिक एक हो गए हैं. हमारी महज एक ही मांग है कि 20 अप्रैल 2023 को निकाले गए वित्त विभाग के पत्र में से बिंदु संख्या 8 को वापस लिया जाए. जिसमें कर्मचारियों को ही एनपीएस की कटौती का पैसा जमा करवाने के लिए कहा गया है.

यह है पूरा मामला: इस मामले में सामने आ रहा है कि केंद्र सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम के लिए एनपीएस का पैसा राज्य सरकार को नहीं दे रही है. ऐसे में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने के लिए एनपीएस का भार कर्मचारियों पर डाला जा रहा है. दूसरी तरफ राज्य सरकार ने अप्रैल 2022 से ही एनपीएस की कटौती बंद कर दी थी. यह पैसा केंद्र सरकार के पास भी नहीं जा रहा था. ऐसे में साल 2004 के बाद में लगे सैकड़ों की संख्या में यूनिवर्सिटी के टीचिंग से लेकर क्लियरिकल और सभी कार्मिकों पर ओपीएस का फायदा लेने के पहले लाखों रुपए जमा कराने की तलवार लटकी हुई है. यह राशि 3 से लेकर 40 लाख रुपए तक है.

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सरकार वहन करे एनपीएस का खर्चः प्रवीण शर्मा का कहना है कि हमारी मांग है कि राज्य सरकार के सभी कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम का फायदा दे दिया गया है. साथ ही केंद्र से एनपीएस का पैसा नहीं मिलने के चलते राज्य सरकार इसे वहन कर रही है. ऐसे में सभी ऑटोनॉमस बॉडी यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों को भी इसका फायदा मिलना चाहिए. उनका पैसा या तो यूनिवर्सिटी जमा करा दे या फिर राज्य सरकार जमा कराए. जबकि इसकी जगह सरकार यूनिवर्सिटी कार्मिकों को ही बाध्य कर रही है कि वह केंद्र सरकार से एनपीएस का पैसा लेकर आए. यह असंभव है. इसी के चलते रिकवरी कर्मचारियों से निकाल दी गई है. जब 2022 में ही सभी यूनिवर्सिटी कार्मिकों को ओपीएस का फायदा देने की घोषणा कर दी गई थी, तो फिर 1 साल बाद रिकवरी निकालने का कोई औचित्य नहीं है.

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अचानक से मांगे लाखों रुपए, कैसे जमा कराएंः कर्मचारियों के नेता चमन तिवारी का कहना है कि वित्त विभाग ने तुगलकी फरमान जारी किया है. इससे विश्वविद्यालय के 2004 के बाद लगे सभी कर्मचारियों को नुकसान हो रहा है. जबकि हमारा कहना है कि जब एनपीएस से पैसा वापस कर्मचारी को मिलेगा, तब राज्य सरकार उसे वसूल कर ले. आज की तारीख में कई कर्मचारियों के पास लाखों रुपए नहीं है, ऐसे में वह ओपीएस के लिए पैसा कहां से जमा कराएंगे. ऐसे में यह पैसा या तो राजस्थान सरकार खुद दे या फिर ऑटोनॉमस बॉडी विश्वविद्यालयों को निर्देशित किया जाए कि वह इस पैसे को जमा करा दे. बाद में कर्मचारियों से आने पर ले लिया जाए.

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