रामगंजमंडी (कोटा). कोरोना वायरस के बीच हुए लॉकडाउन से सबसे ज्यादा परेशान मजदूर वर्ग के लोगों को होना पड़ा है. ऐसे में शायद ही कोई इन मजदूरों का दर्द समझ सके. कोटा के रामगंजमंडी क्षेत्र में स्थित सीमेंट फैक्ट्री के अधीन कार्य करवाने वाली दो लिमिटेड कंपनी के तकरीबन एक के 150 मजदूर और दूसरे के 50 मजदूर ऐसे है, जो सीमेंट फैक्ट्री में जाने वाले मैटेरियल को खाद्यान से निकाल क्रेशर तक पहुचाने का कार्य करते है.
बता दें कि अब तक इन मजदूरों को अप्रैल माह का वेतन नहीं दिया गया, जिससे इनके घर का बजट पूरी तरह बिगड़ चुका है. अब ये मजदूपर सरकार से मदद की गुहार लगा रहे है. इन कंपनियों में काम करने वाले अधिकांश प्रवासी मजदूर है, जो कई सालों से यहां काम कर रहे थे और अपने साथ अपने परिवार का पेट पाल रहे थे. ऐसे में इनके घर का बजट बिगाड़ने के लिए कोरोना वायरस ने दस्तक दी, वहां तक भी ठीक था. लेकिन देश में लॉकडाउन की गई तब सभी व्यापार पर ताले लग गए.
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ऐसे में सरकार ने मजदूरों की आर्थिक सहायता करते हुए कई मजदूरों को राशन सामग्री पहुंचाने का कार्य किया, लेकिन इन मजदूरों को किसी प्रकार का कोई लाभ नही मिल पाया. दिन-रात काम कर देश के भविष्य में भागीदारी देने वाले इन मजदूरों को आर्थिक मंदी की मार झेलनी पड़ रही है.
इसके साथ ही इन मजदूरों पर 2 महीनों का किराया भी बकाया हो गया है, इनके घर में राशन तक नहीं है. ऐसे में जिस कंपनी में काम करते है, अगर कंपनी वेतन देने से मना कर दे, तो इन मजदूरों पर क्या बीत रही होगी? इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. अब ये मजदूर सरकार और स्थानीय प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहे है.
इन मजदूरों में कोई बिहार से है, तो कोई राजस्थान के अन्य हिस्सों से है, तो इसमें कई स्थानीय भी शामिल है. अब तो ऐसी हालत हो गई है कि इन मजदूरों को सामान देने वालों दुकानदारों को पैसा नहीं दिया गया तो इनके घर पर राशन और दूध भी आना बंद हो जाएगा. ऐसे में इन मजदूरों ने ईटीवी भारत के माध्यम से अपने दुख को बताया और सरकार से मदद की गुहार लगाई है.