कोटा. हाड़ौती में मकर संक्रांति पर पतंगबाजी का बड़े स्तर पर चलन है. क्षेत्र की फिजाओं में 'ये काटा वो काटा की सदाएं' जमकर गूंजती है. इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि चाइनीज और मोनोकाइट मांझे के चलते पतंगबाजी पक्षियों पर जानलेवा साबित होती रही है. बीते कई सालों से पक्षियों पर चाइनीज मांझा भारी पड़ रहा है. पक्षियों के पंखों व शरीर के अंगों में यह उलझ जाता है, जिनसे उन्हें जान भी खोनी पड़ती है. ऐसे में पक्षियों के उपचार और उन्हें बचाने के लिए ह्यूमन हेल्पलाइन हर साल आगे आता है और पक्षी एंबुलेंस लेकर कई तरह की व्यवस्था भी उनके लिए किया जाता है.
इस बार भी मकर संक्रांति से पहले ही ह्यूमन हेल्पलाइन एक्टिव हो गई. उन्होंने 6 पक्षी एंबुलेंस भी इसके लिए तैनात की है. ये पक्षी एंबुलेंस मकर संक्रांति के चलते 5 दिन से कार्यरत है. शहर के अलग-अलग इलाकों में इनकी तैनाती की गई है. वहीं, हेल्पलाइन नंबर के जरिए इन्हें जैसे ही पक्षी के घायल होने की सूचना मिलती है. मौके पर जाकर यह पक्षियों को रेस्क्यू करेगी. उन्हें उपचार के लिए रेस्क्यू सेंटर पर ले जाया जाएगा. पक्षी के गंभीर घायल होने पर उसे मौखापाड़ा स्थित बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय या जंतुआलय ले जाकर उनका उपचार करेगी.
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ह्यूमन हेल्पलाइन के संयोजक मनोज जैन आदिनाथ का कहना है कि इस मकर संक्रांति के सीजन के पहले ही 37 पक्षी अभी तक घायल हो चुके हैं, जिनमें से एक पक्षी की मौत भी हुई है. इनमें अधिकांश कबूतर है. इसके अलावा बटेर, बगुला व चिड़िया भी घायल हुई हैं. ये सभी चायनीज या मोनोकाइट मांझे से उलझ कर फंसे थे, जिन्हें लोगों की सूचना पर रेस्क्यू किया गया था.
200 पक्षियों को रखने के लिए पिंजरे मौजूद : मनोज जैन आदिनाथ ने बताया कि उन्होंने चार बाइक और दो वैन में एंबुलेंस बनाई है. यह पक्षी एंबुलेंस बीते 4 से 5 दिनों से कार्यरत है. आने वाली मकर संक्रांति पर इन्हें अलग-अलग इलाकों में तैनात कर दिया जाएगा. उनके इस अभियान में कुछ लोग भी जुड़े हुए हैं. वह भी रेस्क्यू के काम में जुट जाते हैं. कुछ पक्षियों को प्राथमिक उपचार खुद दे देते हैं, बाकी को अस्पताल भी ले जाया जाता है. साथ ही, उन्होंने करीब 200 पक्षियों को रखने के लिए पिंजरे भी अपने रेस्क्यू सेंटर पर बनाए हैं, जहां इन घायल पक्षियों को रखा जाता है.
यहां पर तैनात रहेगी रेस्क्यू टीम : मनोज जैन आदिनाथ का कहना है कि इन पक्षियों में बाज, सारस, बतख, चिड़िया, कबूतर, तोता, बगुला, चील सहित कई अन्य पक्षी भी घायल हो जाते हैं. इन्हें रेस्क्यू कर प्लास्टिक की बास्केट में पूरी सेफ्टी से उन्हें लाया जाता है. साथ ही प्रारंभिक इलाज भी दिया जाता है. मांझे को कैंची से काटकर उन्हें छुड़ाया जाता है. इसके बाद उनके घाव का उपचार भी किया जाता है. एक सप्ताह तक दादाबाड़ी, स्वामी विवेकानंद नगर, कुन्हाड़ी, डीसीएम क्षेत्र में अलग-अलग टीम तैनात रहेगी. कॉल सेंटर पर नंबर आने के बाद तुरंत टीम को मौके पर भेज दिया जाता है. वे यह काम बीते कई सालों से करते आ रहे हैं.
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बीते साल सामने आए थे 314 घायल पक्षी : आदिनाथ ने बताया कि बीते साल घायल 314 पक्षी सामने आए थे. इनमें से 29 पक्षियों की मौत पूरे साल भर में हो गई थी. मकर संक्रांति के दौरान यह संख्या बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि चाइनीज मांझे का उपयोग लोगों को बंद कर देना चाहिए. इससे पक्षियों के लिए काफी समस्या पैदा हो रही है. यहां तक की आम व्यक्ति भी इससे कट जाता है. हर साल छोटे बच्चों और दोपहिया वाहन सवारों के लिए भी यह खतरा बना हुआ है. मनोज जैन आदिनाथ का कहना है कि उन्होंने बीते कुछ सालों में 1500 से ज्यादा पक्षियों का रेस्क्यू किया है. इसके बाद भी आम व्यक्ति इसका उपयोग करते नहीं मान रहा है.
इधर, चाइनीज मांझा बेचते हुए पुलिस ने कार्रवाई की और एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है. शहर एसपी शरद चौधरी ने बताया कि चाइनीज मांझे के खिलाफ अभियान छेड़ा हुआ है. ऐसे में किशोरपुरा थाना पुलिस ने कार्रवाई करते हुए साजिदेहड़ा रामद्वारे के सामने रहने वाले दानिश अहमद को गिरफ्तार किया है और उसके पास से चाइनीस मांझे के पांच रोल भी बरामद किए हैं. वह बीते काफी दिनों से प्रतिबंधित चाइनीज मांझे का व्यापार कर रहा था.