कोटा. शहर में करोड़ों रुपए के विकास कार्य (Development work in Kota) करवाए जा रहे हैं. इनके तहत अगले 25 सालों को ध्यान में रखते हुए कई वैकल्पिक मार्गों का निर्माण भी किया जा रहा है लेकिन तीन वैकल्पिक मार्ग ऐसे हैं. जिनका निर्माण अभी अधर में झूल रहा है. इन मार्गों पर नगर विकास न्यास करोड़ों रुपए लगा चुका है लेकिन आधे अधूरे निर्माण के चलते इनका फायदा आम जनता को नहीं मिल पा रहा है.
इन तीनों निर्माणों की समय सीमा काफी निकल चुकी है. प्रदेश के यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल (UDH Minister Shanti Dhariwal) जब भी कोटा दौरे पर आते हैं और वह निर्माण कार्यों का दौरा भी करते हैं. हर समय वह नगर विकास न्यास के अभियंताओं से लेकर संवेदक को भी समय पर कार्य पूरा करने के लिए वादा करते हैं लेकिन इसके बावजूद भी इन कार्यों का निर्माण पूरा नहीं हो पा रहा है. नगर विकास न्यास का पूरा अमला इस में फेल ही साबित हो रहा है. एक निर्माण में जहां पर रेलवे ने कार्य रोक दिया है. दूसरे में जमीन अधिग्रहण का चक्कर पड़ रहा है. वहीं तीसरे निर्माण में भी मोटर मार्केट की दुकानों का पुनर्वास नहीं हो पाने की अड़चन आ गई है.
निर्माण समय सीमा को 2 साल निकले, कब पूरा होगा किसी को पता नहीं
दादाबाड़ी से हेमू कॉलोनी तक साजीदेहड़ा नाले के पर एक सड़क वैकल्पिक सड़क का निर्माण होना था. यह वैकल्पिक मार्ग बनने के बाद घोड़े वाले बाबा की तरफ से दादाबाड़ी वाले वाहनों को सीएडी सर्किल नहीं जाना होता. इसके लिए 1150 मीटर लंबी सड़क बनी थी. जिसमें से नाले की सीमा एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने अपनी बताते हुए इस कार्य पर आपत्ति जता दी थी. हालांकि, अब एक-दो दिन से निर्माण शुरू किया गया है लेकिन अभी भी इस निर्माण में कितना समय लगेगा. किसी को भी पता नहीं है. इस निर्माण के समय सीमा दो साल पहले ही निकल चुकी है. फरवरी 2019 में इसका निर्माण शुरू करवाया गया था. जिसे की 2019 के अंत में ही पूरा होना था लेकिन 2021 भी खत्म होने को आया है.
अब प्लान बदल 15 करोड़ का एलिवेटेड रोड
यूआईटी (UIT kota Road Construction) ने इस निर्माण के लिए फरवरी 2019 में 11 करोड़ रुपए का टेंडर जारी किया गया था. जिस रास्ते से इस सड़क को निकाला जाना था. वहां लोग न्यायालय से स्टे ले आए. ऐसे में उसके प्लान में बदलाव किया गया. ठेकेदार ने दादाबाड़ी की तरफ से दुर्गा बस्ती तक 550 मीटर की सड़क बना दी है. हालांकि, इस बचे हुए हिस्से में अब नाला गुजर रहा है. इस समय वहां पर एलिवेटेड रोड प्रस्तावित किया गया. जिस के टेंडर भी जारी कर दिए गए लेकिन इस नाले को एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने अपनी सीमा में बता दिया, जिससे काम अटका हुआ था. हालांकि अब एक-दो दिन से यूआईटी ने इस पर काम शुरू करवाया है. इस एलिवेटेड रोड का निर्माण करीब 15 करोड़ से होगा.
रेलवे ने 9 महीने से बंद कर रखा है काम
नाग नागिन मंदिर से उम्मेदगंज तक नया वैकल्पिक मार्ग नगर विकास न्यास ने 2019 में निर्माण शुरू करवाया था. यह 2 साल पूरे होने के बाद भी नहीं बन पाया है. इसके निर्माण के समय सीमा भी 1 साल पहले ही निकल चुकी है. इसमें 20 करोड़ रुपए का पूरा खर्चा होना था. इसमें यूआईटी ने 80 फिट रोड के नीचे सेंटर पास बना दिया है. साथ ही रेलवे लाइन से उम्मेदगंज तक सड़क भी नहर के समानांतर सड़क बना दी गई है. करीब 5 करोड़ रुपए की लागत से 80 फिट रोड के नजदीक दिल्ली-मुंबई रेल लाइन के नीचे से अंडर पास बनने थे. इसके चलते ही यह मार्ग चालू नहीं हो पाया है. बीते 9 महीने से इस अंडर पास का काम बंद है.
50 से ज्यादा कॉलोनियों के लाखों लोगों को मिलना था फायदा
अंडरपास का निर्माण भी रेलवे ने यूआईटी की मदद से शुरू कर दिया था. एक तरफ का अंडरपास बन भी गया है लेकिन एक हादसे में रेलवे के गैंगमैन की मौत हो गई. जिसके बाद से ही काम बंद है, जो अब भी शुरू नहीं हो पाया है. यूआईटी के अधिकारियों का कहना है कि रेलवे को मेगा ब्लॉक नहीं मिल पा रहा है. इसके चलते काम रुका हुआ है. हालांकि, इस मामले में रेलवे की इंक्वायरी भी चल रही है. इसी के चलते काम रेलवे शुरू नहीं कर रहा है. इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है.
रायपुरा, इंदिरा गांधी नगर, उम्ममेदगंज, कैथून रोड, डीसीएम, सूरसागर, शिव सागर, थेकड़ा, बोरखेड़ा की 50 से ज्यादा कॉलोनियों को इसका फायदा मिलना है. यहां की करीब लाखों की आबादी इससे लाभान्वित हो रही है. यूआईटी के सेक्रेटरी राजेश जोशी का कहना है कि उन्होंने इसके लिए डीआरएम और जिला कलेक्टर से भी बात की है.
3 महीने में होने वाला निर्माण दो साल में भी नहीं हुआ पूरा नगर
विकास न्यास ने डीसीएम रोड को झालावाड़ रोड से जोड़ने के लिए वैकल्पिक मार्ग का निर्माण नवंबर 2019 में शुरू किया था. जिसे फरवरी 2020 में पूरा होना था लेकिन यह निर्माण अभी भी अधरझूल में ही है. ऐसे में अब अभी भी इसमें दो महीने का समय लग सकता है. नगर विकास न्यास ने करीब 3 करोड़ की लागत से 600 मीटर लंबी सड़क निर्माण के साथ बाउंड्रीवॉल, नाला, फुटपाथ और डिवाइडर बनाने थे, लेकिन मोटर मार्केट के व्यवसायियों के पुनर्वास नहीं होने के चलते निर्माण अटक गया. अभी भी यहां पर कुछ कबाड़ी और मिस्त्रियों का पुनर्वास बचा है.