कोटा. सीबीएसई ने 9वीं से 12वीं तक के स्टूडेंट्स के लिए एग्जाम से लेकर सिलेबस की पूरी गाइडलाइन (cbse new rules) जारी की है. जिससे कोविड-19 के इस दौड़ में विद्यार्थियों की पढ़ाई अब आगे प्रभावित नहीं हो. ईटीवी भारत ने शहर के शिक्षकों से इसपर राय जानी. कुछ शिक्षकों ने इसकी सराहना की तो कुछ इससे खुश नहीं नजर आए.
पूरे सिलेबस को दो भागों में बांटने पर टीचर्स ने इसे प्रोएक्टिव कदम बताया है. कुछ ने इसे स्टूडेंट्स और टीचर्स को होने वाले नुकसान की भी बात कही. शिक्षकों का कहना है कि पहले टर्म में में ज्यादा समय दिया गया है और एग्जाम भी उसमें ऑब्जेक्टिव होगा. जबकि दूसरे चरण में समय कम है और उसमें सब्जेक्टिव एग्जाम है. जबकि पूरे सिलेबस को 50 फीसदी भागों में बांटा गया.
निजी स्कूल के प्रिंसिपल प्रदीप सिंह गौड़ का कहना है कि पिछले साल बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई हुई. अंतिम समय में जानकारी दी गई कि उनका परीक्षा का पैटर्न या प्रमोट करने का तरीका क्या होगा. इस पैटर्न में उन्हें शुरू से ही पता चल जाएगा, जिसके अनुसार वह मेहनत भी करेंगे. उन्हें यह भी याद है कि पहला टर्म MCQ होगा. पिछली बार पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी गया था, इसीलिए अब सब कुछ पहले से ही तय है, इसलिए यह अच्छा कदम है.
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निजी स्कूल की चीफ कोऑर्डिनेटर मधु राणावत का कहना है कि इस पूरी गाइडलाइन में ड्रॉबैक तो कुछ नहीं है, लेकिन मुझे लगता है कि दूसरे टर्म के लिए समय काफी कम है. साथ ही वह सब्जेक्टिव है. ऐसे में पहले टर्म में नवंबर-दिसंबर तक का समय है. जबकि दूसरे टर्म में केवल ढाई महीने ही स्टूडेंट को जनवरी से मार्च तक के मिल रहे हैं. पहले टर्म का समय कम कर दूसरे को देना चाहिए. साथ ही पहले करने में भी ऑब्जेक्टिव की जगह सब्जेक्टिव एग्जाम होना चाहिए. चाहे उसमें 90 मिनट की जगह 120 मिनट ले लिया जाए. जैसे दूसरे टर्म में ओएमआर शीट की जगह पेपरबेस एग्जाम हो, चाहे रिजल्ट देरी से दे दिया जाए.
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निजी स्कूल की फैकल्टी प्रिया सिंह का कहना है कि इस बार CBSE में प्रोएक्टिव होते हुए पहले ही डिसीजन ले लिया है. जिससे कि लास्ट मोमेंट पर बच्चों को क्या करना है. यह पहले ही पता चलेगा और एग्जाम किस तरह से लेना है, यह भी पहले से ही तय है. टीचर पूरी तरह से करिकुलम को प्लान कर सकते हैं और उसे लागू भी समय से ही कर देंगे. इसके अलावा बच्चे को भी पता है कि दिसंबर के पहले उसे क्या पढ़ना है और दिसंबर के बाद में क्या है. पहले हिस्से में परीक्षा ऑब्जेक्टिव और दूसरे में सबजक्टिव एग्जाम होगा. इसी तरह से टीचर्स को भी परीक्षा के साथ-साथ पूरी पढ़ाई की तैयारी किस तरह से करवानी है, यह भी समय मिलेगा. वह समय से ही क्लास की सभी गतिविधियों को संचालित कर पढ़ा सकेंगे.
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टीचर्स का यह भी मानना है कि अधिकांश स्टूडेंट्स सब्जेक्टिव एग्जाम की तैयारी परीक्षा के पहले ही करते हैं, लेकिन अब ऑब्जेक्टिव एग्जाम होने से ऐसा नहीं होगा. स्टूडेंट्स को पूरे साल भर तैयारी करनी होगी. साथ ही उन्हें यह भी तय करना होगा कि किस तरह से पूरे एग्जाम को सेट करना है क्योंकि ऑब्जेक्टिव परीक्षा के लिए सब कुछ उन्हें आना जरूरी है.
सीबीएसई ने अपनी गाइडलाइन में बताया है कि तीन पीरियोडिक टेस्ट आयोजित किए जाएंगे लेकिन इस गाइडलाइन में अभी यह घोषणा नहीं की गई है कि यह टेस्ट कब लिए जाएंगे. पहली टर्म में कितने पीरियोडिक टेस्ट होंगे. दूसरी में कितने टेस्ट होंगे. ये नहीं बताया गया है. सीबीएसई नई गाइडलाइन को लेकर 9वीं से लेकर 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए सिलेबस को भी रिवाइज करेगी. इसमें पहले इस समय कितना सिलेबस पढ़ाया जाएगा. वहीं दूसरे हिस्से में कितना यह भी सीबीएसई अपनी आगामी गाइडलाइन में जारी करेगी.