रामगंजमंडी (कोटा). प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने शासनकाल का दूसरा बजट पेश करने वाले हैं. इस बजट से सभी वर्गों और लघु उद्योगों को खास उम्मीदें हैं. विश्व विख्यात कोटा स्टोन के व्यापारियों को भी गहलोत सरकार के इस बजट से खासी उम्मीद हैं. वहीं कोटा स्टोन के व्यापारियों का कहना है कि क्षेत्र में कोटा स्टोन कई प्रकार के टैक्स, रॉयल्टी और बिजली के दामों की बढ़ोतरी से स्टोन का कारोबार मंदी की मार झेल रहा है.
कोटा स्टोन के व्यापारियों की मांग है कि कोटा स्टोन उद्योग को बचाने के लिये गहलोत सरकार इस बजट में खास पैकेज दें. कोटा स्टोन स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेंद्र काला ने इस उद्योग की समस्याओं से अवगत कराया. साथ ही नरेंद्र काला ने कहा कि उद्योग मंदी के दौर से गुजर रहा है. कई कोटा स्टोन की यूनिट अभी तक बंद हो चुकी है और कई बंद होने के कगार पर है. इसके लिए राजस्थान सरकार को इस बजट में उद्योग को विशेष पैकेज देकर राहत प्रदान करनी चाहिए. उनको कोटा स्टोन में रॉयल्टी की दरों में कमी करनी चाहिए.
बिजली दरें कम करने की मांग
वहीं बिजली की दरें बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है. बिजली की दरें कम करके भी वह राहत दे सकते हैं. इसके अलावा बजट में राजस्थान सरकार को इस उद्योग में काम करने वाले 40 हजार मजदूर के लिए सेटेलाइट हॉस्पिटल बनाने का काम करना चाहिए. जिससे मजदूरों को अपने जिले को छोड़ दूसरे जिले में इलाज कराने को मजबूर ना होना पड़े. राजस्थान सरकार को कोटा से झालावाड़ हाइवे से रामगंजमंडी को सड़क से कनेक्ट करना चाहिए. जिससे कोटा स्टोन के भारी वाहन इंडस्ट्रीज से बाहर जाने में आसानी हो. वहीं कोटा स्टोन खनन व्यापारी रामभगत मोदी ने बताया कि कोटा स्टोन पर रॉयल्टी कम होना चाहिए. साथ ही डीजल के दाम भी कम होना चाहिए.
अंडरलोंडिग को सरकार करें फिक्स
कोटा स्टोन लघु उद्योग व्यापारी भारत शाह ने बताया कि बिजली के दामों को कम करना चाहिए. बिजली विभाग बिलों में अपनी मर्जी से चार्ज लगाकर दे रही है, जिससे हमारी जेब पर भार पड़ रहा है. वहीं सबसे बड़ी समस्या सरकार द्वारा अंडरलोडिंग की है. स्टोन के कच्चे माल पर भाड़ा भारी पड़ रहा है. फिर भी ओवरलोडिंग का कार्य चालू है फिर बिल कम दिया जा रहा है. इससे राजस्थान सरकार को भी राजस्व को भारी नुकसान हो रहा है.
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वहीं व्यापारी का कहना है कि खनन क्षेत्र से लोडिंग गाड़ी में 50 टन माल आता है पर बिल 10 टन का मिलता है. उसे किस प्रकार मेंटेन करें. वहीं कोटा स्टोन इकाई व्यापारी नरेंद्र व्यास ने बताया कि बिजली के दामों में साल दर साल बढ़ोतरी होती है. वैसे ही कोटा स्टोन उद्योग की कमर टूटी हुई है. इसलिए सरकार को अंडरलोडिंग को फिक्स किया जाना चाहिए. व्यापारियों का कहना है कि कोटा स्टोन कई प्रकार के टैक्स, रॉयल्टी और बिजली के दामों की बढ़ोतरी से मंदी की मार झेल रहा है. गहलोत सरकार के इस बजट में लघु उद्योग को बचाने के लिए खास पैकेज देकर राहत देनी चाहिए.