कोटा. राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय में छात्राओं से पास करने की एवज में अस्मत मांगने के मामले में एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार, स्टूडेंट अर्पित अग्रवाल और ईशा यादव न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे हैं. तीनों को कोटा सेंट्रल जेल में रखा गया है. न्यायालय में गिरीश परमार और अर्पित अग्रवाल की तरफ से एक जमानत अर्जी लगी हुई थी, वही एक जमानत अर्जी अर्पित अग्रवाल की तरफ से भी लगी हुई थी. इन दोनों जमानत अर्जी पर एससी-एसटी कोर्ट ने सुनवाई की. कोर्ट ने सुनवाई के बाद दोनों की जमानत अर्जी खारिज कर दी है.
अब अगली सुनवाई (21 अप्रैल) तक आरोपी न्यायिक अभिरक्षा में ही रहेंगे. विशिष्ट लोक अभियोजक हितेश जैन ने बताया कि 47 वर्षीय एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार और 22 वर्षीय स्टूडेंट अर्पित अग्रवाल की जमानत अर्जी 20 फरवरी को लगाई गई थी. जिसमें धारा 167 2 ए के तहत जमानत मांगी गई थी. आरोपियों की ओर से बताया गया कि चालान पेश करने में पुलिस ने 60 दिन से ज्यादा की देरी कर दी गई है. ऐसे में दोनों आरोपियों के लिए जमानत का लाभ मांगा गया था.
हितेश जैन ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ धारा 467 और 468 में 90 दिन में चालान पेश किए जाने का प्रावधान है. ऐसे में पुलिस ने 90 दिन में चालान पेश किया है, जमानत पर बहस के बाद एससी एसटी कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी है. विशिष्ट लोक अभियोजक ने बताया कि एससी एसटी कोर्ट कोर्ट में अर्पित अग्रवाल की जमानत अर्जी धारा 439 के तहत लगाई गई थी. जिसे न्यायालय ने अस्वीकार कर खारिज कर दिया है. बता दें कि तीनों आरोपी 2 माह से ज्यादा समय से जेल में बंद हैं. इन आरोपियों में शामिल गिरीश परमार और अर्पित अग्रवाल को 21 दिसंबर को गिरफ्तार किया था. पुलिस ने 28 दिसंबर को ईशा यादव को भी गिरफ्तार कर लिया था, जिसके बाद न्यायालय ने तीनों आरोपियों को जेल भेज दिया था.