कोटा. प्रदेश का तीसरा और हाड़ौती का पहला मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व 10 सालों में पिछड़ता चला गया. वर्ष 2013 में मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व अस्तित्व में आया था, लेकिन 10 सालों में भी पूरी तरह से स्थापित नहीं हो पाया. दूसरी तरफ 1 साल पहले ही टाइगर रिजर्व घोषित हुआ रामगढ़ विषधारी पूरी तरह से स्थापित होने की कगार पर है और मुकुंदरा हिल्स टाइगर से अच्छी स्थिति में भी है. वहां पर मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व से ज्यादा टाइगर की आबादी है, जंगल सफारी भी शुरू हो चुकी है. साथ ही मुकुंदरा से ज्यादा वहां पर बाघ-बाघिन की मांग नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) से की जा रही है.
रामगढ़ से खुशखबरी की उम्मीद : वन्य जीव प्रेमी तपेश्वर सिंह भाटी का कहना है कि रामगढ़ में अधिकारियों ने लगातार मेहनत की है, वैसी मेहनत मुकुंदरा में नहीं हुई. रिजर्व बनने के 5 साल बाद 2018 में यहां पर टाइग्रेस इंट्रोड्यूस किया गया था, जबकि रामगढ़ में रिजर्व बनने के कुछ महीनों में ही जोड़ा बना दिया गया था. जंगल सफारी भी मुकुंदरा में शुरू नहीं हो पाई है, जबकि रामगढ़ में सफारी भी शुरू हो गई है. मुकुंदरा में केवल एक मेल टाइगर वर्तमान में है, जबकि रामगढ़ में एक जोड़ा है, उससे भी खुशखबरी की उम्मीद है.
रणथम्भौर नजदीक होने का फायदा मिला : उनका यह भी कहना है कि रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व को रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के नजदीक होने का फायदा मिला है. टाइगर रिजर्व घोषित होने के पहले से यहां पर कई बाघ आते-जाते रहे हैं. यहां पर रणथम्भौर से कई बाघिन आकर अपने शावकों को जन्म दे चुकी हैं. जिस समय यह टाइगर रिजर्व घोषित हुआ था, उसके 2 साल से लगातार यहां पर एक टाइगर रणथम्भौर से आकर रुका हुआ था, जिसे अब स्थाई रामगढ़ का ही बाघ माना जाता है.
मुकुंदरा में रणथम्भौर से आए 5 शावकों में से 1 बचा : 2018 में रणथम्भौर टाइगर रिजर्व से पहली बार मुकुंदरा में टाइगर शिफ्ट किया. यह बाघ बूंदी के तत्कालीन रामगढ़ विषधारी सेंचुरी और वर्तमान के टाइगर रिजर्व में घूम रहा था. इसके बाद दो बाघिन को भी लाया गया. बाद में रणथम्भौर से एक टाइगर निकलता हुआ कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में पहुंच गया था. यह चंबल नदी की कराईयों के सहारे सुल्तानपुर, दीगोद और कालीसिंध से होता हुआ आया था. मुकुंदरा में बाघ और बाघिन के दो जोड़े बन गए थे. एमटी 1 से लेकर एमटी 4 तक नाम दिए गए. एमटी 2 बाघिन ने दो शावकों को भी जन्म दिया.
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बाघिन की मौत के बाद बाघ अकेला : वहीं, दूसरी बाघिन एमटी 4 के साथ कैमरा ट्रैप में एक शावक नजर आया था. यहां पर बाघों की संख्या बढ़कर 7 हो गई थी, लेकिन अचानक से बाघों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया. एक बाघ और शावक लापता हो गए. एक बाघिन एमटी 4 यहां पर थी, जिसके बाद एक बाघ टी-110 को साल 2022 में रणथम्भौर से शिफ्ट किया गया, जिसे एमटी-5 नाम दिया गया. करीब 4 महीने पहले एमटी 4 की भी मौत हो गई है, जिसके बाद अब यह अकेला बाघ बचा है.
कब आएगी टाइग्रेस...: मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के कार्यवाहक फील्ड डायरेक्टर बीजो जॉय का कहना है कि मुकुंदरा में वर्तमान में एक ही मेल टाइगर है. एक टाइग्रेस के लिए एनटीसीए से अनुमति मांगी है. एनटीसीए की मीटिंग के मिनट्स में यह आ गया है, लेकिन अभी आदेश जारी नहीं हुआ है. चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन के आदेश आने के बाद ही कंफर्म होगा कि टाइग्रेस रणथम्भौर से कब आएगी. वर्तमान में जो टाइगर है, उसका रेडियो कोलर भी सही है और उसकी पूरी निगरानी की जा रही है.
दो शावक भी कब शिफ्ट होंगे कुछ नहीं पता : मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में रणथम्भौर की मृत बाघिन के दो शावकों को भी शिफ्ट करना है. उन्हें कोटा के अभेड़ा महल बायोलॉजिकल पार्क में रखा हुआ है. वर्तमान में उनके स्वास्थ्य संबंधी देखरेख करने का काम बायोलॉजिकल पार्क के अधिकारी, चिकित्सक और स्टाफ कर रहे हैं. शावक करीब 6 महीने के हो गए हैं और फिलहाल पूरी तरह से स्वस्थ हैं. उनकी निगरानी के लिए भी चिकित्सक रखे हुए हैं और उन्हें जंगल का माहौल दिया हुआ है. इनके संबंध में सीसीएफ जॉय का कहना है कि एनटीसीए और चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन से अनुमति मिलने के बाद ही कुछ कह पाएंगे.
जल्द ही शुरू कर देंगे ऑनलाइन सफारी टिकट : रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के डीसीएफ संजीव शर्मा का कहना है कि एनटीसीए से दो टाइग्रेस शिफ्ट करवाने की अनुमति मांगी है. जैसे ही अनुमति मिलेगी यहां पर टाइग्रेस शिफ्ट हो जाएगी. जंगल सफारी बीते माह जून में शुरू कर दी थी. फिलहाल एनटीसीए से तीन रूट की अनुमति मिली है. तीनों बफर जोन के रूट हैं. हमारी सफारी के लिए 5 से 6 व्हीकल का रजिस्ट्रेशन हो गया है और यह रजिस्ट्रेशन का क्रम भी लगातार जारी है. साथ ही ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी जंगल सफारी के लिए अगले सप्ताह से शुरू कर दिए जाएंगे. इसका ट्रायल फिलहाल किया जा रहा है.