कोटा. राजस्थान का कोटा देश में कोचिंग संस्थानों के लिए जाना जाता है. यहां से मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में अभ्यर्थियों का सर्वाधिक चयन होता है. हर साल देशभर से यहां लाखों की संख्या में छात्र पढ़ने के लिए आते हैं. इन दिनों बढ़ रहे आत्महत्या के मामलों को देखते हुए कोटा के एक कोचिंग संस्थान ने नवाचार किया है, जिसे नाम दिया गया है हॉस्टल विद क्लासरूम पैटर्न.
एजुकेशन एक्सपर्ट और इस प्रोजेक्ट को संभाल रहे देव शर्मा ने बताया कि कोटा के एक कोचिंग संस्थान ने नया कांसेप्ट शुरू किया है, यह हॉस्टल विद क्लासरूम पैटर्न है. हालांकि, इसमें कई पाबंदियां स्टूडेंट्स पर लगाई गई हैं. उन्हें किसी भी तरह की नकदी या मोबाइल रखने की आजादी नहीं होगी. यहां तक कि छात्रों को कैंपस से बाहर भी नहीं निकलने दिया जाएगा. छात्रों के आत्महत्या के मामले पर रोक लगाने के लिए एक नई योजना इस संस्थान ने बनाई है. उन्होंने सिंगल ऑक्युपेंसी रूम के कांसेप्ट को बदलकर सेमी प्राइवेट रूम कर दिया है.
उन्होंने बताया कि पहले फेज में इस संस्थान ने रामपुर में 400 छात्रों को कोचिंग देने की योजना बनाई है. यह पहला फेज 20 अप्रैल के आसपास शुरू होगा. इसका अगला फेज जुलाई महीने में शुरू होगा. इसमें भी इतने ही छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा. ऐसे में कुल मिलाकर इस साल करीब 800 छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा. वर्तमान में 11वीं और 12वीं के छात्रों को ही प्रवेश दिया जा रहा है, बाद में इसे बढ़ाकर कक्षा 8 किया जाएगा. देव शर्मा का कहना है कि वर्तमान में इसमें एडमिशन पूरे हो गए हैं. इस कांसेप्ट के जरिए छात्रों को पहली बार कोटा में पढ़ाई करवाई जाएगी. इसमें छात्र और छात्राओं के लिए अलग-अलग व्यवस्था की गई है.
किसी तरह का इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स नहीं : देव शर्मा का यह भी कहना है कि एडमिशन लेने वाले छात्रों को किसी भी तरह का कोई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स रखने की अनुमति नहीं होगी. उन्हें पढ़ाई के लिए जरूरी एप्स या इंटरनेट एक्सेस कंप्यूटर लैब के जरिए दिया जाएगा, जहां भी उनकी सघन मॉनिटरिंग की जाएगी. छात्र आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लेकर सभी एप्स का उपयोग इनमें कर सकेंगे. यह लैब भी करीब 18 घंटे स्टूडेंट्स के लिए ओपन रहेगी.
फैकल्टी भी रहेगी बच्चों के एरिया में : बच्चों पर पूरी तरह से नजर रखने के लिए फैकल्टी को भी हॉस्टल कैंपस में ही ठहराया जाएगा. इसमें फैकल्टी के लिए भी रूम तैयार किए गए हैं. इसके साथ ही मेल और फीमेल वार्डन भी अलग-अलग होंगे. साथ ही फिजिकल ट्रेनिंग के लिए भी ट्रेनर मौजूद रहेगा. देव शर्मा का कहना है कि सभी छात्रों को रूटीन में एक्सरसाइज और गेम्स में पार्टिसिपेट करना होगा.
घरवालों से कर सकेंगे बात : छात्रों को कैंपस के बाहर जाना अलाउड नहीं होगा. छात्र से मिलने आने वालों को पहले संस्थान को सूचना देनी होगी. छात्रों को मोबाइल फोन उपयोग करने की इजाजत नहीं होगी. एक्सपर्ट का मानना है कि छात्र इससे डिस्ट्रैक्ट होते हैं. हालांकि, संस्थान की ओर से छात्रों को कीपैड फोन उपलब्ध कराए जाएंगे, जिन पर परिजन छात्र से बातचीत कर सकते हैं, लेकिन इस पर परिजन ही फोन कर सकते हैं. छात्र को बात कर वापस फोन जमा कराना होगा.
छात्र मंगवा सकेंगे अपना सामान : छात्रों को हॉस्टल के मेस से ही लंच, ब्रेकफास्ट व डिनर मिल जाएगा. इसके बावजूद भी उन्हें कुछ खाना हो तो उनके लिए कैंपस में ही कैंटीन की व्यवस्था होगी. छात्रों को बाहर से कोई भी वस्तु अगर मंगानी हो तो उसे रिक्वायरमेंट के लिए दिखाना होगा. इसके बाद यह वस्तु संस्थान के कार्मिक उपलब्ध करा देंगे. वहीं, 15 दिनों में एक बार छात्रों को उनके जरूरी कार्यों के लिए बाहर ले जाया जाएगा.
लॉक नहीं कर सकते हैं स्टूडेंट : एक सेमी प्राइवेट रूम में करीब 6 छात्रों के रहने की व्यवस्था की गई है. इसमें उनको सोने के लिए बेड, स्टडी के लिए टेबल-चेयर और लैंप की व्यवस्था की गई. हालांकि, इस रूम को अंदर से किसी भी तरह से लॉक करने का सिस्टम नहीं रखा गया है. ऐसे में कोई भी छात्र अंदर से रूम को लॉक नहीं कर सकता है. कुछ छात्रों के लिए सिंगल रूम भी हैं. इनमें भी इसी तरह की व्यवस्था है, लेकिन सिंगल रूम के छात्रों को इंटरव्यू के बाद ही प्रवेश दिया जाएगा. देव शर्मा का कहना है कि सुसाइड की टेंडेंसी भी सिंगल रूम कल्चर में ही सामने आती है. ऐसे में इस प्रोजेक्ट के तहत सिंगल रूम नहीं रखा गया है.
छात्र नहीं रख सकेंगे नकदी : छात्रों के पास किसी भी तरह के नकदी नहीं रहेगी. अकाउंट सेक्शन में परिजन पैसे जमा करा सकते हैं. छात्र को जरूरत पड़ने पर वह यहां से राशि ले सकता है, जिसकी सूचना भी परिजनों को तुरंत दे दी जाएगी. साथ ही परिजनों की अनुमति के बाद ही छात्रों को पैसा दिया जाएगा.