कोटा. ज्वाइंट इंप्लीमेंटेशन कमेटी की ओर से जेईई एडवांस्ड 2022 की रिपोर्ट जारी की गई है (JEE Advanced 2022 Result). इस रिपोर्ट में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार जेईई एडवांस्ड 2022 में लगभग 21 फीसदी अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थीयों को भी आईआईटी संस्थानों की बीटेक, इंटीग्रेटेड एमटेक व डुएल डिग्री कोर्स में प्रवेश मिला. ये हैरान करने वाला भी है. लेकिन Expert इसके पीछे की अहम वजह भी बताते हैं.
कोटा के एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि वर्ष 2022 की रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक 1.55 लाख विद्यार्थी इस प्रवेश परीक्षा के दोनों प्रश्नपत्रों की परीक्षा दी है. ज्वाइंट इंप्लीमेंटेशन कमेटी की पिछले 4 सालों की रिपोर्ट के आंकड़ों का एनालिसिस करने पर सामने आता है कि साल 2022 में प्रवेश सबसे कम रहे हैं. ऐसे में इस पेपर को कठिन माना जा सकता है इसलिए विद्यार्थीयों को आईआईटी संस्थानों में बीटेक, इंटीग्रेटेड एमटेक व डुएल डिग्री कोर्स में महज 21 फीसदी अंकों पर ही प्रवेश मिला है.
2023 को लेकर भविष्यवाणी: एक्सपर्ट देव शर्मा ने प्रवेश के गणित को समझने के लिए आईआईटी संस्थानों की 16 हजार 635 सीटों पर प्रवेश प्राप्त करने वाले कामन रैंक लिस्ट (CRL) के अंको का सालवार एनालिसिस जरूरी है. आंकड़ों से यह साफ हो जाता है कि ऑल इंडिया रैंक प्रथम लाने वाले विद्यार्थी का अंक प्रतिशत 87 से 90 के बीच है, जबकि कॉमन रैंक लिस्ट में 16,001 ऑल इंडिया रैंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी का प्रतिशत लगभग 21 से 30 के आसपास है. साल 2019 में यह अधिकतम 30.37 फीसदी था. जबकि साल 2020 में 24.74 फीसदी रहा. 2021 में 25.27 और 2022 में 21 फीसदी रहा है.
स्पष्ट है कि साल 2022 में यह प्रतिशत न्यूनतम रहा है. शर्मा का मानना है कि विद्यार्थी सकारात्मक मानसिकता व समर्पण के साथ जेईई एडवांस्ड 2023 में शामिल होगा, तब साफ तौर पर सफलता मिल सकती है. 2023 में कटऑफ 21 से 30 फीसदी के आसपास रह सकती है.
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इस बार दो माह में रिपोर्ट जारी: ज्वाइंट इंप्लीमेंटेशन कमेटी ने यह रिपोर्ट रिकॉर्ड न्यूनतम समय में प्रकाशित की गई है. जेईई एडवांस्ड 2022 प्रवेश परीक्षा का आयोजन गत 28 अगस्त को किया गया था. परिणाम 11 सितम्बर को जारी हुआ था. ऐसे में 11 नवम्बर को ही रिपोर्ट जारी कर दी गई है. बीते सालों में इस प्रकार की रिपोर्ट को जारी करने में लगभग 1 साल का समय लगा करता था. इस बार 2 महीने में ही यह रिपोर्ट जारी कर दी गई है.
क्या कहते है बीते चार साल के पहली और 16 हजार रैंक के आंकड़े!
- साल 2022 में पूर्णांक 360 में पहली रैंक वाले स्टूडेंट के 87.22 फीसदी 314 अंक है. 16,001 रैंक पर 21 फीसदी 76 अंक है.
- साल 2021 में पूर्णांक 360 में पहली रैंक वाले स्टूडेंट के 96.66 फीसदी 358 अंक है. 16,001 रैंक पर 25.27 फीसदी 91 अंक है.
- साल 2020 में पूर्णांक 396 में पहली रैंक वाले स्टूडेंट के 88.88 फीसदी 352 अंक है.16,001 रैंक पर 24.74 फीसदी 98 अंक है.
- साल 2019 में पूर्णांक 372 में पहली रैंक वाले स्टूडेंट के 93 फीसदी 346 अंक है.16,001 रैंक पर 30.37 फीसदी 113 अंक है.