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जानिए कौन हैं पूर्व विधायक हेमराज मीणा, क्यों दुष्यंत पर लगाया बाड़ाबंदी का आरोप ?

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 8, 2023, 6:38 PM IST

सूबे की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के सांसद बेटे दुष्यंत सिंह पर बाड़ाबंदी करवाने के आरोप का मामला तूल पकड़े हुए है. बाड़ेबंदी का आरोप लगाने कोई और नहीं भारतीय जनता पार्टी के ही पूर्व विधायक हेमराज मीणा हैं. हेमराज मीणा के बेटे बारां जिले के किशनगंज से दूसरी बार विधायक चुने गए हैं. हेमराज मीणा भी एक बार बीजेपी और एक बार निर्दलीय विधायक रह चुके हैं.

former MLA Hemraj Meena
जानिए कौन हैं हेमराज मीणा ?

कोटा. राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन होगा इसको लेकर भले ही सस्पेंस अभी बरकरार है. पूरे प्रदेश को मुख्यमंत्री के चेहरे का इंतजार है. भारतीय जनता पार्टी ने पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर दी है. पर्यवेक्षक कब आएंगे और विधायक दल की बैठक के बाद किसके नाम पर मुहर लगेगी ये सब आने वाला वक्त तय करेगा.

राजस्थान में कुर्सी की रेस को लेकर अभी भी सियासी गलियारों में चर्चाएं जोरों पर है. सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के सांसद बेटे दुष्यंत सिंह पर बाड़ाबंदी करवाने के आरोप का मामला तूल पकड़े हुए है. किशनगंज से विधायक ललित मीणा को जबरन सीकर रोड स्थित एक रिजॉर्ट जबरन रोकने के आरोप के बाद राजस्थान की सर्दी में सियासी पारा गर्म है.

पढ़ें:राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन? पर्यवेक्षकों की नियुक्ति के बाद विधायक दल की बैठक 10 दिसंबर को!

हेमराज मीणा की सियासी कुंडली: एक पक्ष बाड़ाबंदी की बात कह रहा है तो वहीं दूसरा पक्ष इसे सिरे से नकार रहा है. बाड़ेबंदी का आरोप लगाने कोई और नहीं भारतीय जनता पार्टी के ही पूर्व विधायक हेमराज मीणा हैं, जिनके पुत्र ललित मीणा बारां जिले के किशनगंज से दूसरी बार विधायक चुने गए हैं. हेमराज मीणा भी एक बार बीजेपी और एक बार निर्दलीय विधायक रह चुके हैं. हेमराज मीणा भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय सदस्य रहे हैं और पार्टी के कई पदों पर भी रहे हैं. हेमराज मीणा राजस्थान में पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष, एसटी मोर्चा में भी राष्ट्रीय और प्रदेश के पदाधिकारी भी रह चुके हैं

1985 में हेमराज मीणा बने एमएलए: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हेमराज मीणा बारां जिले की राजनीति में साल 1980 के आसपास सक्रिय हो गए थे. हेमराज किशनगंज विधानसभा सीट से 6 चुनाव में अपनी किस्मत अजमाई जिसमें एक बार बतौर बीजेपी और एक बार निर्दलीय जीत का परचम लहराया. हेमराज मीणा ने किशनगंज से पहला चुनाव साल 1985 में भाजपा प्रत्याशी के रूप में लड़ा था, हीरालाल सहरिया यहां से चुनाव जीते थे. 1990 के चुनाव में उन्होंने हीरालाल सहरिया को चुनाव हराया और विधायक चुने गए थे. इसके बाद साल 1993 और 1998 दोनों चुनाव में उन्हें हार मिली थी.

पढ़ें:राजस्थान विधानसभा में युवा और अनुभव दोनों का दिखेगा संगम, महिलाओं का प्रतिनिधित्व हुआ कम

टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय उतर गए थे मैदान में: साल 2003 में हेमराज मीणा ने किशनगंज विधानसभा सीट से तैयारी की थी, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. ऐसे में निर्दलीय ही चुनावी मैदान में उतर गए थे. 2003 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी हीरालाल सहरिया को मात दी. वहीं भाजपा प्रत्याशी मोहनलाल बोरदा तीसरे पायदान पर थे. साल 2008 के चुनाव में हीरालाल सहरिया की बेटी निर्मला सहरिया ने हेमराज मीणा को हराया था. बाद में पार्टी ने उनकी जगह उनके बेटे ललित मीणा को 2013, 2018 और 2023 में टिकट दिया.

वसुंधरा के रहे हैं मुखर विरोधी: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े होने और कई मुद्दों पर अलग राय रखने वाले हेमराज मीणा की पटरी सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया से नहीं बैठी. हेमराज मीणा संगठन को सर्वोपरि मानने की बात हमेशा कहते रहे हैं. उनके किशनगंज से पहले चुनाव लड़ने के बाद साल 1989 में वसुंधरा राजे भी झालावाड़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए आ गई थी. किशनगंज विधानसभा झालावाड़ लोकसभा सीट के अधीन आती है. दोनों के बीच कई मुद्दों पर अलग राय रही. वहीं साल 2003 में उनको टिकट भी किशनगंज से नहीं मिला, इसके पीछे भी वह वसुंधरा राजे सिंधिया को कारण मानते हैं इसके चलते ही वे राजे के खिलाफ पार्टी में मुखर विरोधी हैं.

कोटा. राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन होगा इसको लेकर भले ही सस्पेंस अभी बरकरार है. पूरे प्रदेश को मुख्यमंत्री के चेहरे का इंतजार है. भारतीय जनता पार्टी ने पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर दी है. पर्यवेक्षक कब आएंगे और विधायक दल की बैठक के बाद किसके नाम पर मुहर लगेगी ये सब आने वाला वक्त तय करेगा.

राजस्थान में कुर्सी की रेस को लेकर अभी भी सियासी गलियारों में चर्चाएं जोरों पर है. सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के सांसद बेटे दुष्यंत सिंह पर बाड़ाबंदी करवाने के आरोप का मामला तूल पकड़े हुए है. किशनगंज से विधायक ललित मीणा को जबरन सीकर रोड स्थित एक रिजॉर्ट जबरन रोकने के आरोप के बाद राजस्थान की सर्दी में सियासी पारा गर्म है.

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हेमराज मीणा की सियासी कुंडली: एक पक्ष बाड़ाबंदी की बात कह रहा है तो वहीं दूसरा पक्ष इसे सिरे से नकार रहा है. बाड़ेबंदी का आरोप लगाने कोई और नहीं भारतीय जनता पार्टी के ही पूर्व विधायक हेमराज मीणा हैं, जिनके पुत्र ललित मीणा बारां जिले के किशनगंज से दूसरी बार विधायक चुने गए हैं. हेमराज मीणा भी एक बार बीजेपी और एक बार निर्दलीय विधायक रह चुके हैं. हेमराज मीणा भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय सदस्य रहे हैं और पार्टी के कई पदों पर भी रहे हैं. हेमराज मीणा राजस्थान में पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष, एसटी मोर्चा में भी राष्ट्रीय और प्रदेश के पदाधिकारी भी रह चुके हैं

1985 में हेमराज मीणा बने एमएलए: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हेमराज मीणा बारां जिले की राजनीति में साल 1980 के आसपास सक्रिय हो गए थे. हेमराज किशनगंज विधानसभा सीट से 6 चुनाव में अपनी किस्मत अजमाई जिसमें एक बार बतौर बीजेपी और एक बार निर्दलीय जीत का परचम लहराया. हेमराज मीणा ने किशनगंज से पहला चुनाव साल 1985 में भाजपा प्रत्याशी के रूप में लड़ा था, हीरालाल सहरिया यहां से चुनाव जीते थे. 1990 के चुनाव में उन्होंने हीरालाल सहरिया को चुनाव हराया और विधायक चुने गए थे. इसके बाद साल 1993 और 1998 दोनों चुनाव में उन्हें हार मिली थी.

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टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय उतर गए थे मैदान में: साल 2003 में हेमराज मीणा ने किशनगंज विधानसभा सीट से तैयारी की थी, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. ऐसे में निर्दलीय ही चुनावी मैदान में उतर गए थे. 2003 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी हीरालाल सहरिया को मात दी. वहीं भाजपा प्रत्याशी मोहनलाल बोरदा तीसरे पायदान पर थे. साल 2008 के चुनाव में हीरालाल सहरिया की बेटी निर्मला सहरिया ने हेमराज मीणा को हराया था. बाद में पार्टी ने उनकी जगह उनके बेटे ललित मीणा को 2013, 2018 और 2023 में टिकट दिया.

वसुंधरा के रहे हैं मुखर विरोधी: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े होने और कई मुद्दों पर अलग राय रखने वाले हेमराज मीणा की पटरी सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया से नहीं बैठी. हेमराज मीणा संगठन को सर्वोपरि मानने की बात हमेशा कहते रहे हैं. उनके किशनगंज से पहले चुनाव लड़ने के बाद साल 1989 में वसुंधरा राजे भी झालावाड़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए आ गई थी. किशनगंज विधानसभा झालावाड़ लोकसभा सीट के अधीन आती है. दोनों के बीच कई मुद्दों पर अलग राय रही. वहीं साल 2003 में उनको टिकट भी किशनगंज से नहीं मिला, इसके पीछे भी वह वसुंधरा राजे सिंधिया को कारण मानते हैं इसके चलते ही वे राजे के खिलाफ पार्टी में मुखर विरोधी हैं.

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