कोटा. शहर के पेरीफेरी में रिंग रोड की कल्पना कई सालों पहले ही की गई थी, जो नॉर्दन बाईपास के रूप में थी. पहले से ही साउदर्न बाईपास बन रहा था. ये 2016 में हैंगिंग ब्रिज के साथ पूरा हो गया. लेकिन 2015 में ग्रीन फील्ड नॉर्दन बाईपास का जो निर्माण शुरू हुआ था, वो 8 साल बीतने के बाद भी अधूरा है. इधर, फेज टू के लिए केंद्र सरकार की ओर से साल 2022 में ही राशि जारी कर दी गई थी, लेकिन भू अवाप्ति का काम नहीं हो पाया है. यहां तक कि सीमांकन भी पूरी जमीन पर नहीं हो सका है. इसके चलते कार्य आदेश और अनुबंध होने के बाद भी ठेकेदार काम नहीं कर पा रहे हैं. वहीं, फेस वन का काम तो पहले से ही अधूरा है. यहां भी कम मुआवजे के चलते काम नहीं हो पाया था, जिसका खामियाजा वाहन चालकों को भुगतना पड़ रहा है. उन्हें कई किलोमीटर लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है. ऐसे में दूसरे फेज का काम भी अगर इसी गति से होती रही है, वो भी अटक सकता है.
डेढ़ साल में हुआ आधा भू अवाप्ति का काम - सार्वजनिक निर्माण विभाग के एनएच खंड के अधीक्षण अभियंता राजीव अग्रवाल का कहना है कि नॉर्दन बाईपास के फेज 2 के लिए 57 हेक्टेयर जमीन अवाप्त की जानी है. इसमें 51 हेक्टेयर किसानों की जमीन है. जबकि 6 हेक्टेयर सरकारी सिवायचक भूमि है. किसानों की 54.72 प्रतिशत भूमि ही अवाप्त हो पाई है. जबकि शेष करीब 45 फीसदी भूमि की अवाप्ति अभी बाकी है. अवाप्त भूमि 28 हेक्टेयर है, जबकि शेष 23 हेक्टेयर भूमि की अवाप्ति शेष है. हालांकि, अब अवाप्ति की गई भूमि भी पीडब्ल्यूडी को नहीं मिली है. किसानों को जो मुआवजा दिया जाना है, वो 78.38 करोड़ है, जिसमें से 42.89 करोड़ रुपए मुआवजा दिया जा चुका है, जबकि 35.49 करोड रुपए अभी देने बाकी है.
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बेनतीजा रहीं बैठकें - नॉर्दन बाईपास में भूमि अवाप्ति के लिए मुख्य सचिव उषा शर्मा 10 जून को बैठक ले चुकी हैं. इसके बाद 26 जून को पीडब्ल्यूडी के प्रमुख शासन सचिव वैभव गालरिया ने भी बैठक ली थी. बूंदी कलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी ने भी जून महीने में मीटिंग की थी और एक महीने में पूरी भू अवाप्ति का काम समाप्त करने के लिए निर्देशित किया गया था, लेकिन हालात अभी भी वैसे ही हैं. यह अवाप्ति का काम बीते दो महीने में कुछ प्रतिशत ही बढ़ा है. निर्माण कंपनी के सीनियर प्रोजेक्ट मैनेजर बी राजशेखर का कहना है कि यह भू-अवाप्ति 4 लेन की सड़क मार्ग के अनुसार की जानी है. वर्तमान में यह दो लेन की सड़क बननी है. इसमें सड़क के दाईं तरफ पर नीचे की तरफ दीवार बनाई जाएगी. शेष 2 लेन जब भी सरकार बनवाएगी, वह बाईं तरफ ही निर्माण होगा.
सेटअप तैयार पर निर्माण के लिए जमीन की दरकार - 25 जनवरी, 2023 को मैसर्स राजाराम कंट्रक्शन कंपनी भीनमाल जालौर के साथ सार्वजनिक निर्माण विभाग ने वर्क आर्डर के बाद अनुबंध भी कर लिया. हालांकि, सात महीने बाद भी निर्माण के लिए कंपनी को जगह नहीं मिली है. कंपनी के सीनियर प्रोजेक्ट मैनेजर बी राजशेखर का कहना है कि उन्होंने बल्लोप इलाके में प्लांट पूरी तरह से स्थापित कर दिया है. इसके साथ ही मशीनरी भी पूरी तरह यहां पर आ गई है. हमारा सर्वे से लेकर सब काम पूरा है, लेकिन काम करने के लिए हमें जमीन ही नहीं मिली है. स्टॉफ से लेकर सब तैयारी हमारी पूरी है. जबकि यह काम हमें 18 महीने में पूरा करना है, जिसमें से 7 महीने निकल गए हैं. हमें जनवरी में ही जमीन मिल जाती तो अब तक हम 30 फीसदी काम पूरा कर देते.
स्टाफ, वाहन से लेकर स्टेशनरी कंप्यूटर तक उपलब्ध कराया - एसई अभियंता राजीव अग्रवाल का कहना है कि भूमि अवाप्ति में स्टाफ की कमी पहले बताई गई थी. इसके बाद ही 8 लाख का बजट की स्वीकृत किया गया. जिसको 6 महीने हो गए और यह स्वीकृति फिर बढ़ा दी गई है. इसमें रिटायर्ड, तहसीलदार सर्वेयर और वाहन उपलब्ध करवाया गया है. इसके साथ ही चपरासी, कंप्यूटर और स्टेशनरी के लिए भी 258000 रुपए का बजट जारी कर दिया. बाद में कंप्यूटर व प्रिंटर के लिए भी 73 हजार का बजट दे दिया है, लेकिन काम अभी भी काफी धीमी गति से चल रहा है. इसके अलावा अवाप्ति कैंप लगाने के लिए भी व्यवस्था करवाई जाती है.
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90 फीसदी जमीन मिले तो काम हो शुरू - एसई राजीव अग्रवाल ने कहा कि केंद्र सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे ने 31 मार्च, 2022 को 317.74 करोड़ की स्वीकृति दे दी थी. अगर उन्हें 90 फीसदी जगह भी काम करने के लिए मिल जाए तो वो काम शुरू कर देंगे, जबकि सीमांकन भी पूरा नहीं हुआ था. सीमांकन के लिए लगाए गए मुटाम भी किसानों ने हटा दिए है. दूसरी तरफ नेशनल हाईवे एक्ट 1956 की शक्तियों के अनुसार 3D हो जाने के बाद पजेशन लिया जा सकता है. उन्होंने आग्रह किया है कि एडीएम सीलिंग बूंदी के अलावा एसडीएम तालेड़ा, तहसीलदार तालेड़ा व इस एरिया के पटवारी डिमार्केशन का काम जल्द करवाएं.
कलेक्टर ने गिनाए भू अवाप्ति में देरी के ये कारण - बूंदी के जिला कलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी का कहना है कि नॉर्दन बाईपास कोटा के फेज टू के लिए भूमि अवाप्ति का काम चल रहा है. हमने बीते 2 महीने में काफी कुछ प्रगति इसमें की है. हालांकि डॉ. गोस्वामी का मानना है कि इसमें देरी जरूर हो गई है, क्योंकि यह काम एडीएम सीलिंग बूंदी देखते हैं. यह पद या तो खाली रहता है या फिर लगातार इस पद पर आने वाले अधिकारियों का स्थानांतरण हो जाता है. इसी के चलते देरी हुई है, हम अतिरिक्त चार्ज देकर ही यह काम करवा रहे हैं. हाल ही में इस पद पर लगे अधिकारी का ट्रांसफर हो गया है, नए अधिकारी के तौर पर आरएएस नवरत्न होली को लगाया है. जिन्होंने भी ज्वाइन नहीं किया है.
ये भी है एक बड़ा कारण - इस नॉर्दन बाईपास से ज्यादातर फायदा कोटा जिले के लोगों को होने वाला है, जबकि जमीन दूसरे फेज में पूरी बूंदी जिले के किसानों की जा रही है. इसीलिए बूंदी का जिला प्रशासन को ही यह काम करना है. यहां तक की बूंदी के जनप्रतिनिधि भी इस मामले को लेकर कोई रुचि नहीं दिखा रहे हैं, इसलिए भी इस काम में ज्यादा इंटरेस्ट बूंदी के अधिकारी नहीं ले रहे हैं. वर्तमान में बारां रोड से आकर जयपुर- बूंदी और सवाई माधोपुर की तरफ जाने वाले वाहनों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. इन वाहन चालकों को या तो शहर के बीच में से होकर गुजरना पड़ता है या फिर सभी वाहन चालकों को हैंगिंग ब्रिज के जरिए जाना मजबूरी बना हुआ है. इसी के चलते इन वाहन चालकों को राहत देने के लिए नॉर्दन बायपास एनएच 27 पर ताथेड़ के नजदीक से शुरू किया गया था. यह केशोरायपाटन रोड पर गामछ में कोटा लालसोट मेगा हाईवे पर मिलता है. साथ ही यहां से आगे बल्लोप तक भी ग्रीनफील्ड बाईपास निकलना है. यह कार्य फेज टू में होना है. हालांकि, 8 साल बाद भी यह यह सपना साकार नहीं हो पाया है.
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वाहन चालकों को कम होगी समस्या - पीडब्ल्यूडी के एसई राजीव अग्रवाल का कहना है कि नॉर्दन बाईपास के बनने के बाद बारां रोड की तरफ से आने वाले वाहनों को जयपुर जाने में सुविधा होगी. वर्तमान में यह लोग साउदर्न बाईपास का उपयोग करते हैं. यह एनएच 27 और एनएच 52 को मिलाकर बना हुआ है. यह पूरा 45 किलोमीटर है. जबकि नॉर्दर्न बाईपास 27 किलोमीटर का है. इसी तरह से जब यह रास्ता शुरू हो जाएगा, तब वाहन चालकों को जयपुर जाने के लिए सीधा और सुगम रास्ता मिलेगा. इस पर 18 किलोमीटर दूरी कम तय करनी होगी. इसके साथ ही वाहन चालकों को हैंगिंग ब्रिज का भारी-भरकम टोल देने की जगह केवल 2 लेन की सड़क का ही टोल देना पड़ेगा.
इसके साथ ही बारां की तरफ से सवाई माधोपुर जाने वाले वाहनों को भी कोटा शहर में जाने से निजात मिलेगी. बूंदी रोड की तरफ से की तरफ से सवाई माधोपुर जाने वाले वाहन चालकों को कोटा के केशोरायपाटन तिराहा पर आने की जगह सीधे ही निकलने के लिए रास्ता मिलेगा. इसमें भी वर्तमान रास्ता 25 किलोमीटर का है, जबकि केवल 13 किलोमीटर के नॉर्दन बाईपास के रास्ते से होकर भी जा सकेंगे.
2.1 किमी का कार्य है पहले फेज में अधूरा - नॉर्दन बाईपास का फेस -1 का काम नगर विकास न्यास ने साल 2015 में शुरू करवाया था. यह 65 और 55 करोड़ दो अलग-अलग टेंडर के जरिए बनवाया गया था. इसमें भी अवाप्ति के लिए आर्बिट्रेटर नियुक्त किया गया था, लेकिन तब इसका मुआवजा काफी कम था. इसके चलते विवाद भी हुआ था. 2015 में मौके पर काम शुरू हो गया था, जिसे 2017 में पूरा होना था, लेकिन 2018 में 90 फीसदी काम होने के बाद बंद हो गया. जिसके बाद दोबारा शुरू नहीं हुआ है. यह 14.2 किलोमीटर का था, जिसमें से 11.1 किलोमीटर का निर्माण हुआ है. जबकि शेष 2.1 किमी शेष है.
पहले फेज के अधूरे काम के लिए मांगी मोर्थ से अप्रूवल - फेज वन के पहले हिस्से में 65 करोड़ में 3.9 किलोमीटर का काम हुआ है. इसमें गामछ के नजदीक रेलवे ब्रिज और चंबल नदी पर पुल का निर्माण कार्य भी शामिल था, जबकि हिस्से में दूसरे 55 करोड़ रुपए से 10.3 किलोमीटर सड़क बननी थी, जो अटका हुआ है. करीब 2.01 किमी का कार्य शेष है. इनमें अधूरे रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य भी शामिल है. ये सारे काम भू अवाप्ति के चक्कर में अटके थे, क्योंकि किसानों ने मुआवजा कम बताया था. न्यायालय ने मुआवजा बढ़ा दिया है. यूआईटी के अधीक्षण अभियंता और प्रोजेक्ट डायरेक्टर राजेंद्र राठौड़ का कहना है कि शेष निर्माण कार्य का टेंडर अप्रूवल के लिए मोर्थ के पास भेजा गया है.
बनी सड़कों को हुआ नुकसान, टोल बिल्डिंग में हो रही चोरियां - पहले फेज में किशनपुरा तकिया गांव के नजदीक टोल प्लाजा भी बनाया गया है, जहां पर टोल बिल्डिंग का निर्माण भी हो गया था. यह बिल्डिंग भी पूरी तरह से बनकर तैयार थी, लेकिन चोरों ने काफी नुकसान इस बिल्डिंग और टोल प्लाजा को पहुंचा दिया है. टोल प्लाजा पर लगे हुए कांच से लेकर नोटिस बोर्ड को ले गए. यहां तक कि बिल्डिंग के खिड़की दरवाजे भी गायब कर दिए गए हैं. दूसरी तरफ, करीब 5 साल से सड़क पर यातायात भी बनने के बाद चालू नहीं हुआ. ऐसे में बनी हुई सड़क को भी काफी नुकसान हो गया है. यह सड़क भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हालत में हो गई है. यातायात चलने के बाद यहां पर वाहनों के दुर्घटना का भी खतरा बना हुआ है.