कोटा. अनंत चतुर्दशी के दिन लोग अपने घरों और कॉलोनियों में विराजे गए गणपति का विसर्जन करते हैं. कोटा में गणपति विसर्जन के लिए किशोर सागर तालाब को चिन्हित किया गया है. यहां हजारों की संख्या में लोग अपने गणपति विसर्जित करने के लिए आते हैं. इस बार भी 50 हजार से ज्यादा गणपित इस तालाब में विसर्जित किए जाने हैं.
गणपति को तालाब में विसर्जन के लिए लाने के रास्त में लोग नाचते-गाते पहुंचते हैं. झालर, मंजीरे और ढोल की धुनों के बीच लोगों की आस्था और उत्साह चरम पर दिखाई देता है. साथ ही लोग अपने परिजनों के लिए गणपति से मन्नत भी मांगते हैं. किशोर सागर तालाब के अलावा चंबल नदी में भीतरिया कुंड व नदी पार क्षेत्र में बालिता इलाका, स्टेशन क्षेत्र में रंगपुर और दाईं मुख्य नहर में गणपति विसर्जन होता है.
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कोटा में 10 दिन तक लोग घरों में गणपति को विराजित रखते हैं. इस तरह करीब 50 हजार से ज्यादा गणपति विसर्जित किए जाते हैं. गणपति विर्सजन के लिए किशोर सागर तालाब पर नाव लगाई गई है. जिनके जरिए छोटे गणपति की प्रतिमाओं को तालाब के बीच में ले जाकर विसर्जित किया जाता है. साथ ही यहां पर रेस्क्यू टीम से लेकर सिविल डिफेंस और एसडीआरएफ की टुकड़ी भी तैनात की जाती है. हादसा होने की स्थिति में ये टीमें तुरंत रेस्क्यू में जुट जाती हैं.
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इसके अलावा नगर विकास न्यास और नगर निगम भी यहां पर सुरक्षा सहित अन्य इंतजाम करती है. कोटा में दोपहर में अनंत चतुर्दशी का जुलूस शुरू होता है. यह जुलूस सूरजपोल से शुरू होकर कैथूलीपोल, श्रीपुरा, अग्रसेन बाजार, रामपुरा, लाडपुरा होता हुआ किशोर सागर तालाब की पाल पर पहुंचता है. इस तालाब में गणपति विसर्जन किया जाता है. इसमें करीब 75 अखाड़े शामिल रहते हैं. इसके साथ ही 150 से ज्यादा झांकियां होती हैं. इतने ही संख्या में 18 से 20 फीट ऊंचाई की गणपति प्रतिमाएं विसर्जित की जाती हैं. विसर्जन का सिलसिला सुबह से शुरू होता है, जो देर शाम तक जारी रहता है.