कोटा. नए ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के लिए शंभूपुरा में जमीन प्रस्तावित किया है. हालांकि यह जमीन वन विभाग के एरिया में आ रही थी. ऐसे में इस वन भूमि के डायवर्जन की फाइल लंबे समय से अटकी हुई थी. जिसके लिए लोकसभा स्पीकर ओम बिरला भी जुटे हुए थे, वे केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से लेकर नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधिकारियों और मंत्रियों से भी बातचीत कर रहे थे. ऐसे में गुरुवार वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की बैठक में एयरपोर्ट के लिए वन भूमि के डायवर्जन की स्वीकृति दे दी (Forest area diversion approved for Kota Airport) है.
इसके साथ ही नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने भी एयरपोर्ट निर्माण के लिए अपनी हरी झंडी दे दी है. अब अगले वर्ष एयरपोर्ट का निर्माण कार्य प्रारंभ होने की संभावना बढ़ गई है. लोकसभा स्पीकर बिरला के प्रयासों के बाद ही वनभूमि के डायवर्जन के लिए राज्य सरकार ने प्रस्ताव केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेजा था. प्रस्ताव पर मंत्रालय ने कुछ और जानकारी राज्य सरकार से मांगी थी. यह जानकारी कुछ ही दिन पूर्व राज्य सरकार ने भेजी थी. साथ ही एयरपोर्ट के लिए नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड की स्वीकृति भी आवश्यक थी. स्पीकर बिरला दोनों ही स्वीकृतियां दिलाने के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के निरंतर सम्पर्क में थे.
इस स्वीकृति के बाद अब केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से राजस्थान सरकार को पत्र के माध्यम से आधिकारिक सूचना भेजी जाएगी. यह सूचना मिलने के बाद राज्य सरकार की ओर से डायवर्जन का पैसा जमा कराया जाएगा. डायवर्जन राशि जमा होने पर भूमि एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के नाम दर्ज हो जाएगी. इसके बाद एयरपोर्ट अथॉरिटी डीपीआर तैयार करने के लिए टेंडर जारी करेगी. स्पीकर बिरला के निर्देश पर अथॉरिटी ने पहले से ही इसकी तैयारी कर रखी है. डीपीआर तैयार होने के बाद निर्माण कार्य के टेंडर होंगे.
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एयरपोर्ट की प्रस्तावित भूमि पर आ रही विद्युत लाइन को भी शिफ्ट करने के लिए पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने तैयारी कर ली है. इसके लिए लाइन के वैकल्पिक मार्ग को तय कर उसके बारे में यूआईटी, वन विभाग सहित अन्य एजेंसियों से एनओसी भी प्राप्त कर ली है. अब जैसे ही राज्य सरकार लाइन शिफ्टिंग की राशि जमा कराएगी, पावर ग्रिड आगे की प्रक्रिया प्रारंभ कर देगी.