कोटा. लोकसभा स्पीकर ओम बिरला की अध्यक्षता में दिल्ली में हाड़ौती के दो टाइगर रिजर्व मुकुंदरा हिल्स और रामगढ़ विषधारी को लेकर उच्च स्तरीय बैठक गुरुवार को आयोजित हुई. बैठक में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव भी मौजूद थे. इस दौरान उनके संसदीय क्षेत्र में आने वाले दोनों टाइगर रिजर्व के संबंध में जानकारियां ली है. मुकुंदरा हिल्स और रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में बाइसन यानी गौर (भैंसा) छोड़ने पर निर्णय लिया गया है, जिन्हें दक्षिण भारत के राज्यों और असम के जंगलों से राजस्थान शिफ्ट किया जाएगा.
इनके सर्वाधिक उपस्थिति भी इन राज्यों में ही है. इसके साथ ही बैठक में निर्णय लिया गया है कि मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व और रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में जल्द एक-एक बाघिन छोड़ी जाएगी. इसके अलावा दोनों टाइगर रिजर्व के विकास के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय 8 करोड़ रुपये भी जारी करेगा. जिसमें वॉटर पाइंट, सुरक्षा संबंधी उपायों कार्य होंगे.
चंबल नदी में क्रूज चलाने को लेकर भी बैठक में चर्चा की गई.
चंबल राष्ट्रीय घड़ियाल सेंचुरी होने के चलते केंद्रीय स्तर से स्वीकृति मिलने की बात आई, जिसमें राज्य सरकार के विभाग के जरिए प्रस्ताव आने पर उसे स्वीकृति देने पर सहमति बनी है. बैठक में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में महानिदेशक वन सीपी गोयल, एनटीसीए के सदस्य सचिव डॉ. एसपी यादव, राजस्थान सरकार के वन विभाग के प्रमुख शासन सचिव शिखर अग्रवाल, लोक सभा में संयुक्त सचिव सिद्धार्थ महाजन, लोक सभा अध्यक्ष के ओएसडी राजीव दत्ता भी मौजूद थे.
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इस तरह का होता है गौर या इंडियन बाइसन : गौर बड़े भैंसे की तरह दिखने वाला एक बड़ा जानवर है, जिसके बड़े सींग होते हैं. जिससे वह शिकारी जानवरों से अपनी रक्षा करता है. बताया जाता है कि दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में यह पाया जाता है. इसे गोवंश की प्रजाति का पशु माना जाता है और यह शाकाहारी होता है. इसका सर्वोत्तम विकास दक्षिण भारतीय पहाड़ियों व असम में होता है. यह महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश व असम में यह आसानी से देखा जा सकता है. शाकाहारी होने के चलते इंडियन बाइसन खेतों में पहुंच जाता है और इसका किसानों से संघर्ष के मामले भी सामने आए हैं. उत्तर भारत में इसकी उपस्थिति लगभग ना के बराबर है. खासकर राजस्थान में पहले से गौर की उपस्थिति नहीं है.