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हाड़ौती का पीडीएस सिस्टम पंजाब-हरियाणा के भरोसे, इस बार भी खाली रहेंगे FCI के गोदाम

हाड़ौती का पीडीएस सिस्टम इस साल पंजाब और हरियाणा के भरोसे रहने वाला है, क्योंकि इस बार भी एफसीआई के गोदाम खाली रहेंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि कोटा संभाग में पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के जरिए जितनी गेहूं की आवश्यकता है, उसकी अनुपात में महज 12 फीसदी ही उपलब्ध हो पाया है. यहां जानिए पूरी स्थिति...

Rajasthan Public Distribution System
हाड़ौती का PDS System पंजाब-हरियाणा के भरोसे
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Published : Jul 12, 2023, 4:55 PM IST

इस बार भी खाली रहेंगे FCI के गोदाम

कोटा. केंद्र सरकार पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के लिए हर साल गेहूं की खरीद करती है, लेकिन बीते 2 सालों में गेहूं के बाजार मूल्य ज्यादा होने के चलते कोटा संभाग में खरीद काफी कम रह गई है. बीते साल जहां पर गेहूं की महक 6 मीटर ही खरीद हुई थी. इस बार यह खरीद बड़ी जरूर है, लेकिन कोटा संभाग की पूर्ति के बराबर खरीद नहीं हो पाई है. इसी के चलते अब कोटा संभाग का पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश के गेहूं के भरोसे है.

एफसीआई के डिविजनल मैनेजर सतीश कुमार का कहना है कि कोटा संभाग में पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के जरिए हर साल 2.80 लाख मीट्रिक टन गेहूं की आवश्यकता है. उसकी अनुपात में महज 32.6 हजार मीट्रिक टन ही गेहूं ही खरीद हो पाया है. यह महज 12 फीसदी ही स्थानीय स्तर पर उपलब्ध हो पाया है, जबकि शेष 88 फीसदी के लिए दूसरे राज्यों से सप्लाई होगी. साल 2021 का कुछ स्टॉक बचा हुआ था, जिसे 2022 में उपयोग किया और इसके बाद शेष गेहूं पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश से मंगाया था.

कम कर दिया था राजस्थान का लक्ष्य : राजस्थान का लक्ष्य भी इस बार कम कर दिया गया है. इस बार 5 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा था. बीते साल खरीद हाड़ौती में खरीद नहीं हुई थी, इस बार भी साल 2021 की अपेक्षा में हाड़ौती से ज्यादा खरीद नहीं हुई है. जबकि अन्य जिलों में यह खरीद हुई है, जिससे कि लक्ष्य के नजदीक राजस्थान पहुंच गया है. यह 4.32 लाख मीट्रिक टन की खरीद हो गई. बीते साल हाड़ौती में खरीद नहीं होने के चलते यह कम कर दिया गया था. इसके साथ ही हाड़ौती में जहां 2021 में छह लाख मीट्रिक टन खरीद हुई. इस बार महज लक्ष्य इस साल कोटा का लक्ष्य 1.2 लाख मीट्रिक टन था, जिसकी महज 25 फीसदी खरीद हुई है.

पढे़ं : Special : मंडी में चना और सरसों बेचने को मजबूर किसान, हर रोज झेल रहे करोड़ों का नुकसान

इसलिए किसान मंडी में बेच रहे माल : बीते साल गेहूं के दाम भामाशाह कृषि उपज मंडी में 2200 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास थे. साल 2022 में यह एमएसपी 2015 थी. बीते साल से एमएसपी 110 रुपए बढ़कर 2125 रुपए प्रति क्विंटल हुई है, जबकि मंडी में इस बार भाव बीते साल से थोड़े कम है, 2100 के आसपास है. इसके बावजूद भी किसान मंडी में ही माल देना पसंद कर रहे हैं, ताकि उन्हें तुरंत पैसा मिल जाए और देनदारी को चुका सके.

बीते सालों से महज 6 फीसदी खरीद : कोटा में बात की जाए तो साल 2020 में 6.30 लाख मीट्रिक टन और 2021 में 5.81 लाख मीट्रिक टन की खरीद की गई है. दोनों सालों में मिलाकर करीब 12 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा की खरीद की गई, जबकि साल 2022 में महज 6 मीट्रिक टन की खरीद हुई थी. साल 2023 में 15 जून तक 32636 मीट्रिक टन की खरीद हुई है. यह बीते साल से तो बढ़ी है, लेकिन साल 2021 का महज छह फीसदी से भी कम है. जबकि कोटा संभाग में पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के अलावा मिड-डे-मील, आईसीडीएस और आर्मी को भी सप्लाई गेहूं की फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के जरिए होती है. यह करीब 2.75 मीट्रिक टन है.

कई केंद्रों पर 500 मीट्रिक टन की खरीद भी नहीं : केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य 2125 रुपए में खरीद का तय किया था. इसमें फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, तिलम संघ, राजफैड और नैफेड के जरिए खरीद की जा रही है. इनके लिए 71 केंद्र बनाए गए हैं. बारां 7, बूंदी 30, झालावाड़ 11 और कोटा में 23 केंद्र शामिल है. हालांकि, किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने में रुचि नहीं दिखाई है. कई खरीद के अंदर तो ऐसे हैं, जहां पर कुल 500 मीट्रिक टन की खरीद भी नहीं हो पाई है. हालांकि, एफसीआई के अधिकारियों का कहना है कि जब वेयरहाउस में माल पहुंच जाता है. उसके अनुसार ही ट्रांसपोर्टेशन और लोडिंग अनलोडिंग के साथ तुलाई का पैसा संवेदक को दिया जाता है. हालांकि, तुलाई केंद्रों पर स्टाफ जरूर लगाया किया हुआ है.

रैक के जरिए पहुंच रहा है, लग रहा किराया : एफसीआई कोटा के वेयरहाउस मैनेजर दाताराम मीणा का कहना है कि पहले आसपास के इलाकों में खरीद होने के चलते ट्रकों से ही माल पहुंच जाता था. इसमें केवल ट्रकों की एक बार की लागत ही लोडिंग अनलोडिंग की लगती थी, लेकिन अब हालात अभी बदले हुए हैं. हमें पंजाब और हरियाणा से रेलवे ट्रैक के जरिए माल मिल रहा है, जिसको रेलवे के माल गोदाम से एफसीआई के गोदामों तक ट्रकों के जरिए लाया जाता है. इसमें भी खर्चा बढ़ रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में हो रही खरीद का माल भी उनके वेयरहाउस में पहुंच रहा है, लेकिन उसकी संख्या काफी कम है. यह ट्रकों के जरिए ही माल आ रहा है.

खाली कर दिए एफसीआई ने गोदाम : फूड ऑपरेशन ऑफ इंडिया ने अपने अलावा सेंट्रल वेयरहाउस कॉरपोरेशन, राजस्थान स्टेट वेयरहाउस कॉरपोरेशन व प्राइवेट वेयरहाउस भी अनाज को रखने के लिए लिए हुए थे. हाड़ौती चारों जिलों में करीब 18 वेयरहाउस एफसीआई ने अपने अधीन कर रखे थे, लेकिन बीते साल भी खरीद नहीं होने के चलते वे वेयर हाउस खाली होते रहे. इस बार भी खरीद काफी कम है. ऐसे में इन वेयरहाउस में माल खत्म होता रहा है. ऐसे में यह खाली होते रहे हैं और आज की तारीख में महज 10 वेयरहाउस भी हाड़ौती के चारों जिलों में एफसीआई के पास में है.

इस बार भी खाली रहेंगे FCI के गोदाम

कोटा. केंद्र सरकार पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के लिए हर साल गेहूं की खरीद करती है, लेकिन बीते 2 सालों में गेहूं के बाजार मूल्य ज्यादा होने के चलते कोटा संभाग में खरीद काफी कम रह गई है. बीते साल जहां पर गेहूं की महक 6 मीटर ही खरीद हुई थी. इस बार यह खरीद बड़ी जरूर है, लेकिन कोटा संभाग की पूर्ति के बराबर खरीद नहीं हो पाई है. इसी के चलते अब कोटा संभाग का पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश के गेहूं के भरोसे है.

एफसीआई के डिविजनल मैनेजर सतीश कुमार का कहना है कि कोटा संभाग में पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के जरिए हर साल 2.80 लाख मीट्रिक टन गेहूं की आवश्यकता है. उसकी अनुपात में महज 32.6 हजार मीट्रिक टन ही गेहूं ही खरीद हो पाया है. यह महज 12 फीसदी ही स्थानीय स्तर पर उपलब्ध हो पाया है, जबकि शेष 88 फीसदी के लिए दूसरे राज्यों से सप्लाई होगी. साल 2021 का कुछ स्टॉक बचा हुआ था, जिसे 2022 में उपयोग किया और इसके बाद शेष गेहूं पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश से मंगाया था.

कम कर दिया था राजस्थान का लक्ष्य : राजस्थान का लक्ष्य भी इस बार कम कर दिया गया है. इस बार 5 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा था. बीते साल खरीद हाड़ौती में खरीद नहीं हुई थी, इस बार भी साल 2021 की अपेक्षा में हाड़ौती से ज्यादा खरीद नहीं हुई है. जबकि अन्य जिलों में यह खरीद हुई है, जिससे कि लक्ष्य के नजदीक राजस्थान पहुंच गया है. यह 4.32 लाख मीट्रिक टन की खरीद हो गई. बीते साल हाड़ौती में खरीद नहीं होने के चलते यह कम कर दिया गया था. इसके साथ ही हाड़ौती में जहां 2021 में छह लाख मीट्रिक टन खरीद हुई. इस बार महज लक्ष्य इस साल कोटा का लक्ष्य 1.2 लाख मीट्रिक टन था, जिसकी महज 25 फीसदी खरीद हुई है.

पढे़ं : Special : मंडी में चना और सरसों बेचने को मजबूर किसान, हर रोज झेल रहे करोड़ों का नुकसान

इसलिए किसान मंडी में बेच रहे माल : बीते साल गेहूं के दाम भामाशाह कृषि उपज मंडी में 2200 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास थे. साल 2022 में यह एमएसपी 2015 थी. बीते साल से एमएसपी 110 रुपए बढ़कर 2125 रुपए प्रति क्विंटल हुई है, जबकि मंडी में इस बार भाव बीते साल से थोड़े कम है, 2100 के आसपास है. इसके बावजूद भी किसान मंडी में ही माल देना पसंद कर रहे हैं, ताकि उन्हें तुरंत पैसा मिल जाए और देनदारी को चुका सके.

बीते सालों से महज 6 फीसदी खरीद : कोटा में बात की जाए तो साल 2020 में 6.30 लाख मीट्रिक टन और 2021 में 5.81 लाख मीट्रिक टन की खरीद की गई है. दोनों सालों में मिलाकर करीब 12 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा की खरीद की गई, जबकि साल 2022 में महज 6 मीट्रिक टन की खरीद हुई थी. साल 2023 में 15 जून तक 32636 मीट्रिक टन की खरीद हुई है. यह बीते साल से तो बढ़ी है, लेकिन साल 2021 का महज छह फीसदी से भी कम है. जबकि कोटा संभाग में पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के अलावा मिड-डे-मील, आईसीडीएस और आर्मी को भी सप्लाई गेहूं की फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के जरिए होती है. यह करीब 2.75 मीट्रिक टन है.

कई केंद्रों पर 500 मीट्रिक टन की खरीद भी नहीं : केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य 2125 रुपए में खरीद का तय किया था. इसमें फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, तिलम संघ, राजफैड और नैफेड के जरिए खरीद की जा रही है. इनके लिए 71 केंद्र बनाए गए हैं. बारां 7, बूंदी 30, झालावाड़ 11 और कोटा में 23 केंद्र शामिल है. हालांकि, किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने में रुचि नहीं दिखाई है. कई खरीद के अंदर तो ऐसे हैं, जहां पर कुल 500 मीट्रिक टन की खरीद भी नहीं हो पाई है. हालांकि, एफसीआई के अधिकारियों का कहना है कि जब वेयरहाउस में माल पहुंच जाता है. उसके अनुसार ही ट्रांसपोर्टेशन और लोडिंग अनलोडिंग के साथ तुलाई का पैसा संवेदक को दिया जाता है. हालांकि, तुलाई केंद्रों पर स्टाफ जरूर लगाया किया हुआ है.

रैक के जरिए पहुंच रहा है, लग रहा किराया : एफसीआई कोटा के वेयरहाउस मैनेजर दाताराम मीणा का कहना है कि पहले आसपास के इलाकों में खरीद होने के चलते ट्रकों से ही माल पहुंच जाता था. इसमें केवल ट्रकों की एक बार की लागत ही लोडिंग अनलोडिंग की लगती थी, लेकिन अब हालात अभी बदले हुए हैं. हमें पंजाब और हरियाणा से रेलवे ट्रैक के जरिए माल मिल रहा है, जिसको रेलवे के माल गोदाम से एफसीआई के गोदामों तक ट्रकों के जरिए लाया जाता है. इसमें भी खर्चा बढ़ रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में हो रही खरीद का माल भी उनके वेयरहाउस में पहुंच रहा है, लेकिन उसकी संख्या काफी कम है. यह ट्रकों के जरिए ही माल आ रहा है.

खाली कर दिए एफसीआई ने गोदाम : फूड ऑपरेशन ऑफ इंडिया ने अपने अलावा सेंट्रल वेयरहाउस कॉरपोरेशन, राजस्थान स्टेट वेयरहाउस कॉरपोरेशन व प्राइवेट वेयरहाउस भी अनाज को रखने के लिए लिए हुए थे. हाड़ौती चारों जिलों में करीब 18 वेयरहाउस एफसीआई ने अपने अधीन कर रखे थे, लेकिन बीते साल भी खरीद नहीं होने के चलते वे वेयर हाउस खाली होते रहे. इस बार भी खरीद काफी कम है. ऐसे में इन वेयरहाउस में माल खत्म होता रहा है. ऐसे में यह खाली होते रहे हैं और आज की तारीख में महज 10 वेयरहाउस भी हाड़ौती के चारों जिलों में एफसीआई के पास में है.

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