कोटा. नए अस्पताल में करोड़ों रुपए की लागत से स्थापित की गई किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट में बुधवार को उद्घाटन के 6 महीने बाद पहला ट्रांसप्लांट (First kidney transplant done in new hospital of medical college) किया गया है. यह मरीज बूंदी जिले के नैनवा निवासी 35 वर्षीय गुमान सिंह था. जिसे किडनी उसकी मां शैली बाई ने दिया है.
किडनी ट्रांसप्लांट करने के लिए एसएमएस मेडिकल कॉलेज जयपुर से यूरोलॉजिस्ट डॉ. एसएस यादव एनेस्थीसिया की प्रोफेसर डॉ. अनुपमा गुप्ता कोटा आई थी. यहां पर कोटा मेडिकल कॉलेज के यूरोलॉजिस्ट डॉ. निलेश जैन, डॉ. शैलेंद्र गोयल, डॉ. अंकुर झंवर की टीम ने ट्रांसप्लांट को किया है. एनेस्थीसिया की टीम को डॉ. एससी दुलारा ने लीड किया. इसमें डॉ. सीएल खेड़िया और डॉ. हंसराज शामिल थे.
करीब 3 से 4 घंटे में यह प्रोसेस हुआ. जिसमें पहले किडनी डोनर से निकालकर फिर मरीज गुमानसिंह के शरीर में प्रत्यारोपित किया गया है. शैली बाई की स्थिति बिल्कुल सामान्य है. इस दौरान नए अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सीएस सुशील ने भी पूरी टीम को हाड़ौती संभाग का पहला ट्रांसप्लांट होने पर बधाई दी. उन्होंने कहा कि यह क्रम थोड़ा देरी से शुरू हुआ है, लेकिन अब लंबे समय तक हाड़ौती के मरीजों को ट्रांसप्लांट की सुविधा मिलेगी.
ट्रांसप्लांट पूरा होने के बाद डॉक्टरों का कहना है कि ट्रांसप्लांट के अगले दिन से ही कई सारे कॉम्प्लिकेशन जीवन भर होते हैं. अभी सबको मैनेज किया जा रहा है. अभी तक हम पूरी मेहनत ट्रांसप्लांट सफल बनाने के लिए कर रहे हैं. अब तक सबकुछ ठीक रहा है. गुमान सिंह का ज्यादा कोई खर्चा नहीं हुआ है. कई जांच भी उसकी सरकारी स्तर पर ही करवाई गई हैं. सबकुछ नि:शुल्क ही था. बता दें कि कोटा मेडिकल कॉलेज में सात करोड़ की लागत से किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट स्थापित की गई है. जिसका लोकार्पण तत्कालीन चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने 20 अगस्त को कर दिया था, लेकिन मरीज की रूचि नहीं होने के कारण किडनी ट्रांसप्लांट नहीं हो पा रहा था.
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अब आगे क्या: मेडिकल कॉलेज कोटा के नेफ्रोलॉजी विभाग अध्यक्ष डॉ विकास खंडेलिया ने बताया कि मरीज के अभी सभी पैरामीटर ठीक चल रहे हैं. यूरिन भी ठीक से पास हो रहा है. इसके अलावा लगातार ब्लड और यूरिन के कई टेस्ट हम करा रहे हैं. यह सभी नॉर्मल चल रहे हैं. डॉ. खंडेलिया ने बताया कि ट्रांसप्लांट के तुरंत बाद ही किडनी में रिजेक्शन और इन्फेक्शन का खतरा मरीज को रहता है. इसके चलते यूरिन का प्रेशर और मात्रा दोनों कम हो जाती है. इसके अलावा किडनी की जांचों में भी गड़बड़ी सामने आती है. उम्मीद है सब कुछ जैसा ट्रांसप्लांट हुआ है, वैसा ही चलेगा.