कोटा. नगर विकास न्यास ने स्मार्ट सिटी के तहत बूंदी रोड स्थित हर्बल पार्क में 7 करोड़ की लागत से स्नेक पार्क का निर्माण है, लेकिन बीते 7 महीने से इस र्क को शुरू नहीं किया जा सका है. इसकी वजह है सेंट्रल जू अथॉरिटी से स्नेक शिफ्ट करने की अनुमति नहीं मिलना.
स्नेक पार्क में कई प्रजाति के सांपों को रखा जाना है. सांपों को रखने के लिए अलग-अलग रूम बनाएं हैं. इनमें जहरीले और बिना जहर वाले सांप होंगे. इसके अलावा अजगर और एनाकोंडा को भी यहां पर लाया जाना प्रस्तावित है. इस निर्माण को करवाने वाले संवेदक पवन कुमार जैन का कहना है कि उन्होंने बिल्डिंग का निर्माण पूरा करवा दिया है. जिसमें सिविल वर्क से लेकर ग्लास लगाने और बिजली के काम शामिल है. अब इसके संचालन के पहले नगर विकास न्यास को बिजली कनेक्शन यहां पर लेना था जिसका कार्य भी नगर विकास न्यास के स्तर पर चल रहा है.
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पवन जैन का कहना है कि 2021 में उन्होंने इसका काम शुरू किया था. जिसे 1 साल में पूरा करना था, लेकिन करीब 15 महीने इसके निर्माण में लगे थे और 7 महीने पहले ही उन्होंने यह निर्माण पूरा करके इन्हें सौंप दिया था. हालांकि यूआईटी ने अभी हैंडओवर नहीं लिया है. यूआईटी के अधिशासी अभियंता ओपी दुबे का कहना है कि स्नेक पार्क को शुरू करने के पहले सेंट्रल जू अथॉरिटी से अनुमति चाहिए, जिसके लिए उन्होंने काफी समय पहले आवेदन कर दिया था. राज्य सरकार के जरिए यह आवेदन सेंट्रल जू अथॉरिटी पहुंचा है, लेकिन अभी अनुमति नहीं मिली है.
देश के पहले डेडीकेटेड स्नेक पार्क का दावा: नगर विकास विहार ने दावा किया है कि अन्य स्नेक पार्क बायोलॉजिकल पार्क के साथ ही संचालित किया जा रहे हैं. जबकि कोटा में बना देश का डेडीकेटेड व इंडिपेंडेंट स्नेक पार्क है. जबकि राजस्थान का तो पहला ही स्नेक पार्क होगा. जहां पर करीब 35 प्रजाति के सांपों को रखा जाएगा. जिनकी संख्या करीब 500 होगी. बूंदी रोड पर स्थित नगर विकास न्यास के हर्बल पार्क में इसे तैयार किया गया है.
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स्नेक की शेप में बना है पूरा पार्क: स्नेक पार्क को सांप का स्वरूप दिया गया है. पार्क में शेषनाग की प्रतिमा लगाकर फाउंटेन भी बनाया है. जहां सांपों को रखा जाएगा, वहां दीवारों पर सजीव पोस्टर लगाए गए हैं, जिससे सांपों को जंगल जैसा ही महसूस हो. सांपों के रहने की जगह पर मिट्टी डाली गई है. यहां आने वाले लोग सांपों को कांच में से देख पाएंगे.
रखे जाएंगे 35 तरह के स्नेक: भारत में 250 से ज्यादा प्रजाति के सांप पाए जाते हैं. इनमें से करीब 70 प्रजाति के सांपों को ही स्नेक पार्क में कैद रखने की अनुमति है. जबकि कोटा के स्नेक पार्क में स्वीकृत प्रजातियों में से करीब आधे 35 प्रजाति के पास रखे जाने हैं. इनमें किंग कोबरा, कोबरा, क्रेट, वाईपर, रसैल वाईपर की अलग-अलग केटेगरी यहां प्रदर्शित की जाएगी. इसके अलावा बिना जहर वाले सांप भी यहां पर प्रदर्शित होंगे. इनमें धामन, चकलोन, सेंटगुआ और कील ब्लैक प्रजाति शामिल है. पार्क पूरी तरह से विकसित होने के बाद विदेशी प्रजाति के सांपों को भी लाया जाएगा.
स्टूडेंट्स कर सकेंगे रिसर्च, रेस्क्यू के तरीके सिखाएंगे: इस पार्क को नगर विकास न्यास, फॉरेस्ट, वाइल्डलाइफ और डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के सहयोग से चलाया जाना है. यहां देश में मिलने वाले सांप और उनकी प्रजातियों के बारे में लोगों को जानकारी दी जाएगी. साथ ही देश भर से जूलॉजी, वाइल्डलाइफ, फॉरेस्ट और एग्रीकल्चर, हॉर्टिकल्चर के स्टूडेंट को यहां पर रिसर्च का मौका मिलेगा इसमें एक म्यूजिक भी बना है, जिसमें सांपों की उत्पत्ति से लेकर वर्तमान स्वरूप तक की जानकारी उपलब्ध करवाई जाएगी. इसके साथ ही डिजिटल प्रेजेंटेशन भी किया जाएगा.