कोटा. केंद्र और राज्य सरकार की सहमति से सरसों और चने की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कोटा संभाग में भी खरीद हो रही है. इसके लिए 52 केंद्र बनाए गए हैं, हालांकि खरीद केंद्रों पर बारदाने की कमी से कई जगह पर खरीद बंद है. इसकी शॉर्टेज आने वाले दिनों में लगभग सभी केंद्रों पर आ सकती है. दूसरी तरफ, कई किसानों को इंतजार करना पड़ रहा है. इसके चलते बड़ी संख्या में किसान मंडी में चने और सरसों को बेचने के लिए पहुंच रहे हैं, जिन्हें अपनी उपज को बेचने पर 1000 से 1500 रुपए प्रति क्विंटल तक का नुकसान हो रहा है.
रोज 4.5 करोड़ का नुकसान : कोटा की भामाशाह कृषि उपज मंडी में फसल बेचने आए किसानों का कहना है कि उन्हें सरसों के दाम 3900 से 4500 रुपए प्रति क्विंटल और चने के दाम 4000 से 4600 रुपए प्रति क्विंटल मिले हैं. सरसों का समर्थन मूल्य 5450 और चने का 5335 रुपए प्रति क्विंटल है. इसके अनुसार मंडी में किसानों को दोनों ही फसलों में 1000 से 1500 रुपए तक कम मिल रहे हैं. हाड़ौती की 17 मंडियों में रोज करीब यह दोनों जिंस 38 हजार क्विंटल पहुंच रही है. इसी के अनुसार किसान को 1200 रुपए भी प्रति क्विंटल घाटे के हिसाब से, 4.5 करोड़ से ज्यादा का नुकसान रोज हो रहा है. एमएसपी ओर खरीद 1 अप्रैल से शुरू हो गई थी, जिसे करीब डेढ़ महीना हो गया है. ऐसे में इन डेढ़ महीने में यह आंकड़ा बढ़कर 200 करोड़ के आसपास हो गया है.
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सरसों में महज लक्ष्य का 10 फीसदी खरीद : कृषि विपणन विभाग के संयुक्त निदेशक हरिशरण मिश्रा का कहना है कि हाड़ौती की 17 कृषि उपज मंडियों में अप्रैल महीने में चना 242144 क्विंटल और सरसों 922082 क्विंटल पहुंची है. इसके अनुसार औसत प्रतिदिन 8000 क्विंटल चना और 30000 क्विंटल सरसों मंडी में पहुंच रही है. यही औसत मई महीने में भी बरकरार है. हाड़ौती के चारों जिलों में चना खरीद का लक्ष्य 806000 क्विंटल था, जबकि खरीद 278809 हुई है. यह टारगेट का महज 35 फीसदी है. दूसरी तरफ, सरसों खरीद का लक्ष्य 18 लाख 26 हजार क्विंटल था, लेकिन 10 परसेंट यानी 181825 क्विंटल ही खरीद हो पाई है.
टोकन के इंतजार में हजारों किसान : राजफैड (राजस्थान राज्य सहकारी विपणन संघ लिमिटेड) के कार्यवाहक क्षेत्रीय अधिकारी विष्णु दत्त शर्मा का कहना है कि सरसों के लिए 22334 और चने के लिए 24060 किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है. सरसों में 13502 और चने में 16638 किसानों को टोकन जारी किए गए हैं, जिनमें से 8545 की ही तुलाई हुई है. 8832 सरसों किसान ऐसे हैं, जिन्हें खरीद के टोकन जारी होना बाकी है. इसी तरह से चने में 11741 किसानों की तुलाई हुई है. ऐसे में चना और सरसों में 16254 किसानों को अभी टोकन का ही इंतजार है.
सरसों में रजिस्ट्रेशन की महज 38 फीसदी खरीद : सरसों के जिन किसानों को टोकन जारी हुए हैं, उनमें से महज 8545 किसानों का ही माल तुलाई हो पाई है. इनमें 4957 किसान की खरीद अभी बाकी है. इसी तरह से चने में 11741 किसानों की खरीद हो पाई है. इनमें टोकन जारी होने वाले किसानों में 4897 शेष हैं. दोनों कृषि जिंस में टोकन जारी होने वाले 9854 किसानों की खरीद होना बाकी है. पूरे रजिस्ट्रेशन की बात की जाए तो सरसों में 62 फीसदी 13789 किसानों की तुलाई अभी बाकी है. चने में करीब 51 फीसदी 12319 किसानों की खरीद होना बाकी है. किसानों का कहना है कि खरीद के बाद एक से डेढ़ महीने में पैसा मिलता है, जबकि उन्हें तुरंत ही मजदूरों से लेकर खेत मालिक और बाजार में उधार लिए माल का पैसा चुकाना पड़ता है. तुरंत पैसा मिल जाने के कारण किसान माल बेचने मंडी पहुंचते हैं.
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बारदाने के अभाव में कई जगह बंद हो गई खरीद : राजफैड के कार्यवाहक क्षेत्रीय अधिकारी विष्णु दत्त शर्मा का कहना है कि इटावा, खातोली, कापरेन, सुमेरगंजमंडी, इंद्रगढ़, कोटा मंडी, अंता, बारां, अटरू सहित कई सेंटर पर सरसों के बारदाने के अभाव में खरीद बंद है. बारदाने की डिमांड के लिए जयपुर लेटर लिखा है. बारां, अंता और कोटा जिले के सुल्तानपुर के लिए इसके बारदाने का अगला लोड 17 से 19 मई के बीच में आएगा. यह बारदाना भी कोलकाता से आएगा, जबकि आगे की खरीद के लिए चने के लिए 412000 और सरसों के लिए 417000 की डिमांड भेज दी है.
दी जाए एमएसपी और बाजार भाव के बीच का पैसा : किसान महापंचायत राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट का दावा है कि राजस्थान सरसों उत्पादन में पहला और चने में दूसरे या तीसरे स्थान पर रहता है, लेकिन खरीद में राजस्थान पूरी तरह से फिसड्डी है. इसके लिए केंद्र और राज्य दोनों सरकारें जिम्मेदार हैं. केंद्र सरकार उत्पादन का महज 25 फीसदी ही एमएसपी पर खरीद के निर्देश देती है. इसमें 75 फीसदी उत्पादन पहले ही बाहर हो जाता है. साथ ही राजस्थान सरकार की ढिलाई और एमएसपी खरीद को प्राथमिकता नहीं देने के चलते किसान की फसल तरीके से खरीद नहीं हो पाती है.
किसान बोले- मंडी में हो रहा हजारों रुपए का नुकसान : कोटा जिले के अयाना के प्रेमपुरा निवासी विजय शंकर मीणा का कहना है कि कोटा कृषि उपज मंडी में 60 क्विंटल सरसों लेकर पहुंचे थे. इसके 3900 रुपए प्रति क्विंटल दाम मिले हैं. ऐसे में प्रति क्विंटल एमएसपी के अनुसार माना जाए तो 90 हजार रुपए का नुकसान हुआ है. झालावाड़ जिले के खानपुर तहसील के सुमर गांव निवासी रामप्रसाद नागर का आरोप है कि एमएसपी पर फसल बेचने का नंबर नहीं आता है. बीते 3 से 4 साल से पूरे कागजात कंप्लीट करने के बाद भी माल नहीं बेच पाते. मंडी में करीब 1200 से 1300 रुपए प्रति क्विंटल नुकसान हुआ है.