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RTU में सवालों के घेरे में आया एक्जामिनेशन सिस्टम, स्टूडेंट्स इस तरह से करवा सकते हैं अपनी कॉपी की जांच - rules of copy checking in RTU

राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय से कॉपी चेकिंग से लेकर रिवॉल्यूशन के प्रोसेस की जांच में सामने आया है कि यूनिवर्सिटी से संबद्ध कॉलेज में कॉपी चेकिंग के बाद आपत्ति जताने के लिए पुनर्मूल्यांकन की सुविधा विद्यार्थियों को मिलती है, लेकिन ऐसी सुविधा नियमों के अनुसार यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग कॉलेज के विद्यार्थियों को नहीं है. वहां पर आईआईटी, एनआईटी और जीएफटीआई की तर्ज पर पढ़ाई, एग्जाम और कॉपी जांचने के नियम लागू होते (Copy check system in RTU) हैं.

Examination system of RTU under scanner, know how you can get check your answer sheets
RTU में सवालों के घेरे में आया एक्जामिनेशन सिस्टम, स्टूडेंट्स इस तरह से करवा सकते हैं अपनी कॉपी की जांच
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Published : Dec 26, 2022, 10:45 PM IST

Updated : Dec 27, 2022, 2:12 PM IST

कोटा. राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के निलंबित एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार छात्राओं से पास करने की एवज में अस्मत मांग रहे थे. जिसके बाद ही उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ और कार्रवाई चल रही है. ईटीवी भारत राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय से कॉपी चेकिंग से लेकर रिवॉल्यूशन के प्रोसेस की जांच की (Revaluation of copies in RTU ) है. जिसमें सामने आया है कि यूनिवर्सिटी से संबद्ध कॉलेज में कॉपी चेकिंग के बाद आपत्ति जताने के लिए पुनर्मूल्यांकन की सुविधा विद्यार्थियों को मिलती है, लेकिन ऐसी सुविधा नियमों के अनुसार यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग कॉलेज के विद्यार्थियों को नहीं है. वहां पर आईआईटी, एनआईटी और जीएफटीआई की तर्ज पर पढ़ाई, एग्जाम और कॉपी जांचने के नियम लागू होते हैं.

राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के कंट्रोलर ऑफ एग्जामिनेशन प्रो धीरेंद्र माथुर ने बताया कि यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग कॉलेज और राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय से संबद्ध निजी व सरकारी संस्थानों की अलग-अलग प्रक्रिया है. जबकि विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग कॉलेज के डीन एग्जामिनेशन डॉ अजय बिंदलिश ने बताया कि यूनिवर्सिटी के कॉलेज में पढ़ाने वाली फैकल्टी ही बच्चों के एग्जाम लेती है.

पढ़ें: खबर का असर: RTU ने प्रोफेसर राजीव गुप्ता को डीन फैकल्टी से हटाया, बिचौलियों पर होगी कार्रवाई

कॉपी देखने से लेकर पुनर्मूल्यांकन की सुविधा: आरटीयू के सीओई प्रोफेसर माथुर के अनुसार राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय से 85 कॉलेज संबद्ध हैं. जिनमें करीब 35 हजार के आसपास विद्यार्थी अध्ययनरत हैं. इन सभी की परीक्षा राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के एग्जामिनेशन सेल के जरिए ही आयोजित करवाई जाती है. इन सब विद्यार्थियों की कॉपी जांच भी यूनिवर्सिटी सेंटर पर भेजती है. जहां से उनकी गोपनीयता बनाने के लिए सीरियल नंबरों को बदल दिया जाता है और वह भी जांच सेंटर पर भेजी जाती है. जहां से वापस यूनिवर्सिटी आती है और बाद में रिजल्ट जारी कर दिया जाता. विद्यार्थी को अपनी उत्तर पुस्तिका देखने और जांच करवाने का अवसर भी इसमें मिलता है, जिसके दो प्रक्रिया हैं.

1. कॉपी व्यू: यह विद्यार्थी करीब 1000 रुपए का शुल्क अदा कर अपनी कॉपी को देख सकते हैं. कोविड-19 के पहले ऑफलाइन यह कॉपी दिखाई जाती थी. अब कॉपी को देखने के लिए ऑनलाइन ही विद्यार्थी को उपलब्ध करवा दी जाती है. जिसमें विद्यार्थी नंबरों में टोटलिंग में गड़बड़ व अंदर-बाहर दिए गए प्रश्न के अंक में किसी तरह की गड़बड़ को देख सकता है. हालांकि इस प्रोसीजर के तहत वह चैलेंज नहीं कर सकता है.

2. रिवॉल्यूशन: दूसरी तरफ, रिवॉल्यूशन की प्रक्रिया भी है. इसके लिए 600 रुपए पहले निर्धारित थे, अब यह फीस बढ़ाकर 700 रुपए कर दी गई है. जिसमें विद्यार्थी अपनी दोबारा कॉपी जांच करवा सकता है.

पढ़ें: प्रोफेसर की 'गंदी' करतूत: आरोपियों के मोबाइल में मिले अश्लील वीडियो की जांच कर रही पुलिस, महिला आयोग ने लिया प्रसंज्ञान

यूनिवर्सिटी ऑफ कॉलेज में पढ़ाने वाली फैकल्टी पर ही कॉपी जांचने का काम: यूनिवर्सिटी के एग्जामिनेशन डीन डॉ अजय बिंदलिश का कहना है कि विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग कॉलेज में जिस फैकल्टी ने स्टूडेंट्स को पढ़ाया है. वहीं एग्जाम पेपर सेट करते हैं और वहीं कॉपियों की जांच भी करते हैं, जिसके बाद पूरी जानकारी डीन एग्जामिनेशन को दे दी जाती है. जिसके बाद परिणाम जारी होता है. उनका कहना है कि इसमें विद्यार्थियों को पुनर्मूल्यांकन की सुविधा नहीं मिलती है. जबकि फैकल्टी को साफ निर्देश है कि वे विद्यार्थियों को अपनी कॉपियों को दिखाएं. इसमें 2 मिड टर्म और एक एन्ड टर्म (फाइनल) एग्जाम की कॉपियां विद्यार्थियों को दिखाई जाती है. जिसमें विद्यार्थी सीधा ही अपनी आपत्ति जता सकता है.

2015 के पहले अलग था सिस्टम: राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में पहले आईआईटी, एनआईटी और जीएफटीआई की तरह सिस्टम लागू नहीं था. यहां पर सभी विद्यार्थियों का पेपर सेट कंट्रोलर ऑफ एग्जामिनेशन के अधीन ही होता था और उन्हीं के एग्जामिनेशन कैलेंडर के अनुसार परीक्षाएं आयोजित होती थीं. हालांकि इसमें बदलाव 2015 में किया गया. जिसके बाद से ही अब एजुकेशन कैलेंडर भी बदल गया है. जहां संबद्ध कॉलेजों में कंट्रोलर ऑफ एग्जामिनेशन का कैलेंडर लागू होता है, जबकि अन्य में लागू नहीं होता है. जिसके बाद ही सारी पावर बढ़ाने वाली फैकल्टी पर आ गई है. स्टूडेंट्स को कॉपी दिखाने के बाद उनकी शंका के समाधान को पूरा किया जाता है. विद्यार्थी को यह कॉपियां भी पढ़ाने और जांचने वाला प्रोफ़ेसर ही बताता है. जिसके बाद ही परिणाम जारी होता है.

वीसी की पावर से चेक करवा सकते हैं स्टूडेंट कॉपी: यूनिवर्सिटी के एग्जामिनेशन डीन डॉ अजय बिंदलिश का कहना है स्टूडेंट्स अपनी कॉपी को अपनी फैकल्टी के सामने ही आपत्ति जताकर दोबारा चेक करवा सकते हैं. इसके बाद से संबंधित विभाग के एचओडी के पास भी इसकी आपत्ति दर्ज करवा सकते हैं. विद्यार्थियों को अगर इसके बाद भी शंका का समाधान नहीं होता है, तो वह विश्वविद्यालय में वाइस चांसलर के समक्ष अपना प्रतिवेदन दे सकते हैं. जिसके बाद वीसी के आदेश पर इन विद्यार्थियों की कॉपी जांच होती है, लेकिन ऐसा अमूमन होता नहीं है. इसके चलते अभी तक कुछ ही विद्यार्थियों की कॉपी दोबारा चेक हुई है.

पढ़ें: JEE ADVANCED 2023: 4 जून को आयोजित होगी परीक्षा, 30 अप्रैल से रजिस्ट्रेशन, 18 जून को रिजल्ट

हालांकि इसमें एक बात सामने है कि जब पढ़ाई भी एक ही प्रोफेसर करा रहा था. उसके बाद वह पेपर सेट व कॉपी जांच करता है. उसके बाद भी अगर बड़ी संख्या में विद्यार्थी फेल होते हैं, इससे यह भी आशंका है कि या तो प्रोफेसर ने जो पढ़ाया है, वह पेपर में नहीं आया है. दूसरा विद्यार्थियों को ठीक से नहीं पढ़ाया गया, इसके चलते ही वह चैप्टर को नहीं समझ पाएं हैं. क्योंकि राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय में ही गिरीश परमार के सब्जेक्ट में कुछ विद्यार्थियों ने शिकायत की थी कि उनको फेल किया गया है, ऐसे में जब दूसरी फैकल्टी से कॉपी चेक करवाई गई, तब भी सभी विद्यार्थी के बराबर अंक आए थे वह फेल हुए थे.

कई बार नहीं होता है कोर्स पूरा: यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग कॉलेज में कई बार सेमेस्टर के दौरान पूरा कोर्स विद्यार्थियों का नहीं होता है और एग्जाम के बीच समय भी कम रहता है. वर्तमान में पांचवें और सातवें सेमेस्टर की पढ़ाई चल रही है, लेकिन इनकी परीक्षाएं जनवरी महीने के अंतिम सप्ताह में आयोजित करवाने की बात की जा रही है. ऐसे में अभी उनकी क्लास से शुरू हुए ही 15 दिन हुए हैं, जिसके चलते विद्यार्थियों का पूरा कोर्स नहीं हो पाता है. इसके पहले भी इस तरह के हालात रहे हैं.

कोटा. राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के निलंबित एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार छात्राओं से पास करने की एवज में अस्मत मांग रहे थे. जिसके बाद ही उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ और कार्रवाई चल रही है. ईटीवी भारत राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय से कॉपी चेकिंग से लेकर रिवॉल्यूशन के प्रोसेस की जांच की (Revaluation of copies in RTU ) है. जिसमें सामने आया है कि यूनिवर्सिटी से संबद्ध कॉलेज में कॉपी चेकिंग के बाद आपत्ति जताने के लिए पुनर्मूल्यांकन की सुविधा विद्यार्थियों को मिलती है, लेकिन ऐसी सुविधा नियमों के अनुसार यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग कॉलेज के विद्यार्थियों को नहीं है. वहां पर आईआईटी, एनआईटी और जीएफटीआई की तर्ज पर पढ़ाई, एग्जाम और कॉपी जांचने के नियम लागू होते हैं.

राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के कंट्रोलर ऑफ एग्जामिनेशन प्रो धीरेंद्र माथुर ने बताया कि यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग कॉलेज और राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय से संबद्ध निजी व सरकारी संस्थानों की अलग-अलग प्रक्रिया है. जबकि विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग कॉलेज के डीन एग्जामिनेशन डॉ अजय बिंदलिश ने बताया कि यूनिवर्सिटी के कॉलेज में पढ़ाने वाली फैकल्टी ही बच्चों के एग्जाम लेती है.

पढ़ें: खबर का असर: RTU ने प्रोफेसर राजीव गुप्ता को डीन फैकल्टी से हटाया, बिचौलियों पर होगी कार्रवाई

कॉपी देखने से लेकर पुनर्मूल्यांकन की सुविधा: आरटीयू के सीओई प्रोफेसर माथुर के अनुसार राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय से 85 कॉलेज संबद्ध हैं. जिनमें करीब 35 हजार के आसपास विद्यार्थी अध्ययनरत हैं. इन सभी की परीक्षा राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के एग्जामिनेशन सेल के जरिए ही आयोजित करवाई जाती है. इन सब विद्यार्थियों की कॉपी जांच भी यूनिवर्सिटी सेंटर पर भेजती है. जहां से उनकी गोपनीयता बनाने के लिए सीरियल नंबरों को बदल दिया जाता है और वह भी जांच सेंटर पर भेजी जाती है. जहां से वापस यूनिवर्सिटी आती है और बाद में रिजल्ट जारी कर दिया जाता. विद्यार्थी को अपनी उत्तर पुस्तिका देखने और जांच करवाने का अवसर भी इसमें मिलता है, जिसके दो प्रक्रिया हैं.

1. कॉपी व्यू: यह विद्यार्थी करीब 1000 रुपए का शुल्क अदा कर अपनी कॉपी को देख सकते हैं. कोविड-19 के पहले ऑफलाइन यह कॉपी दिखाई जाती थी. अब कॉपी को देखने के लिए ऑनलाइन ही विद्यार्थी को उपलब्ध करवा दी जाती है. जिसमें विद्यार्थी नंबरों में टोटलिंग में गड़बड़ व अंदर-बाहर दिए गए प्रश्न के अंक में किसी तरह की गड़बड़ को देख सकता है. हालांकि इस प्रोसीजर के तहत वह चैलेंज नहीं कर सकता है.

2. रिवॉल्यूशन: दूसरी तरफ, रिवॉल्यूशन की प्रक्रिया भी है. इसके लिए 600 रुपए पहले निर्धारित थे, अब यह फीस बढ़ाकर 700 रुपए कर दी गई है. जिसमें विद्यार्थी अपनी दोबारा कॉपी जांच करवा सकता है.

पढ़ें: प्रोफेसर की 'गंदी' करतूत: आरोपियों के मोबाइल में मिले अश्लील वीडियो की जांच कर रही पुलिस, महिला आयोग ने लिया प्रसंज्ञान

यूनिवर्सिटी ऑफ कॉलेज में पढ़ाने वाली फैकल्टी पर ही कॉपी जांचने का काम: यूनिवर्सिटी के एग्जामिनेशन डीन डॉ अजय बिंदलिश का कहना है कि विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग कॉलेज में जिस फैकल्टी ने स्टूडेंट्स को पढ़ाया है. वहीं एग्जाम पेपर सेट करते हैं और वहीं कॉपियों की जांच भी करते हैं, जिसके बाद पूरी जानकारी डीन एग्जामिनेशन को दे दी जाती है. जिसके बाद परिणाम जारी होता है. उनका कहना है कि इसमें विद्यार्थियों को पुनर्मूल्यांकन की सुविधा नहीं मिलती है. जबकि फैकल्टी को साफ निर्देश है कि वे विद्यार्थियों को अपनी कॉपियों को दिखाएं. इसमें 2 मिड टर्म और एक एन्ड टर्म (फाइनल) एग्जाम की कॉपियां विद्यार्थियों को दिखाई जाती है. जिसमें विद्यार्थी सीधा ही अपनी आपत्ति जता सकता है.

2015 के पहले अलग था सिस्टम: राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में पहले आईआईटी, एनआईटी और जीएफटीआई की तरह सिस्टम लागू नहीं था. यहां पर सभी विद्यार्थियों का पेपर सेट कंट्रोलर ऑफ एग्जामिनेशन के अधीन ही होता था और उन्हीं के एग्जामिनेशन कैलेंडर के अनुसार परीक्षाएं आयोजित होती थीं. हालांकि इसमें बदलाव 2015 में किया गया. जिसके बाद से ही अब एजुकेशन कैलेंडर भी बदल गया है. जहां संबद्ध कॉलेजों में कंट्रोलर ऑफ एग्जामिनेशन का कैलेंडर लागू होता है, जबकि अन्य में लागू नहीं होता है. जिसके बाद ही सारी पावर बढ़ाने वाली फैकल्टी पर आ गई है. स्टूडेंट्स को कॉपी दिखाने के बाद उनकी शंका के समाधान को पूरा किया जाता है. विद्यार्थी को यह कॉपियां भी पढ़ाने और जांचने वाला प्रोफ़ेसर ही बताता है. जिसके बाद ही परिणाम जारी होता है.

वीसी की पावर से चेक करवा सकते हैं स्टूडेंट कॉपी: यूनिवर्सिटी के एग्जामिनेशन डीन डॉ अजय बिंदलिश का कहना है स्टूडेंट्स अपनी कॉपी को अपनी फैकल्टी के सामने ही आपत्ति जताकर दोबारा चेक करवा सकते हैं. इसके बाद से संबंधित विभाग के एचओडी के पास भी इसकी आपत्ति दर्ज करवा सकते हैं. विद्यार्थियों को अगर इसके बाद भी शंका का समाधान नहीं होता है, तो वह विश्वविद्यालय में वाइस चांसलर के समक्ष अपना प्रतिवेदन दे सकते हैं. जिसके बाद वीसी के आदेश पर इन विद्यार्थियों की कॉपी जांच होती है, लेकिन ऐसा अमूमन होता नहीं है. इसके चलते अभी तक कुछ ही विद्यार्थियों की कॉपी दोबारा चेक हुई है.

पढ़ें: JEE ADVANCED 2023: 4 जून को आयोजित होगी परीक्षा, 30 अप्रैल से रजिस्ट्रेशन, 18 जून को रिजल्ट

हालांकि इसमें एक बात सामने है कि जब पढ़ाई भी एक ही प्रोफेसर करा रहा था. उसके बाद वह पेपर सेट व कॉपी जांच करता है. उसके बाद भी अगर बड़ी संख्या में विद्यार्थी फेल होते हैं, इससे यह भी आशंका है कि या तो प्रोफेसर ने जो पढ़ाया है, वह पेपर में नहीं आया है. दूसरा विद्यार्थियों को ठीक से नहीं पढ़ाया गया, इसके चलते ही वह चैप्टर को नहीं समझ पाएं हैं. क्योंकि राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय में ही गिरीश परमार के सब्जेक्ट में कुछ विद्यार्थियों ने शिकायत की थी कि उनको फेल किया गया है, ऐसे में जब दूसरी फैकल्टी से कॉपी चेक करवाई गई, तब भी सभी विद्यार्थी के बराबर अंक आए थे वह फेल हुए थे.

कई बार नहीं होता है कोर्स पूरा: यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग कॉलेज में कई बार सेमेस्टर के दौरान पूरा कोर्स विद्यार्थियों का नहीं होता है और एग्जाम के बीच समय भी कम रहता है. वर्तमान में पांचवें और सातवें सेमेस्टर की पढ़ाई चल रही है, लेकिन इनकी परीक्षाएं जनवरी महीने के अंतिम सप्ताह में आयोजित करवाने की बात की जा रही है. ऐसे में अभी उनकी क्लास से शुरू हुए ही 15 दिन हुए हैं, जिसके चलते विद्यार्थियों का पूरा कोर्स नहीं हो पाता है. इसके पहले भी इस तरह के हालात रहे हैं.

Last Updated : Dec 27, 2022, 2:12 PM IST
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