कोटा. शहर के अधिकांश पार्क अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं. स्थानीय नागरिक की सुविधा और बच्चों की खेलने के लिए बने इन पार्कों में बच्चे ही खेल नहीं पा रहे हैं. शहर के पार्कों की बदहाली की कहानी वहां बंधे पशु, कीचड़ और लोगों की पार्क में लगी गाड़ियां कह रही हैं. पार्कों की जमीन पर अतिक्रमणकारियों ने इस तरह अतिक्रमण किया है कि ये पार्क किसी काम के नहीं रह गए हैं.
बता दें कि पूरे शहर में छोटे-बड़े करीब 800 से ज्यादा पार्क हैं. इनमें अधिकांश बदहाल स्थिति में ही हैं. हालात ऐसे हैं कि महावीर नगर की कंपटीशन कॉलोनी के एक पूरे पार्क की लाइन पर ही लोगों ने अपने मकान बना ली है. पार्क की 500 फीट जगह पर लोगों ने घरों के आगे कब्जा कर लिया है. इसके अलावा लोगों ने कब्जा कर तबेले बना लिए हैं. ऐसा कोटा में एक जगह नहीं सैकड़ों पार्कों की यही दुर्दशा है. जिनमें महावीर नगर, रंगबाड़ी, जवाहर नगर, बसंत विहार इलाके के पार्क शामिल हैं.
बसंत विहार इलाके के एक पार्क में तो लोगों ने अतिक्रमण कर अपनी रेहड़ी रख ली है, जहां से वे अपनी दुकानें संचालित कर रहे हैं. रास्ते को भी ब्लॉक कर दिया है. इसके अलावा कई जगह पर पक्का निर्माण कर कमरे बना ली गई है, जिनमें लोग रहने भी लग गए हैं. दादाबाड़ी इलाके में तो एक पार्क में टेंट व्यवसायी ने कब्जा कर लिया और उसने अपने टेंट के सामान डाल दिए हैं.
बच्चों को खेलने के लिए नहीं मिलती जगह, गंदगी से जीना भी दूभर...
निवर्तमान महापौर महेश विजय के वार्ड में ही एक पार्क पर अतिक्रमण हो रखा है. स्थानीय लोगों ने ही इसे पार्किंग बना दिया है. वे अपनी कारों को इस में खड़ा कर देते हैं और रोकने-टोकने वाला भी कोई नहीं है. स्थानीय नागरिक प्रवीण पंड्या का कहना है कि पार्क का कोई विकास नहीं हुआ है, गंदगी का आलम रहता है. गायों से लेकर कई दूसरे जानवर इस पूरे पार्क में घूमते हैं. बच्चों को खेलने की जगह भी नहीं मिलती है.
सालों से अतिक्रमण, नहीं तोड़ने देते...
कोटा शहर में अधिकांश जगह पर अतिक्रमण कई सालों से हो रहा है. कुछ अतिक्रमण में राजनीतिक संरक्षण भी हावी रहता है. इसके अलावा पार्कों में स्थानीय लोगों ने ही कब्जा जमाया हुआ है. जब भी टीम अतिक्रमण को हटाने जाती है तो स्थानीय लोग एकत्रित हो जाते हैं और टीम पर हमला तक कर देते हैं. यह लोग बच्चों को खेलने के लिए भी पार्क में प्रवेश नहीं देते हैं, क्योंकि इनके वाहनों पर टूट-फूट का खतरा हो जाता है.
शिकायत के बाद भी नहीं होती है सुनवाई...
यूआईटी व नगर निगम की ओर से पार्क की देखरेख की मॉनिटरिंग की कोई व्यवस्था नहीं है. ना तो यूआईटी और नगर निगम को पता चलता है कि पार्कों में किसी ने अतिक्रमण कर लिया है. वहीं, कुछ स्थानीय नागरिक का आरोप है कि कई बार शिकायत की गई है पर ठीक से कार्रवाई नहीं होती है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार पार्कों के संबंध में नगर विकास न्यास और नगर निगम को शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. जांच के नाम पर कमेटी बनाकर कुछ लोगों को भेज दिया जाता है और वह इतिश्री करके वापस लौट जाते हैं.
अधिकारियों की लापरवाही, हो कार्रवाई...
कोटा नगर निगम के निवर्तमान बोर्ड में पार्षद रहे महेश गौतम लल्ली का आरोप है कि अधिकारियों की लापरवाही के चलते ही पार्क बदहाल है. उनमें अतिक्रमण हो रहा है. शिकायत के बावजूद भी कार्रवाई नहीं होती है. यहां तक कि अतिक्रमण के चलते इन पार्कों में विकास कार्य भी नहीं हो पाता है. जिससे स्थानीय नागरिकों को कोई लाभ नहीं होता है.
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पार्षद का कहना है कि उन्होंने खुद कई बार पार्क डेवलप करवाने की कोशिश की, लेकिन अतिक्रमण नहीं हटने के चलते पाक डेवलप नहीं हो पाए. अतिक्रमण को हटाना अधिकारियों की जिम्मेदारी है. ऐसे में उनकी ही लापरवाही है, उन पर ही कार्रवाई होनी चाहिए.
अधिकारियों का दावा, 'शिकायत पर करते हैं कार्रवाई'...
ईटीवी भारत ने जब इस संबंध में नगर विकास न्यास के उप सचिव राजेश जोशी से बात की तो उनका कहना है कि पार्क का सर्वे करवा लेंगे और जहां भी अतिक्रमण है, उन्हें हटवाया जाएगा. साथ ही नगर निगम कोटा दक्षिण की आयुक्त कीर्ति राठौड़ का कहना है कि जिन पार्क में शिकायत मिलती है, उनमें से तो अतिक्रमण हटा दिया जाता है. इसके लिए अब एक अभियान चला देंगे. जिसके पार्कों में से अतिक्रमण हटाया जाए.