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Kota land forgery case : पार्षद, तहसीलदार व पटवारी सहित 8 लोगों पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज

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Published : Jul 2, 2023, 7:21 AM IST

कोर्ट के आदेश से पुलिस ने पार्षद, तहसीलदार लाडपुरा, पटवारी, एचडीएफसी बैंक प्रबंधन सहित आठ लोगों के खिलाफ रेलवे कॉलोनी थाना में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया है. कांग्रेस पार्षद पर आरोप है कि बेची गई जमीन पर गलत दस्तावेज तैयार कर लोन उठाया.

कांग्रेस पार्षद किशन मालव
कांग्रेस पार्षद किशन मालव

कोटा. न्यायालय के इस्तगासे के जरिए पुलिस ने कांग्रेस पार्षद, तहसीलदार लाडपुरा, पटवारी, एचडीएफसी बैंक प्रबंधन सहित आठ लोगों के खिलाफ रेलवे कॉलोनी थाना में धोखाधड़ी का मुकदमा किया है. इस धोखाधड़ी के मुकदमे में कांग्रेस पार्षद पर आरोप है कि बेची गई जमीन पर गलत तरीके से दस्तावेज तैयार कर लोन उठाया है. फिलहाल पुलिस ने मुकदमा दर्ज करके जांच पड़ताल शुरू कर दिया है.

कांग्रेस पार्षद किशन मालव समेत 8 पर मुकदमा की कॉपी
कांग्रेस पार्षद किशन मालव समेत 8 पर मुकदमा की कॉपी

रेलवे कॉलोनी थाने में दर्ज एफआईआर के मुताबिक कांग्रेस पार्षद किशन मालव के पिता कालूराम ने रंगपुर रोड स्थित अपनी जमीन पर आवासीय कॉलोनी काट दी और रिद्धि सिद्धि एनक्लेव के नाम से इसे लोगों को बेच भी दिया था. एग्रीकल्चर लैंड होने के चलते इस जमीन को स्टांप और शपथ पत्र के जरिए ही बेचा गया था. इसके बाद कालूराम की मौत हो गई. पीड़ित पक्ष ने दीपक और विकास शर्मा पर आरोप लगाया है कि बेची गई जमीन पर ही किशन मालव, उसकी मां बृज देवी और भाई प्रेम नारायण ने दोबारा लाडपुरा तहसील से नामांतरण करा लिया. इसके बाद उन लोगों ने एचडीएफसी बैंक से 7.13 लाख रुपए का लोन भी ले लिया.

कांग्रेस पार्षद किशन मालव समेत 8 पर मुकदमा की कॉपी
कांग्रेस पार्षद किशन मालव समेत 8 पर मुकदमा की कॉपी

पीड़ित पक्ष का आरोप है कि इस भूखंड को पहले नंदा जी की बाड़ी निवासी रमेश चंद्र वर्मा ने साल 2011 में खरीदा था. इसके बाद साल 2014 में उनके (पीड़ित पक्ष) पिता उपदेश शर्मा ने इसे खरीद लिया था. इसके बाद उन्होंने वहां पर मकान भी बना लिया तब से वे वहां (उस भूखंड़) निवास भी करते हैं. आसपास भी कई सारे प्लॉट लोगों के हैं. जिनमें कईयों ने विद्युत कनेक्शन भी लगवा लिया है. इन सभी बातों को नजरअंदाज करते हुए सरकारी अधिकारियों से मिलीभगत कर कूटरचित दस्तावेज तैयार करा लिया.

पढ़ें एफडी और लोन के नाम पर रावतभाटा की महिला लाखों लेकर फरार

केस के मुताबिक, इसमें लाडपुरा तहसीलदार व पटवारी की भूमिका भी पूरी तरह से संदिग्ध है, क्योंकि जमीन का भौतिक सत्यापन भी नहीं किया गया था. बिना जांच किए ही नामांतरण के लिए जमीन की पैमाइश कर दी गई थी. इसके अलावा एचडीएफसी बैंक प्रबंधन पर भी बिना दस्तावेजों को क्रॉस चेक किए लोन देने के आरोप लगे हैं. इस मामले में सर्वप्रथम भूखंड खरीदने वाले व्यक्ति रमेश चंद वर्मा को भी आरोपी बनाया गया है.

कोटा. न्यायालय के इस्तगासे के जरिए पुलिस ने कांग्रेस पार्षद, तहसीलदार लाडपुरा, पटवारी, एचडीएफसी बैंक प्रबंधन सहित आठ लोगों के खिलाफ रेलवे कॉलोनी थाना में धोखाधड़ी का मुकदमा किया है. इस धोखाधड़ी के मुकदमे में कांग्रेस पार्षद पर आरोप है कि बेची गई जमीन पर गलत तरीके से दस्तावेज तैयार कर लोन उठाया है. फिलहाल पुलिस ने मुकदमा दर्ज करके जांच पड़ताल शुरू कर दिया है.

कांग्रेस पार्षद किशन मालव समेत 8 पर मुकदमा की कॉपी
कांग्रेस पार्षद किशन मालव समेत 8 पर मुकदमा की कॉपी

रेलवे कॉलोनी थाने में दर्ज एफआईआर के मुताबिक कांग्रेस पार्षद किशन मालव के पिता कालूराम ने रंगपुर रोड स्थित अपनी जमीन पर आवासीय कॉलोनी काट दी और रिद्धि सिद्धि एनक्लेव के नाम से इसे लोगों को बेच भी दिया था. एग्रीकल्चर लैंड होने के चलते इस जमीन को स्टांप और शपथ पत्र के जरिए ही बेचा गया था. इसके बाद कालूराम की मौत हो गई. पीड़ित पक्ष ने दीपक और विकास शर्मा पर आरोप लगाया है कि बेची गई जमीन पर ही किशन मालव, उसकी मां बृज देवी और भाई प्रेम नारायण ने दोबारा लाडपुरा तहसील से नामांतरण करा लिया. इसके बाद उन लोगों ने एचडीएफसी बैंक से 7.13 लाख रुपए का लोन भी ले लिया.

कांग्रेस पार्षद किशन मालव समेत 8 पर मुकदमा की कॉपी
कांग्रेस पार्षद किशन मालव समेत 8 पर मुकदमा की कॉपी

पीड़ित पक्ष का आरोप है कि इस भूखंड को पहले नंदा जी की बाड़ी निवासी रमेश चंद्र वर्मा ने साल 2011 में खरीदा था. इसके बाद साल 2014 में उनके (पीड़ित पक्ष) पिता उपदेश शर्मा ने इसे खरीद लिया था. इसके बाद उन्होंने वहां पर मकान भी बना लिया तब से वे वहां (उस भूखंड़) निवास भी करते हैं. आसपास भी कई सारे प्लॉट लोगों के हैं. जिनमें कईयों ने विद्युत कनेक्शन भी लगवा लिया है. इन सभी बातों को नजरअंदाज करते हुए सरकारी अधिकारियों से मिलीभगत कर कूटरचित दस्तावेज तैयार करा लिया.

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केस के मुताबिक, इसमें लाडपुरा तहसीलदार व पटवारी की भूमिका भी पूरी तरह से संदिग्ध है, क्योंकि जमीन का भौतिक सत्यापन भी नहीं किया गया था. बिना जांच किए ही नामांतरण के लिए जमीन की पैमाइश कर दी गई थी. इसके अलावा एचडीएफसी बैंक प्रबंधन पर भी बिना दस्तावेजों को क्रॉस चेक किए लोन देने के आरोप लगे हैं. इस मामले में सर्वप्रथम भूखंड खरीदने वाले व्यक्ति रमेश चंद वर्मा को भी आरोपी बनाया गया है.

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