कोटा. केंद्र सरकार नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट पोस्ट ग्रेजुएशन (NEET PG) की जगह पर नेशनल एग्जिट टेस्ट (NExT) लेकर आ रही है. यह परीक्षा भारत और भारत के बाहर सभी जगह से एमबीबीएस करने वाले भारतीय छात्रों पर लागू की जाएगी. पहले भारत में पढ़ रहे छात्रों पर किसी भी तरह की कोई परीक्षा लागू नहीं थी, जबकि विदेशी विद्यार्थियों को फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम (FMGE) देना होता था. अब भारतीय और विदेशी छात्रों को नेक्स्ट एग्जाम देना होगा. इसी के जरिए विद्यार्थियों को पीजी की पात्रता भी मिलेगी. साथ ही उन्हें प्रैक्टिस करने का अधिकार भी इस परीक्षा के बाद ही दिया जाएगा.
40 लाख रुपए से सवा करोड़ रुपए तक फीस : कोटा के निजी कोचिंग संस्थान के करियर काउंसलिंग एक्सपर्ट पारिजात मिश्रा के मुताबिक भारत और भारत के बाहर एमबीबीएस करने वाले विद्यार्थियों को एक समान माना जाएगा. भारत में मेडिकल एजुकेशन में निजी कॉलेज और डीम्ड यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस करने में करीब 40 लाख रुपए से सवा करोड़ रुपए तक लगते हैं. जबकि सरकारी सीटों पर दावेदारी करने वाले विद्यार्थी भी बड़ी संख्या में होते हैं. ऐसे में शेष विद्यार्थी को महंगी सीट ही मिल पाती है या फिर पैसे नहीं होने के चलते विद्यार्थी एमबीबीएस नहीं कर पाता है. ऐसे में विद्यार्थी विदेशों का रुख भी करते हैं, जहां एमबीबीएस का कोर्स 40 लाख रुपए से भी कम में पूरा हो जाता है. अब दोनों जगह पर नेक्स्ट एग्जाम लागू होने के बाद एमबीबीएस के इच्छुक स्टूडेंट्स विदेशों का रुख जरूर करेंगे.
FMEG का आंकड़ा बता रहा बढ़ती संख्या : एक्सपर्ट पारिजात मिश्रा का कहना है कि विदेशों से एमबीबीएस करने वाले विद्यार्थियों के लिए आयोजित होने वाली एफएमसीजी परीक्षा में विद्यार्थियों का आंकड़ा साल दर साल बढ़ रहा है. साल 2019 में इस परीक्षा में 28597 विद्यार्थी बैठे थे. ये आंकड़ा साल 2022 में बढ़कर 52640 हो गया है. इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह संख्या लगातार बढ़ी है. हालांकि, क्वालीफाई होने वाले विद्यार्थियों के प्रतिशत की बात की जाए तो यह सालाना 16 से लेकर 25 के आंकड़े के आसपास ही है. हालांकि, उनका कहना है कि विद्यार्थियों का कम पास होने का प्रतिशत रहता है. ऐसे में विद्यार्थी दोबारा एग्जाम में भी बैठते हैं. इसके बावजूद भी संख्या बढ़ रही है. अब जब भारतीय छात्रों के लिए परीक्षा लागू हो जाएगी, तब इनकी संख्या में बढ़ोतरी होगी.
करीब 20 हजार जा रहे थे विदेश : भारत सरकार के किसी भी एजेंसी के पास अधिकृत रूप से विदेश से एमबीबीएस कर रहे विद्यार्थियों का डेटा नहीं है. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद यूक्रेन से ही भारत में करीब 5000 विद्यार्थी लौटे थे. ऐसे में तकरीबन 20000 विद्यार्थी सालाना विदेश में एमबीबीएस करने के लिए जाते हैं. यह अधिकांश विद्यार्थी चाइना, किर्गिस्तान, फिलीपींस, जर्मनी, चाइना, कजाकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, जॉर्जिया, पोलैंड, बांग्लादेश, नेपाल, क्रोशिया, सर्बिया और टर्की में एमबीबीएस के लिए जाते हैं.
महंगी होने से यूके-यूएसए नहीं जाते हैं विद्यार्थी : भारत में 388 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 56133 सीटें हैं. इनमें मैनेजमेंट कोटा की सीटें भी शामिल हैं. निजी और डीम्ड मेडिकल कॉलेजों की संख्या 316 है, जिनमें सीटों की संख्या 51665 है. ऐसे में जनरल स्टूडेंट का सरकारी सीटों पर एडमिशन करीब 25000 नीट यूजी रैंक पर ही होता है. निजी कॉलेजों में महंगी शिक्षा होने के चलते अच्छी रैंक वाले विद्यार्थी भी यहां से एमबीबीएस नहीं कर पाते हैं. ऐसे में वे विदेश का रुख कर लेते हैं. भारत के अलावा, यूएसए और यूके में भी पढ़ाई काफी महंगी है. इन देशों में एडमिशन में भी काफी टफ कंपटीशन होता है. रूस और यूक्रेन भारतीय छात्रों के लिए पसंदीदा देश होते थे, लेकिन वहां पर चल रहे युद्ध के चलते विद्यार्थियों की रुचि कम हो गई है. जबकि रोमानिया, पोलैंड, कजाकिस्तान व किर्गिस्तान ऐसे देश हैं, जहां पर भी बच्चे पढ़ने जाने के लिए इंटरेस्टेड नहीं हैं.
साल में दो बार हो रहा है FMGE : पारिजात मिश्रा का कहना है कि फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एग्जाम साल 2022 में लागू किया गया था. यह परीक्षा नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन दिल्ली (एनबीए) साल में दो बार आयोजित करता है. विदेशों से एमबीबीएस कर भारत लौटने वाले विद्यार्थियों के लिए यह परीक्षा अनिवार्य है. इस परीक्षा को पास करने के बाद ही विद्यार्थियों को भारत में प्रैक्टिस करने की अनुमति मिलती है. इसके बाद एनएमसी साल 2023 से FMGE की जगह NEXT एग्जाम लेकर आने वाला है. यह नेशनल एग्जिट टेस्ट भारत और भारत के बाहर से एमबीबीएस करने वाले सभी विद्यार्थियों के लिए लागू होगा. इस एग्जाम में 300 नंबर का होता है.