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न्यू मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक का दौरा करने पहुंचे केंद्र और राज्य के ड्रग अधिकारी, मिल सकता है कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट का लाइसेंस - New Medical College Hospital Kota

कोटा न्यू मेडिकल कालेज अस्पताल के ब्लड बैंक में कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट के लाइसेंस के लिए शुक्रवार को केंद्र और राज्य के ड्रग डिपार्टमेंट के अधिकारी की टीम ने सयुक्त निरीक्षण किया. इसमें सारे पैरामीटर्स पर ब्लड बैंक खरा उतरा है, कुछे एक सामान्य कमियां मिली, जिन्हें दूर करने के सुझाव दिए गए.

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न्यू मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक
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Published : Nov 30, 2019, 9:51 AM IST

कोटा. शहर के न्यू मेडिकल कालेज ब्लड बैंक में करीब 10 घंटे तक केंद्र और राज्य के ड्रग डिपार्टमेंट के अधिकारियों की टीम यहीं रही. उपकरण, फर्नीचर स्टाफ की ट्रेनिंग, रिकार्ड संधारण आदि की स्थिति देखी इस टीम में भारत सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर सेंट्रल ड्रग स्टेंडर्ड कंट्रोल आर्गनाइजेशन के ड्रग इंस्पेक्टर प्रत्युष, कोटा के सहायक औषधि नियंत्रक नरेंद्र कुमार और उनकी टीम मौजूद रही.

न्यू मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक

ब्लड बैंक के इंचार्ज डॉ.एचजी मीणा ने टीम को जरूरी जानकारियां दी. टीम ने वहीं बैठकर जरूरी रिपोर्ट तैयार कर की. इसमें बीस पेज की चेक लिस्ट होती है, जो मौके से भरी जाती है. टीम के एक्सपर्ट डॉ.आरके सिंह ने बताया कि न्यू मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक में पहले ह्यूमन ब्लड दिया जाता था. इसमें एप्लाई किया था कि इसमें कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट खोला जाए. इसी क्रम में केंद्र और राज्य की ड्रग कंट्रोल टीम ने इसमे निरीक्षण किया. इसमें पाया की यहां पर सभी तरह के उकरण मौजूद हैं. यहां का स्टाफ भी पूरा है, परंतु इनको ट्रेनिंग की जरूरत है जो उनको दी जाएगी.

उन्होंने बताया कि ब्लड बैंक में लगा फर्नीचर लकड़ी का है. जो कि इसको बदल कर स्टील या वॉशेबल फर्नीचर लगाने के लिए कहा गया है. इसके साथ ही यह अनुशंसा की जाएगी कि इनका लाइसेंस जल्द ही हो. जिससे मेडिकल कालेज ब्लड बैंक को यह सुविधा उपलब्ध हो सके.

पढ़ें- डेंगू का सबसे बड़ा कारण प्रदेश सरकार द्वारा द्रव्यवती नदी का काम रोका जाना हैः अशोक लाहोटी

नए अस्पताल के ब्लड बैंक में वर्तमान में सिर्फ होल ब्लड मिलता है, कोई कंपोनेंट नहीं मिलता. लाइसेंस मिलने के बाद प्लेटलेट्स यानि आरडीपी, फ्रेश फ्रोजन प्लाज्मा ओर पीसीवी मिल पाएगी. एफेरेसिस मशीन भी शुरू की जा सकेगी, जिस पर सिंगल डोनर प्लेटलेट एसडीपी हो पाएगी.

कोटा. शहर के न्यू मेडिकल कालेज ब्लड बैंक में करीब 10 घंटे तक केंद्र और राज्य के ड्रग डिपार्टमेंट के अधिकारियों की टीम यहीं रही. उपकरण, फर्नीचर स्टाफ की ट्रेनिंग, रिकार्ड संधारण आदि की स्थिति देखी इस टीम में भारत सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर सेंट्रल ड्रग स्टेंडर्ड कंट्रोल आर्गनाइजेशन के ड्रग इंस्पेक्टर प्रत्युष, कोटा के सहायक औषधि नियंत्रक नरेंद्र कुमार और उनकी टीम मौजूद रही.

न्यू मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक

ब्लड बैंक के इंचार्ज डॉ.एचजी मीणा ने टीम को जरूरी जानकारियां दी. टीम ने वहीं बैठकर जरूरी रिपोर्ट तैयार कर की. इसमें बीस पेज की चेक लिस्ट होती है, जो मौके से भरी जाती है. टीम के एक्सपर्ट डॉ.आरके सिंह ने बताया कि न्यू मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक में पहले ह्यूमन ब्लड दिया जाता था. इसमें एप्लाई किया था कि इसमें कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट खोला जाए. इसी क्रम में केंद्र और राज्य की ड्रग कंट्रोल टीम ने इसमे निरीक्षण किया. इसमें पाया की यहां पर सभी तरह के उकरण मौजूद हैं. यहां का स्टाफ भी पूरा है, परंतु इनको ट्रेनिंग की जरूरत है जो उनको दी जाएगी.

उन्होंने बताया कि ब्लड बैंक में लगा फर्नीचर लकड़ी का है. जो कि इसको बदल कर स्टील या वॉशेबल फर्नीचर लगाने के लिए कहा गया है. इसके साथ ही यह अनुशंसा की जाएगी कि इनका लाइसेंस जल्द ही हो. जिससे मेडिकल कालेज ब्लड बैंक को यह सुविधा उपलब्ध हो सके.

पढ़ें- डेंगू का सबसे बड़ा कारण प्रदेश सरकार द्वारा द्रव्यवती नदी का काम रोका जाना हैः अशोक लाहोटी

नए अस्पताल के ब्लड बैंक में वर्तमान में सिर्फ होल ब्लड मिलता है, कोई कंपोनेंट नहीं मिलता. लाइसेंस मिलने के बाद प्लेटलेट्स यानि आरडीपी, फ्रेश फ्रोजन प्लाज्मा ओर पीसीवी मिल पाएगी. एफेरेसिस मशीन भी शुरू की जा सकेगी, जिस पर सिंगल डोनर प्लेटलेट एसडीपी हो पाएगी.

Intro:नए अस्पताल के ब्लड बैंक में कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट खोलने का रास्ता साफ।केंद्र व राज्य की टीम ने की लाइसेंस की सिफारिश दिसम्बर में मिलने की उम्मीद।
कोटा न्यू मेडिकल कालेज अस्पताल के ब्लड बैंक में कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट के लाइसेंस के लिए शुक्रवार को केंद्र व राज्य के ड्रग डिपार्टमेंट के अधिकारी की टीम ने सयुक्त निरीक्षण किया।इसमे सारे पैरामीटर्स पर ब्लड बैंक खरा उतरा है, कुछेक सामान्य कमिया है जिन्हें दूर करने के सुझाव दिए गए।
Body:कोटा के न्यू मेडिकल कालेज ब्लड बैंक में करीब 10 घंटे तक टीम यहीं रही और उपकरण, फर्नीचर स्टाफ की ट्रेनिंग, रिकार्ड संधारण आदि की स्थिति देखी इस टीम में भारत सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर सेंट्रल ड्रग स्टेंडर्ड कंट्रोल आर्गनाइजेशन के ड्रग इंस्पेक्टर प्रत्युष, कोटा के सहायक ओषधि नियंत्रक नरेंद्र कुमार और उनकी टीम मौजूद रही।ब्लड बैंक के इंचार्ज डॉ.एचजी मीणा ने टीम को जरूरी जानकारियां दी टीम ने वही बैठकर जरूरी रिपोर्ट तैयार कर की।इसमे बिस पेज की चेक लिस्ट होती है जो मोके से भरी जाती है।टीम के एक्सपोर्ट डॉ.आरके सिंह ने बताया कि न्यू मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक में पहले ह्यूमन ब्लड दिया जाता था इसमे एप्लाई किया था कि इसमें कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट खोला जाए।इसी क्रम में केंद्र और राज्य की ड्रग कंट्रोल टीम ने इसमे निरीक्षण किया इसमे पाया कि एंहा पर सभी तरह के उकरण मौजूद है एंहा का स्टाफ भी पूरा है परंतु इनको ट्रेनिंग की जरूरत है जो उनको दी जाएगी उन्होंने बताया कि ब्लड बैंक में लगा फर्नीचर लकड़ी का है जोकि इसको बदल कर स्टील या वॉशेबल फर्नीचर लगाने के लिए कहा गया है।इसके साथ ही यह अनुसंसा कि जाएगी कि इनका लाइसेंस जल्द ही हो।जिससे मेडिकल कालेज ब्लड बैंक को यह सुविधा उपलब्ध हो सके।

Conclusion:मरीजो को प्लेटलेट्स पीसीवी मिल पाएगी
नए अस्पताल के ब्लड बैंक में वर्तमान में सिर्फ होल ब्लड मिलता है, कोई कंपोनेंट नही मिलता।लाइसेंस मिलने के बाद प्लेटलेट्स यानी आरडीपी, फ्रेश फ्रोजन प्लाज्मा ओर पीसीवी मिल पाएगी।एफेरेसिस मशीन भी शुरू की जा सकेगी जिस पर सिंगल डोनर प्लेटलेट एसडीपी हो पाएगी।
बाईट-डॉ.आरके सिंह, एक्सपर्ट, ड्रग कंट्रोल
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