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कोटा: कंपाउंडर के भरोसे आदर्श PHC, सातलखेड़ी में मरीजों की जान से खिलवाड़

रामगंजमंडी के सातलखेड़ी कस्बे के आदर्श राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक भी डॉक्टर नहीं हैं. ये स्वास्थ्य केंद्र एक कंपाउंडर के भरोसा चल रहा है, जिससे मरीजों को परेशानी हो रही है. उन्हें निजी अस्पतालों में महंगा इलाज कराने पर मजबूर होना पड़ता है.

PHC depending on compounder,PHC में डॉक्टर नहीं, रामगंजमंडी न्यूज, रामगंजमंडी समाचार
आदर्श राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर नहीं
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Published : Dec 14, 2019, 3:57 PM IST

रामगंजमण्डी(कोटा).उपखण्ड के सातलखेड़ी कस्बे का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भगवान भरोसे ही चल रहा है. यहां पर 2 एलोपेथी और एक आयुष चिकित्सक की पोस्ट है. लेकिन लंबे समय से दोनों पोस्ट खाली चल रही है.

आदर्श राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर नहीं

कस्बे और आसपास के गांवों के लोगों के इलाज के लिए पीएचसी ही एकमात्र सहारा है. रोजाना 150 से ज्यादा मरीज यहां आते हैं. लेकिन डॉक्टर नहीं होने की वजह से लोगों को प्राइवेट अस्पताल का रूख करना पड़ता है. प्राइवेट अस्पतालों में इलाज महंगा होता है, जिससे लोगों को इलाज में ज्यादा पैसे खर्च करना पड़ रहा है.

धूल खा रहे बिस्तर

मरीजों की संख्या ज्यादा है, लेकिन अस्पताल के कर्मचारी काफी कम हैं. स्टाफ नहीं होने के कारण गंभीर बीमार मरीज को भर्ती भी नहीं किया जाता है. जबकि इस प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में मरीजों को भर्ती करने के लिए 6 बेड भी स्वीकृत हैं, जो अब धूल खा रहे हैं.

कस्बे और आसपास की करीब 50 हजार की जनसंख्या इस एक अस्पताल पर निर्भर है. एक तरफ सरकार अस्पतालों पर लाखों रुपए खर्च कर रही है. वहीं कस्बे की इतनी बड़ी आबादी को एक कम्पाउंडर के भरोसे छोड़ दिया गया है.

पढ़ें:नो सिंगल यूज प्लास्टिक : कचरे से निपटने के लिए नन्हें हाथ बना रहे रोबोट

अस्पताल से पूरा इलाज़ नहीं मिलने के कारण कई मजदूर इलाज के अभाव में दम तोड़ चुके है. वहीं इलाज कराने आई राजबाई और मीराबाई ने बताया, कि डॉक्टर तो आज तक नहीं देखा, लेकिन वो अस्पताल में आती हैं और नि:शुल्क दवा वितरण केंद्र से दवाईयां लेकर चली जाती हैं. वहीं इस समस्या पर अबतक उच्च अधिकारियों का ध्यान तक नहीं गया है.

रामगंजमण्डी(कोटा).उपखण्ड के सातलखेड़ी कस्बे का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भगवान भरोसे ही चल रहा है. यहां पर 2 एलोपेथी और एक आयुष चिकित्सक की पोस्ट है. लेकिन लंबे समय से दोनों पोस्ट खाली चल रही है.

आदर्श राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर नहीं

कस्बे और आसपास के गांवों के लोगों के इलाज के लिए पीएचसी ही एकमात्र सहारा है. रोजाना 150 से ज्यादा मरीज यहां आते हैं. लेकिन डॉक्टर नहीं होने की वजह से लोगों को प्राइवेट अस्पताल का रूख करना पड़ता है. प्राइवेट अस्पतालों में इलाज महंगा होता है, जिससे लोगों को इलाज में ज्यादा पैसे खर्च करना पड़ रहा है.

धूल खा रहे बिस्तर

मरीजों की संख्या ज्यादा है, लेकिन अस्पताल के कर्मचारी काफी कम हैं. स्टाफ नहीं होने के कारण गंभीर बीमार मरीज को भर्ती भी नहीं किया जाता है. जबकि इस प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में मरीजों को भर्ती करने के लिए 6 बेड भी स्वीकृत हैं, जो अब धूल खा रहे हैं.

कस्बे और आसपास की करीब 50 हजार की जनसंख्या इस एक अस्पताल पर निर्भर है. एक तरफ सरकार अस्पतालों पर लाखों रुपए खर्च कर रही है. वहीं कस्बे की इतनी बड़ी आबादी को एक कम्पाउंडर के भरोसे छोड़ दिया गया है.

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अस्पताल से पूरा इलाज़ नहीं मिलने के कारण कई मजदूर इलाज के अभाव में दम तोड़ चुके है. वहीं इलाज कराने आई राजबाई और मीराबाई ने बताया, कि डॉक्टर तो आज तक नहीं देखा, लेकिन वो अस्पताल में आती हैं और नि:शुल्क दवा वितरण केंद्र से दवाईयां लेकर चली जाती हैं. वहीं इस समस्या पर अबतक उच्च अधिकारियों का ध्यान तक नहीं गया है.

Intro:रामगंजमण्डी/कोटा
उपखण्ड के सातलखेड़ी कस्बे के आदर्श राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भगवान भरोसे ही चल रहा है मरीजो को बिना डॉक्टर को दिखाए दवाइया लेनी पड़ी रही है। यह अस्पताल कंपाउंडर के भरोसे ही चल रहा है Body:रामगंजमण्डी/कोटा
उपखण्ड के सातलखेड़ी कस्बे के आदर्श राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भगवान भरोसे ही चल रहा है मरीजो को बिना डॉक्टर को दिखाए दवाइया लेनी पड़ी रही है। यह अस्पताल कंपाउंडर के भरोसे ही चल रहा है जबकी यहा पर दो एलोपेथी और एकआयुष चिकित्सक की पोस्ट है । परन्तु काफी समय से दोनों पोस्ट रिक्त चल रही है। कस्बे में और आस पास के गांवो के ग्रामीणों को इलाज़ के लिए यही पीएचसी  सहारा है रोजाना 150 से अधिक मरीज यहा आते हे। परंतु पूरे इलाज़ नहीं होने के कारण मरीज़ो को प्राइवेट अस्पताल पर महंगा इलाज़ करवाने को मजबूर होना पड़ रहा है ।  जबकी मरीज़ो के अनुपात मे अस्पताल मे कर्मचारी काफी कम है स्टाफ नहीं होने के कारण गंभीर बीमार मरीज को भर्ती भी नहीं किया जाता है।  जबकि इस प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में मरिजो को भर्ति करने के लिए 6 बेड भी स्वीकृत है पर वह सुविधा के अभाव में धुल खा रहै है। कस्बे और आस पास की करीब 50 हज़ार की ज़नसंख्या इस एक ही अस्पताल पर निर्भर है । एक और तो सरकार द्वारा अस्पतालो मे लाखो रुपये खर्च कर रही है वही दूसरी और कस्बे की इतनी बड़ी आबादी को एक कम्पाउंडर के भरोसे छोड़ रखा है। कस्बे मे जायदा मजदूर वर्ग के लोग रहते हे ज़ो महंगा इलाज़ करवाने मे असमर्थ होते हे । अस्पताल से पूरा इलाज़ नहीं मिलने के कारण कई मजदूर इलाज़ के अभाव मे दम तोड़ चुके है  मोसमी बीमारियो की वजह से अभी मरीज़ो की संख्या मे भी काफी बढोतरी हो रही है मरीज अस्पताल मे डॉक्टर नहीं होने के कारण बाहर ही छोला छाप नीम हकीमो से इलाज़ करवा रहे है ज़ो अनुभवी नहीं होने के बाद भी लोगो के जीवन से खिलवाड़ कर रहे है । वही इलाज करवाने आई राजबाई व मीराबाई ने बताया कि डॉक्टर तो आज तक नही देखा लेकिन वह अस्पताल में आती है और निशुल्क दवा वितरण केंद्र से दवाइया लेकर चली जाती है । Conclusion:सरकारी अस्पताल में डॉक्टर पद रिक्त मरीजो को झोलाछाप डॉक्टरों के पास अपना इलाज करवाने को मजबूर। वही उच्च अधिकारियों का नही ध्यान।
बाईट- मरीज राजबाई
बाईट- मरीज मीराबाई
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