रामगंजमण्डी(कोटा).उपखण्ड के सातलखेड़ी कस्बे का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भगवान भरोसे ही चल रहा है. यहां पर 2 एलोपेथी और एक आयुष चिकित्सक की पोस्ट है. लेकिन लंबे समय से दोनों पोस्ट खाली चल रही है.
कस्बे और आसपास के गांवों के लोगों के इलाज के लिए पीएचसी ही एकमात्र सहारा है. रोजाना 150 से ज्यादा मरीज यहां आते हैं. लेकिन डॉक्टर नहीं होने की वजह से लोगों को प्राइवेट अस्पताल का रूख करना पड़ता है. प्राइवेट अस्पतालों में इलाज महंगा होता है, जिससे लोगों को इलाज में ज्यादा पैसे खर्च करना पड़ रहा है.
धूल खा रहे बिस्तर
मरीजों की संख्या ज्यादा है, लेकिन अस्पताल के कर्मचारी काफी कम हैं. स्टाफ नहीं होने के कारण गंभीर बीमार मरीज को भर्ती भी नहीं किया जाता है. जबकि इस प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में मरीजों को भर्ती करने के लिए 6 बेड भी स्वीकृत हैं, जो अब धूल खा रहे हैं.
कस्बे और आसपास की करीब 50 हजार की जनसंख्या इस एक अस्पताल पर निर्भर है. एक तरफ सरकार अस्पतालों पर लाखों रुपए खर्च कर रही है. वहीं कस्बे की इतनी बड़ी आबादी को एक कम्पाउंडर के भरोसे छोड़ दिया गया है.
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अस्पताल से पूरा इलाज़ नहीं मिलने के कारण कई मजदूर इलाज के अभाव में दम तोड़ चुके है. वहीं इलाज कराने आई राजबाई और मीराबाई ने बताया, कि डॉक्टर तो आज तक नहीं देखा, लेकिन वो अस्पताल में आती हैं और नि:शुल्क दवा वितरण केंद्र से दवाईयां लेकर चली जाती हैं. वहीं इस समस्या पर अबतक उच्च अधिकारियों का ध्यान तक नहीं गया है.