कोटा. कोरोना संक्रमण के चलते प्रदेश सरकार ने जन अनुशासन पखवाड़ा लगाया हुआ है. जिसके चलते इमरजेंसी सेवाओं को छोड़ सभी चीजें बंद कर दी गई है. ऐसे में काम करने वाले कर्मचारी और बाकी के धंधे करने वाले लोगों के साथ आमदनी नहीं होने से कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. वहीं अब लोग सब्जी का ठेला लगाकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं.
सारे दुकान और उद्योग बंद होने से छोटे-मोटे दुकानदार और छोटी नौकरी करने वाले की नौकरी छिन गई है. जिस पर खाने-पीने तक की समस्याएं सामने आने लगी. इसको देखते हुए कई लोग तो पलायन कर गए और कई लोग यही पर रह कर गुजर बसर कर रहे थे. जिसके चलते कई लोगों को तो मकान किराया भी भारी पड़ने लगा है. ऐसे में लोग अब सब्जी का धंधा शुरू कर अपना जीवन यापन करने लगे हैं.
यह भी पढ़ें. कोरोना पॉजिटिव होने के बाद भी बाजार में रौब मारने निकले BDO पर गिरी गाज, देखें उत्पात मचाने वाला वायरल VIDEO
नौकरी छूटी तो मोबाइल फोन बेचकर लगाया सब्जी का ठेला
कोटा के शिवपुरा निवासी दीपक ने ईटीवी को अपनी आप बीती सुनाते हुए बताया कि एक मार्ट में जॉब करता था, जहां पर मार्ट बंद होने के बाद नौकरी से निकाल दिया. उसपर 2 महीने का मकान किराया भी बकाया हो गया है. ऐसे में खाने पीने की भी समस्याएं सताने लगी. दीपक का कहना है कि गांव जाने से भी डर लग रहा है क्योंकि अब कोरोना गांव में भी पहुंच चुका है. इसी को देखते हुए 15 सौ रुपए में मोबाइल फोन बेच कर सब्जी का ठेला लगाकर अपना गुजर-बसर कर रहा हूं. सब्जी की फेरी के रूप में गली मोहल्लों में बैठकर 200 से 250 रुपये प्रतिदिन कमा लेता हूं. ऐसे ही कई लोग ऐसे हैं, जिन्होंने अपने धंधे बदल कर सब्जियां बेच रहे हैं.
टैक्सी ड्राइवर ने काम बंद होने पर कर्जा लेकर लगाया सब्जी का ठेला
नयागांव निवासी दीनदयाल बैरागी अभी कुछ ही समय से सब्जी का ठेला लगाकर गुजर बसर कर रहा है. इस का कहना है कि मैं एक ड्राइवर हूं जो कि पहले टैक्सी चलाया करता था लेकिन अभी सरकार के आदेश अनुसार प्राइवेट टैक्सियों को बंद कर दिया है. जिससे मेरी नौकरी भी छूट गई. ऐसे में छोटे बच्चे हैं, इनको गुजर-बसर करने के लिए कर्जा लेकर के सब्जी का ठेला लगाकर जीवन यापन कर रहा हूं.
मां बीमार हुई आठवीं में पढ़ने वाले बच्चे ने संभाला सब्जी का ठेला
कोटा के निवासी आठवीं कक्षा में एक बालक भी सब्जी बेचते नजर आया उसका कहना था कि 2013 में पिता की मौत हो गई थी. घर में मां और छोटी बहन है. मां ने घरों में काम कर पढ़ाया. अब कोरोना काल में दूसरी लहर तेजी से फैली तो मां का काम धंधा बंद हो गया. इस पर भूखे मरने की नौबत आ गई. उसने बताया कि सरकार ने लॉकडाउन लगाया तो ओर परेशानियां आ गई. वहीं परिवार और मां का ख्याल रखने के लिए सात-आठ दिनों से सब्जी का ठेला लगाकर गुजारा करना पड़ रहा है.
यह भी पढ़ें. 'केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को जांच करवानी चाहिए कि ऐसे डिफेक्टिव वेंटिलेटर्स की खरीद कैसे हुई'
उसने बताया कि सुबह 11 बजे तक गली मोहल्ले में फेरी लगाकर सब्जी बेचता हूं. उसके बाद शाम को एक बार फिर फेरी लगा आता हूं. बालक ने कहा कि समय मिलने पर रात को कुछ देर पढ़ाई भी करता हूं. जिससे मेरी पढ़ाई सुचारू बनी रहे. कोरोना संक्रमण के चलते ऐसे कई लोग है, जोकि अपना पुराना काम-धंधा बंद होने से परिवार को चलाने के लिए सब्जी बेचने पर मजबूर हैं.