कोटा. जिले के हाड़ौती संभाग में बीते 10 दिनों से बारिश नहीं हो रही है. सावन होने के बाद भी मौसम की इस बेरुखी ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है, क्योंकि उनकी फसल खेतों में मुरझा रही हैं. साथ ही उन पर अलग-अलग तरह के कीड़े लगने लगे हैं. सोयाबीन में इल्ली और अन्य कीड़े लग गए हैं. हालात ऐसे हैं कि पूरे हाड़ौती में ही फसलों पर संकट खड़े हो गए हैं. कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक खेमराज शर्मा ने बताया कि सोयाबीन में इल्ली पड़ने के संभावित खतरे के बीच किसानों को सतर्क किया गया हैं.
उन्होंने कहा कि इटावा, दीगोद व सुल्तानपुर एरिया में निरीक्षण के दौरान इल्लियां नजर आई थी. जबकि कैथून, रामगंजमंडी, मंडाना सांगोद, सीमलिया और बपावर आदि इलाकों में भी इस तरह के हालात देखने को मिले हैं. अगर आगामी 4 से 5 दिनों में भी बारिश नहीं होती है तो हजारों करोड़ की फसलें बर्बाद हो सकती हैं. एडिशनल डायरेक्टर खेमराज शर्मा ने बताया कि रेपिड रोमिंग सर्वे टीम का गठन किया गया है और पूरे जिले में फसलों में लगे कीट की जानकारी जुटाने और फेक्चुअल रिपोर्ट बनाने के निर्देश दिए गए हैं.
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सही समय पर हुई बुवाई, फिर भी लगा झटका - भारतीय किसान संघ के कोटा जिला प्रचार प्रमुख व किसान नेता रूप नारायण यादव ने कहा कि इस बार समय से बारिश की शुरुआत हो गई थी. ऐसे में सभी फसलों की बुवाई भी सही व तय समय पर कर दी गई. वहीं, उम्मीद की जा रही थी कि अबकी सोयाबीन की अच्छी सफल होगी, लेकिन बारिश के लंबे अंतराल ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है. किसान चिंतित है, क्योंकि खेत में खड़ी फसल को पानी का इंतजार है. ट्यूबवेल के जरिए पानी दिए जाए वरना फसल बर्बाद हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि सभी किसानों के पास ट्यूबवेल या नहरी का पानी भी नहीं है. ऐसे में आगामी 7 से 8 दिनों में अगर बारिश नहीं होती है तो फसलें मुरझाने लगेंगी. दूसरी ओर कीड़ों का प्रकोप भी लगातार बढ़ रहा है. वहीं, कृषि विभाग ने भी एडवाइजरी जारी की है.
कृषि विभाग ने जारी की एडवाइजरी - अतिरिक्त निदेशक खेमराज शर्मा ने बताया कि सभी किसानों के लिए एडवाइजरी जारी कर दी गई है. साथ ही सभी कृषि पर्यवेक्षकों को भी निर्देशित किया गया है कि फसलों पर लगने वाली बीमारियों की रोकथाम पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाए. साथ ही किसानों को संगोष्टियां के जरिए बताएं कि कौन सी फसल में कौन सी दवा का छिड़काव करने पर कीट नियंत्रित होंगे. उन्होंने बताया कि मक्का में भी इल्ली का प्रकोप देखा गया है. इसके अलावा उड़द की फसल में भी कुछ खतरा हो रहा है. किसानों के अनुसार लंबे समय से बारिश नहीं होना भी उनके लिए नुकसान का सौदा साबित हो रहा है. वहीं, अगर आगामी 4 से 5 दिनों में बारिश नहीं होती है तो आगे दिक्कतें और अधिक बढ़ जाएंगी.
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सोयाबीन में करीब 50 फीसदी तक नुकसान की संभावना - एडिशनल डायरेक्टर शर्मा के अनुसार इल्ली यानी कैटरपिलर, ये हरे रंग की होती है. इसलिए ज्यादातर पौधों पर नजर भी नहीं आती हैं और ये पत्तियों को खा जाती है. इसके बाद किसानों को इसके बारे में पता चलता है. साथ ही पत्तियों को खाने के बाद यह फसल को भी नुकसान पहुंचाती हैं. सोयाबीन की फसल की फलियों को ये 40 से 50 फीसदी तक नुकसान पहुंचा देती हैं. वही, इसका कारण भी बारिश का लंबे अंतराल तक नहीं होना और नाइट्रोजन की अधिकता है. दिन में यह इल्लियां फसल में ही कहीं छुप जाती है और रात के समय अंधेरा होने पर फसल को नुकसान पहुंचाती हैं. कोटा संभाग में करीब 735000 हेक्टेयर में सोयाबीन की फसलों की बुवाई हुई है. ऐसे में अगर समय से बारिश नहीं होती है तो आधी फसल चौपट हो जाएगी.
सबसे अधिक हाड़ौती में हुई सोयाबीन की बुवाई - हाड़ौती में सबसे अधिक सोयाबीन की बुवाई हुई है. कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस बार 735435 हेक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई हुई है, जो सर्वाधिक रकबा है. इसके बाद धान का एरिया इस बार बड़ा है, जो करीब 157607 हेक्टेयर में है. जबकि उड़द की फसल 114756 हेक्टेयर में लगाई गई है. वहीं, मक्का का एरिया 113135 हेक्टेयर है. ऐसे में मक्का और सोयाबीन की फसल में खराब होना शुरू हो गया है, जबकि उड़द में भी शुरुआत हो गई है. हालांकि, धान में फिलहाल कोई खास दिक्कत देखने को नहीं मिली है, क्योंकि किसान नहरी या फिर ट्यूबवेल के जरिए खतों में पानी उपलब्ध करा रहे हैं.
फसल बचानों के लिए किसानों ने किया रात-दिन एक - भारतीय किसान संघ के प्रदेश महामंत्री जगदीश शर्मा कलमंडा का कहना है कि वर्तमान में किसानों ने अपनी पूंजी फसल को उगाने में लगा दी है. हजारों करोड़ रुपए से बीज खरीदा गया है. ऐसे में रात-दिन महंगी दवाइयां को खरीदकर अपनी फसल को बचाने में जुटे हैं. बारिश नहीं होने के चलते किसान काफी परेशान हैं. उन्हें अपनी फसल का नुकसान सामने नजर आ रहा है. आलम यह है कि अब किसानों को रातों में भी नींद नहीं आ रही है.