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कोटा में बिना सिटी बस के बेहाल शहरवासी, वर्क ऑर्डर जारी होने के बाद भी कंपनी ने सड़कों पर नहीं उतारी गाड़ियां

नगर निगम अधिकारियों ने 5 अक्टूबर को शहर में बसों का संचालन कर रही कंपनी को आनन-फानन में वर्क ऑर्डर जारी किया था. जिसमें मार्च 2020 या नया टेंडर हो जाने तक बसों का संचालन सुचारू रखने का आदेश दिया, लेकिन संवेदक ने 6 करोड़ बकाया होने का हवाला देते हुए बसों का संचालन शुरू नहीं किया है. वर्क ऑर्डर दिए हुए 5 दिन हो गए, लेकिन अभी तक एक भी बस सड़क पर नहीं उतरी है. कोटा शहर में बिन-बस शहरवासी,

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Published : Oct 11, 2019, 8:12 AM IST

कोटा. नगरीय परिवहन सेवा की 24 बसें पिछले 20 दिनों से कुन्हाड़ी डिपो पर खड़ी है. यहां से वे सड़क पर नहीं उतर रही है. इसका खामियाजा शहरवासी भुगत रहे हैं. जो इन बसों से सफर करते थे. शहर के 10 रूटों पर चलने वाली यह बसें नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही के चलते बंद है.

कोटा शहर में सिटी बसों का संचालन नहीं हो पाया शुरू

पढें- सांगोद नगर पालिका चेयरमैन जमानत पर रिहा, लोगों ने किया स्वागत

पहले तो नगर निगम के अधिकारियों ने नया टेंडर नहीं किया और पुराने वाले संवेदक को भी कार्य आदेश नहीं दिए, बाद में जब कार्य आदेश दिए गए हैं तो संवेदक ने छह करोड़ बकाया होने का हवाला देकर बसों का संचालन सुचारू नहीं किया. बसें बंद होने के चलते कोटा बस सर्विस कॉरपोरेशन को भी लाखों रुपए की चपत लग चुकी है. जबकि पिछले 2 सालों से दशहरे के मौके पर दशहरा मैदान तक अतिरिक्त बसें नगर निगम संचालित करता आया है.

पढें- जयपुर: खाद्य पदार्थ मिस ब्रांड मिलने पर लगाया लगभग 4 लाख का जुर्माना

नगर निगम ने इन बसों का संचालन कर रही आर्या ट्रांस सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड का वर्क आर्डर समाप्त होने पर दोबारा उसे कार्य नहीं दिया था. साथ ही नया टेंडर भी नगर निगम ने नहीं किया. इसके चलते 22 सितंबर को उसने सिटी बसों का संचालन रोक दिया था. नगर निगम के अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंगी. मीडिया में खबरें उछलने के बाद मामला उच्चाधिकारियों तक पहुंचा और उसके बाद 5 अक्टूबर को अधिकारियों ने बसों को संचालित कर रही कंपनी को आनन-फानन में वर्क ऑर्डर जारी किया. जिसमें मार्च 2020 या नया टेंडर हो जाने तक बसों का संचालन सुचारू रखने का आदेश दिया, लेकिन संवेदक ने 6 करोड़ बकाया होने का हवाला देते हुए बसों का संचालन शुरू नहीं किया.

पढ़ें- कोटा : पैर फिसलने से युवक नदी में डूबा... मौत

बस संचालित कर रही कंपनी के कार्मिकों का कहना है कि उन्हें जिस पेट्रोल पंप से बसों के लिए ईंधन लेना पड़ता है, उसने डीजल देने से मना कर दिया है. साथ ही ड्राइवरों की तनख्वाह और बसों की मरम्मत का पैसा भी उनके पास नहीं है. कई बसों के टायर सही नहीं है. इस हालात में भी बसों को सड़क पर नहीं उतार सकते हैं. दुर्घटना का खतरा भी है. नगर निगम से उन्होंने पैसे की मांग कर दी है, ऐसे में बसें फिलहाल बंद ही है. बसों के बंद होने के चलते केबीसीएल को लाखों रुपए की चपत लग चुकी है.

कोटा. नगरीय परिवहन सेवा की 24 बसें पिछले 20 दिनों से कुन्हाड़ी डिपो पर खड़ी है. यहां से वे सड़क पर नहीं उतर रही है. इसका खामियाजा शहरवासी भुगत रहे हैं. जो इन बसों से सफर करते थे. शहर के 10 रूटों पर चलने वाली यह बसें नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही के चलते बंद है.

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पहले तो नगर निगम के अधिकारियों ने नया टेंडर नहीं किया और पुराने वाले संवेदक को भी कार्य आदेश नहीं दिए, बाद में जब कार्य आदेश दिए गए हैं तो संवेदक ने छह करोड़ बकाया होने का हवाला देकर बसों का संचालन सुचारू नहीं किया. बसें बंद होने के चलते कोटा बस सर्विस कॉरपोरेशन को भी लाखों रुपए की चपत लग चुकी है. जबकि पिछले 2 सालों से दशहरे के मौके पर दशहरा मैदान तक अतिरिक्त बसें नगर निगम संचालित करता आया है.

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नगर निगम ने इन बसों का संचालन कर रही आर्या ट्रांस सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड का वर्क आर्डर समाप्त होने पर दोबारा उसे कार्य नहीं दिया था. साथ ही नया टेंडर भी नगर निगम ने नहीं किया. इसके चलते 22 सितंबर को उसने सिटी बसों का संचालन रोक दिया था. नगर निगम के अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंगी. मीडिया में खबरें उछलने के बाद मामला उच्चाधिकारियों तक पहुंचा और उसके बाद 5 अक्टूबर को अधिकारियों ने बसों को संचालित कर रही कंपनी को आनन-फानन में वर्क ऑर्डर जारी किया. जिसमें मार्च 2020 या नया टेंडर हो जाने तक बसों का संचालन सुचारू रखने का आदेश दिया, लेकिन संवेदक ने 6 करोड़ बकाया होने का हवाला देते हुए बसों का संचालन शुरू नहीं किया.

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बस संचालित कर रही कंपनी के कार्मिकों का कहना है कि उन्हें जिस पेट्रोल पंप से बसों के लिए ईंधन लेना पड़ता है, उसने डीजल देने से मना कर दिया है. साथ ही ड्राइवरों की तनख्वाह और बसों की मरम्मत का पैसा भी उनके पास नहीं है. कई बसों के टायर सही नहीं है. इस हालात में भी बसों को सड़क पर नहीं उतार सकते हैं. दुर्घटना का खतरा भी है. नगर निगम से उन्होंने पैसे की मांग कर दी है, ऐसे में बसें फिलहाल बंद ही है. बसों के बंद होने के चलते केबीसीएल को लाखों रुपए की चपत लग चुकी है.

Intro:नगर निगम के अधिकारियों ने 5 अक्टूबर को अधिकारियों ने बसों को संचालित कर रही कंपनी को आनन-फानन में वर्क आर्डर जारी किया. जिसमें मार्च 2020 या नया टेंडर हो जाने तक बसों का संचालन सुचारु रखने का आदेश दिया, लेकिन संवेदक ने छह करोड़ बकाया होने का हवाला देते हुए बसों का संचालन शुरू नहीं किया. आज वर्क आर्डर दिए हुए 5 दिन हो गए, लेकिन एक भी बस सड़क पर नहीं उतरी है.


Body:कोटा.
नगरीय परिवहन सेवा की 24 बसें पिछले 20 दिनों से कुन्हाड़ी डिपो पर खड़ी है. यहां से वे सड़क पर नहीं उतर रही है. इसका खामियाजा शहरवासी भुगत रहे हैं. जो इन बसों से सफर करते थे. शहर के 10 रूटों पर चलने वाली यह बसें नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही के चलते बंद है. पहले तो नगर के निगम के अधिकारियों ने नया टेंडर नहीं किया और पुराने वाले संवेदक को भी कार्य आदेश नहीं दिए, बाद में जब कार्य आदेश दिए गए हैं. तो संवेदक ने छह करोड़ बकाया होने का हवाला देकर बसों का संचालन सुचारू नहीं किया. बसे बंद होने के चलते कोटा बस सर्विस कॉरपोरेशन को भी लाखों रुपए की चपत लग चुकी है. जबकि पिछले 2 सालों से दशहरे के मौके पर दशहरा मैदान तक अतिरिक्त बसें नगर निगम संचालित करता आया है.

नगर निगम ने इन बसों को संचालन कर रही आर्या ट्रांस सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड का वर्क आर्डर समाप्त होने पर दोबारा उसे कार्य नहीं दिया था, साथ ही नया टेंडर भी नगर निगम ने नहीं किया. इसके चलते 22 सितंबर को उसने सिटी बसों का संचालन रोक दिया. नगर निगम के अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंगी, मीडिया में खबर उछलने के बाद मामला उच्चाधिकारियों तक पहुंचा और उसके बाद 5 अक्टूबर को अधिकारियों ने बसों को संचालित कर रही कंपनी को आनन-फानन में वर्क आर्डर जारी किया. जिसमें मार्च 2020 या नया टेंडर हो जाने तक बसों का संचालन सुचारु रखने का आदेश दिया, लेकिन संवेदक ने छह करोड़ बकाया होने का हवाला देते हुए बसों का संचालन शुरू नहीं किया.


Conclusion:आज वर्क आर्डर दिए हुए 5 दिन हो गए, लेकिन एक भी बस सड़क पर नहीं उतरी है. बस संचालित कर रही कंपनी के कार्मिकों का कहना है कि उन्हें जिस पेट्रोल पंप से बसों के लिए ईंधन लेना पड़ता है. उसने देने से मना कर दिया है. साथ ही ड्राइवरों की तनख्वाह और बसों की मरम्मत का पैसा भी उनके पास नहीं है. ऐसे में कई बसों के टायर नहीं है. इस हालात में भी बसों को सड़क पर नहीं उतार सकते हैं. दुर्घटना का खतरा भी है. नगर निगम से उन्होंने पैसे की मांग कर दी है, ऐसे में बसें फिलहाल बंद ही है. बसों के बंद होने के चलते केबीसीएल को लाखों रुपए की चपत लग चुकी है.

बाइट का क्रम

बाइट-- सत्येंद्र, प्रतिनिधि, आर्या ट्रांस सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड
बाइट-- सत्येंद्र, प्रतिनिधि, आर्या ट्रांस सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड
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