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चंबल का जलस्तर बढ़ने से झरेल की पुलिया पर आया पानी, कोटा से सवाईमाधोपुर का सीधा रास्ता बंद - water overflow from Chambal river

इटावा उपखंड क्षेत्र के कैथूदा के समीप से निकल रही चम्बल नदी की झरेल पुलिया पर करीब डेढ़ फीट पानी की चादर चलने से आवागमन अवरुद्ध हो गया है. इससे कोटा-सवाईमाधोपुर का रास्ता बंद हो गया है.

chambal river water level increased, direct road from Kota to Sawai Madhopur closed
चंबल का जलस्तर बढ़ने से झरेल की पुलिया पर आया पानी, कोटा से सवाईमाधोपुर का सीधा रास्ता बंद
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Published : Jul 8, 2023, 5:48 PM IST

इटावा (कोटा). जिले के इटावा उपखंड क्षेत्र के कैथूदा के समीप से निकल रही चम्बल नदी की झरेल पुलिया पर शनिवार सुबह एक बार फिर पानी आ गया. नदी की पुलिया पर करीब डेढ़ फीट पानी की चादर चल रही है. जिसके चलते इस मानसून सत्र में यह मार्ग पर दूसरी बार वाहनों के आवागमन के लिए अवरुद्ध हुआ है. इसके चलते कोटा जिले से सीधा सवाईमाधोपुर जाने वाला रास्ता बंद हो गया है.

इस रास्ते का उपयोग बारां व कोटा जिले के पीपल्दा व सुल्तानपुर इलाके के वाले लोग काफी करते थे. अब उन्हें मार्ग परिवर्तन करते हुए दूसरे रास्तों से जाना होगा. वहीं बारां, इटावा खातोली, सवाईमाधोपुर मार्ग अवरूद्ध होने साथ ही अब वाहन चालकों को गैंता माखीदा होकर वाहनों को ले जाना पड़ेगा. खातोली एसएचओ रामस्वरूप राठौर के निर्देश पर पुलिसकर्मियों ने नदी के जाने वाले मार्ग पर बैरिकेड लगा दिए हैं. वहीं इस पुलिया के दूसरी तरफ सवाईमाधोपुर का इलाका आ जाता है. ऐसा ही वहां की पुलिस ने भी किया है.

पढ़ें: Water Increases in Parvati River : खातोली में पार्वती नदी उफान पर आई, दो राज्यों के बीच संपर्क टूटा

बंद रहेगा अगले 4 महीने रास्ताः कोटा से सवाईमाधोपुर का झरेल की पुलिया होकर जाने वाला रास्ता अब अगले तीन से चार महीने पूरी तरह से बंद रहेगा. क्योंकि चंबल नदी का जलस्तर बढ़ा हुआ रहेगा और इससे आवागमन नहीं हो सकेगा. वर्तमान में यह डेढ़ से दो फीट पानी पुलिया के बीच में है, लेकिन आगे आने के बाद 35 से 40 फीट पानी पुलिया पर रहेगा. इसके चलते लोगों को करीब 50 किलोमीटर लंबा चक्कर लगाकर दूसरे रास्ते से जाना होगा. इन लोगों के लिए यह हर साल की समस्या है.

पढ़ें: चंबल नदी पर झरेल के बालाजी पुल को मिली स्वीकृति, यह होगा प्रदेश का सबसे लंबा ब्रिज

प्रदेश का सबसे लंबा ब्रिज बनना है प्रस्तावितः झरेल की पुलिया के लिए कैथूदा गांव पर उच्च स्तरीय ब्रिज की स्वीकृति साल 2021 के बजट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दी थी, लेकिन यह एरिया चंबल घड़ियाल सेंचुरी में आने के चलते वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की स्वीकृति में अटक गया था. इसमें 2021 में 30 लाख रुपए डीपीआर के लिए स्वीकृत किए गए थे. साल 2022 में इसके लिए 165 करोड़ की घोषणा बजट में की गई. साल 2022 में इसकी डीपीआर बनकर तैयार हुई और 2023 में निर्माण के लिए टेंडर जारी किया गया. बारिश के बाद ही इसका निर्माण शुरू हो पाएगा. जिसमें करीब 2 साल का समय लगेगा. यानी साल 2025 में निर्माण पूरा होने की संभावना है.

इटावा (कोटा). जिले के इटावा उपखंड क्षेत्र के कैथूदा के समीप से निकल रही चम्बल नदी की झरेल पुलिया पर शनिवार सुबह एक बार फिर पानी आ गया. नदी की पुलिया पर करीब डेढ़ फीट पानी की चादर चल रही है. जिसके चलते इस मानसून सत्र में यह मार्ग पर दूसरी बार वाहनों के आवागमन के लिए अवरुद्ध हुआ है. इसके चलते कोटा जिले से सीधा सवाईमाधोपुर जाने वाला रास्ता बंद हो गया है.

इस रास्ते का उपयोग बारां व कोटा जिले के पीपल्दा व सुल्तानपुर इलाके के वाले लोग काफी करते थे. अब उन्हें मार्ग परिवर्तन करते हुए दूसरे रास्तों से जाना होगा. वहीं बारां, इटावा खातोली, सवाईमाधोपुर मार्ग अवरूद्ध होने साथ ही अब वाहन चालकों को गैंता माखीदा होकर वाहनों को ले जाना पड़ेगा. खातोली एसएचओ रामस्वरूप राठौर के निर्देश पर पुलिसकर्मियों ने नदी के जाने वाले मार्ग पर बैरिकेड लगा दिए हैं. वहीं इस पुलिया के दूसरी तरफ सवाईमाधोपुर का इलाका आ जाता है. ऐसा ही वहां की पुलिस ने भी किया है.

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बंद रहेगा अगले 4 महीने रास्ताः कोटा से सवाईमाधोपुर का झरेल की पुलिया होकर जाने वाला रास्ता अब अगले तीन से चार महीने पूरी तरह से बंद रहेगा. क्योंकि चंबल नदी का जलस्तर बढ़ा हुआ रहेगा और इससे आवागमन नहीं हो सकेगा. वर्तमान में यह डेढ़ से दो फीट पानी पुलिया के बीच में है, लेकिन आगे आने के बाद 35 से 40 फीट पानी पुलिया पर रहेगा. इसके चलते लोगों को करीब 50 किलोमीटर लंबा चक्कर लगाकर दूसरे रास्ते से जाना होगा. इन लोगों के लिए यह हर साल की समस्या है.

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प्रदेश का सबसे लंबा ब्रिज बनना है प्रस्तावितः झरेल की पुलिया के लिए कैथूदा गांव पर उच्च स्तरीय ब्रिज की स्वीकृति साल 2021 के बजट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दी थी, लेकिन यह एरिया चंबल घड़ियाल सेंचुरी में आने के चलते वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की स्वीकृति में अटक गया था. इसमें 2021 में 30 लाख रुपए डीपीआर के लिए स्वीकृत किए गए थे. साल 2022 में इसके लिए 165 करोड़ की घोषणा बजट में की गई. साल 2022 में इसकी डीपीआर बनकर तैयार हुई और 2023 में निर्माण के लिए टेंडर जारी किया गया. बारिश के बाद ही इसका निर्माण शुरू हो पाएगा. जिसमें करीब 2 साल का समय लगेगा. यानी साल 2025 में निर्माण पूरा होने की संभावना है.

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