कोटा. राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 भारतीय जनता पार्टी ने हाड़ौती की 17 में से 11 सीटों पर जीत की है. इन 11 विधायकों में से कुछ मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं. अभी से ही कार्यकर्ता अपने-अपने नेताओं को मंत्री बनने के लिए मांग उठने लगे हैं. माना जा रहा है कि हाड़ौती से इस बार मदन दिलावर, प्रताप सिंह सिंघवी, कंवरलाल मीणा, कल्पना देवी, हीरालाल नागर और संदीप शर्मा मंत्री पद पा सकते हैं. हाड़ौती से दूसरी बार जीते विधायकों में गोविंद रानीपुरिया, ललित मीणा व कालूलाल मेघवाल शामिल हैं.
इन विधायकों का मंत्री पद के लिए मजबूत आधार:
मदन दिलावर: कोटा जिले की रामगंज मंडी सीट से विधायक बने मदन दिलावर जब भी भाजपा शासन में चुनाव जीते हैं, वे मंत्री रहे हैं. इनमें 1995 और 2003 में वे मंत्री थे. दोनों बार में बारां-अटरू विधानसभा सीट से चुनाव जीते थे. दिलावर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खेमे से एक मजबूत नाम हैं. ऐसे में उन्हें मंत्री पद से भी नवाजा जा सकता है. दिलावर एससी कम्युनिटी से आते हैं, ऐसे में उन्हें फायदा मिल सकता है.
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प्रताप सिंह सिंघवी: सिंघवी छबड़ा विधानसभा सीट से सातवीं बार चुनाव जीते हैं. वसुंधरा शासन में 2003 से 2008 तक मंत्री रहे हैं. पहले उन्हें यूडीएच व बाद में खेल एवं युवा के राज्य मंत्री बनाया गया था. हालांकि वसुंधरा राजे के दूसरे कार्यकाल 2013 से 2018 तक उन्हें मंत्री पद नहीं मिला था. ऐसे में इस बार सिंघवी मंत्री बन सकते हैं.
कंवरलाल मीणा: कंवरलाल मीणा साल 2013 में मनोहर थाना से चुनाव जीते थे. इसके बाद 2018 में उन्हें टिकट नहीं मिला था. वहीं 2023 में उन्हें अंता विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाया गया था. जहां पर उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता और खनन एवं गोपालन मंत्री रहे प्रमोद जैन भाया को चुनाव हराया है. इस सीट का भी यह समीकरण रहा है कि यहां से 2008 के बाद जो भी चुनाव जीता है. वह सरकार में मंत्री बना है. दूसरी तरफ एसटी कम्युनिटी से होने से भी उन्हें फायदा मिल सकता है.
इनकी भी खुल सकती है लॉटरी: लाडपुरा से दूसरी बार चुनाव राजपूत कम्युनिटी से आने वाली कल्पना देवी चुनाव जीती हैं. वे कोटा राज परिवार से संबंध रखती हैं. साथ ही उन्होंने अच्छे मार्जिन से जीत दर्ज की है. महिला विधायक होने के चलते भी उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल होने का मौका मिल सकता है. कोटा दक्षिण से संदीप शर्मा तीसरी और सांगोद से हीरालाल नागर दूसरी बार चुनाव जीते हैं. लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से नजदीकी भी उन्हें मंत्री पद का मौका दिला सकती है. हीरालाल नागर की दावेदारी ओबीसी कोटे से ज्यादा अहम मानी जा रही है.
वसुंधरा के शासन में कोटा से नहीं बना एक भी मंत्री: वसुंधरा राजे साल 2003 में झालरापाटन से चुनाव लड़ी थीं और प्रदेश की मुख्यमंत्री भी बनीं. उनके सीएम बनने के बाद हाड़ौती से दो विधायकों को मंत्री बनाया गया. ये दोनों ही बारां जिले से जीते थे. इनमें बारां अटरू से जीते मदन दिलावर और छबड़ा से चुनाव जीते प्रताप सिंह भी शामिल थे. कोटा से चुनाव जीते भवानी सिंह राजावत और ओम बिरला को संसदीय सचिव बनाया गया था. जब साल 2013 में वसुंधरा मुख्यमंत्री बनीं तब यहां से प्रभुलाल सैनी व बाबूलाल वर्मा मंत्री थे. जबकि वसुंधरा के दोनों ही शासन में कोटा से कोई मंत्री नहीं बना था.
कांग्रेस शासन में तीन मंत्री रहे हाड़ौती से: बीते शासन काल में कांग्रेस के 7 विधायक हाड़ौती से थे. इनमें से तीन मंत्री पद पर थे. इनमें शांति धारीवाल यूडीएच, प्रमोद जैन भाया खनन एवं योग गोपालन और अशोक चांदना खेल एवं युवा मंत्री थे. वहीं 2008 में बनी कांग्रेस सरकार में भी तीन मंत्री हाड़ौती से रहे हैं. इनमें बारां जिले में अंता से प्रमोद जैन भाया को सार्वजनिक निर्माण विभाग दिया गया था. इसी तरह से सांगोद से विधायक रहे भरत सिंह कुंदनपुर को पहले पंचायत राज और बाद में सार्वजनिक निर्माण विभाग दिया गया था. वहीं कोटा उत्तर से विधायक रहे शांति धारीवाल को पहले गृह मंत्रालय और बाद में यूडीएच सौंपा गया था.