कोटा. महावीर ईएनटी अस्पताल और महावीर मेडिकल स्टोर से साल 2021 में कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद पहली ब्लैक फंगस बीमारी के दौरान सीज किए एंफोटरइसिन बी इंजेक्शन इंजेक्शन सब्सटेंडर्ड पाए गए हैं. ऐसे सभी इंजेक्शन को अब औषधि नियंत्रण संगठन में जब्त कर लिया है. इसके साथ ही इंजेक्शन के सब्सटेंडर्ड मिलने पर आगे की कार्रवाई मंगलवार को औषधि नियंत्रण अधिकारियों ने अस्पताल पर पहुंचकर की.
सहायक औषधि नियंत्रक प्रहलाद मीणा ने बताया कि महावीर ईएनटी अस्पताल में मरीजों के 19 इंजेक्शन लग गए थे. इसके अलावा 81 इंजेक्शन महावीर मेडिकल स्टोर पर मौजूद थे. इनमें से 20 के नमूने ड्रग कंट्रोलर ने लिए थे. इसके अलावा 61 को सीज कर दिया था. मंगलवार को इन 61 इंजेक्शन को भी जब्त किया गया (Black fungus injections seized in Kota) है. जल्दी न्यायालय में फर्म के खिलाफ चालान पेश किया जाएगा. इंजेक्शन मेडिकल स्टोर कोटा से आए थे. यहां अहमदाबाद और वहां चंडीगढ़ से आए थे. इन इंजेक्शन की मैन्युफैक्चरिंग हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के काला अंब स्थित शिवम एंटरप्राइजेज में हुई है. ऐसे में इन सभी पर कार्रवाई होगी.
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यह था पूरा मामला: कोरोना की दूसरी लहर के बाद साल 2021 में कोटा सहित पूरे प्रदेश में ही ब्लैक फंगस बीमारी का कहर हो गया था. इसके लिए जरूरी एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन की भी शॉर्टेज सामने आई थी. ऐसे में कोटा के महावीर नगर थर्ड स्थित महावीर ईएनटी हॉस्पिटल में कुछ मरीजों के ब्लैक फंगस बीमारी के बाद ऑपरेशन हुए थे. जिनकी तबीयत अचानक से बिगड़ गई थी और आनन-फानन में उन्हें एमबीएस अस्पताल में शिफ्ट करना पड़ा था. साथ ही मरीजों का बीपी कम हो गया और शरीर में कंपन की शिकायत आने लग गई थी.
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इस मामले में सामने आया था कि इन मरीजों को एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन लगने के बाद जिस तरह की घबराहट हुई थी. मरीजों की शिकायत के बाद ही महावीर ईएनटी अस्पताल और वहां के महावीर मेडिकल स्टोर पर औषधि नियंत्रण संगठन ने कार्रवाई की थी. जिसमें सभी इंजेक्शन को सीज कर दिया था. इसके बाद इसके सप्लायर के यहां भी इंजेक्शन सीज किए थे. यह करीब 100 के आसपास इंजेक्शन थे. इनकी कीमत 4450 रुपए प्रति इंजेक्शन थी. ऐसे में करीब साढ़े 4 लाख का माल सीज किया गया था. इसके बाद इस इंजेक्शन को लैब में टेस्ट के लिए कोलकाता भेजा गया था.