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राजस्थान निगम चुनाव : अपनी ही पार्टी पर बिफरे राजावत, कहा- व्यक्ति विशेष की गोद मे बैठे नेताओं की तानाशाही का परिणाम है

कोटा जिले में दोनों ही नगर निगम के बोर्ड कांग्रेस ने बना लिए हैं. वहीं भाजपा की हार को लेकर अपनी ही पार्टी पर पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत बिफर पड़े. राजावत ने कहा कि संगठन को व्यक्ति विशेष की गोद मे बिठा दिया गया था और मनमर्जी से टिकट बांटे गए जिसका यह परिणाम है.

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अपनी ही पार्टी पर बिफरे भवानी सिंह राजावत
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Published : Nov 10, 2020, 10:37 PM IST

कोटा. वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत ने अपनी ही पार्टी के नेताओं पर हमला बोला. राजावत ने कहा कि नगर निगम चुनाव के प्रभारी बने पार्टी के नताओं से आग्रह किया था कि वह टिकट वितरण और चुनाव में संतुलन बनाकर चलें, जिससे अनुकूल परिणाम आ सके लेकिन ऐसा नहीं हुआ. राजावत ने कहा कि संगठन को व्यक्ति विशेष की गोद मे बिठा दिया गया और मनमर्जी से टिकट बांटे गए. जिसका परिणाम यह रहा कि जनसंघ के जमाने से भारतीय जनता पार्टी का अभेद दुर्ग बना मुट्ठीभर राज्यों मे सिमटी कांग्रेस पार्टी से हार का मुंह देखना पड़ा.

पूर्व विधायक राजावत ने कहा कि उत्तर नगर निगम में सूपड़ा साफ होने के बाद भी संतोष बैरवा को नामांकन भरवाना जनादेश का घोर अपमान था. बार-बार हार का मुंह देखना क्या हाईकमान का निर्णय था अच्छा तो तब होता जब कोटा दक्षिण नगर निगम मे कांग्रेस के गढ़ मे सेंध लगाकर हम कूटनीति करके हार से जीत निकालकर लाते.

उन्होंने कहा कि हम कांग्रेस पर सत्ता के दुरूपयोग का कितना ही आरोप लगाएं, लेकिन चुने हुए पार्षदों ने स्वतंत्र रूप से मतदान कर महापौर को निर्वाचित किया है. ऐसे आरोप भी अब जनादेश का अपमान होगा.

ये भी पढ़ें: भाजपा में अब उपमहापौर के नाम पर मंथन शुरू...इन्हें मिल सकता है मौका

राजावत ने कहा कि पार्टी प्रदेश नेतृत्व को चाहिए कि कोटा मे पार्टी की एकता को ग्रहण कब और क्यों लगा इस पर समय रहते आत्मचिंतन करना होगा. हर मोर्चे पर नकारा साबित हो चुके स्थानीय संगठन मे भी बदलाव करना होगा पुराने और नए लोगों को साथ मे बैठाकर आत्ममंथन करना होगा. कोटा शहर में वर्षों से जमी पार्टी की जड़ों का उखड़ जाना प्रदेश भर के कार्यकर्ताओं के लिए चिन्ता का विषय है. राजावत ने कहा कि इस पराजय का असर आगामी पंचायत चुनावों, नगर-निकाय चुनावों को भी प्रभावित कर सकता है.

कोटा. वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत ने अपनी ही पार्टी के नेताओं पर हमला बोला. राजावत ने कहा कि नगर निगम चुनाव के प्रभारी बने पार्टी के नताओं से आग्रह किया था कि वह टिकट वितरण और चुनाव में संतुलन बनाकर चलें, जिससे अनुकूल परिणाम आ सके लेकिन ऐसा नहीं हुआ. राजावत ने कहा कि संगठन को व्यक्ति विशेष की गोद मे बिठा दिया गया और मनमर्जी से टिकट बांटे गए. जिसका परिणाम यह रहा कि जनसंघ के जमाने से भारतीय जनता पार्टी का अभेद दुर्ग बना मुट्ठीभर राज्यों मे सिमटी कांग्रेस पार्टी से हार का मुंह देखना पड़ा.

पूर्व विधायक राजावत ने कहा कि उत्तर नगर निगम में सूपड़ा साफ होने के बाद भी संतोष बैरवा को नामांकन भरवाना जनादेश का घोर अपमान था. बार-बार हार का मुंह देखना क्या हाईकमान का निर्णय था अच्छा तो तब होता जब कोटा दक्षिण नगर निगम मे कांग्रेस के गढ़ मे सेंध लगाकर हम कूटनीति करके हार से जीत निकालकर लाते.

उन्होंने कहा कि हम कांग्रेस पर सत्ता के दुरूपयोग का कितना ही आरोप लगाएं, लेकिन चुने हुए पार्षदों ने स्वतंत्र रूप से मतदान कर महापौर को निर्वाचित किया है. ऐसे आरोप भी अब जनादेश का अपमान होगा.

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राजावत ने कहा कि पार्टी प्रदेश नेतृत्व को चाहिए कि कोटा मे पार्टी की एकता को ग्रहण कब और क्यों लगा इस पर समय रहते आत्मचिंतन करना होगा. हर मोर्चे पर नकारा साबित हो चुके स्थानीय संगठन मे भी बदलाव करना होगा पुराने और नए लोगों को साथ मे बैठाकर आत्ममंथन करना होगा. कोटा शहर में वर्षों से जमी पार्टी की जड़ों का उखड़ जाना प्रदेश भर के कार्यकर्ताओं के लिए चिन्ता का विषय है. राजावत ने कहा कि इस पराजय का असर आगामी पंचायत चुनावों, नगर-निकाय चुनावों को भी प्रभावित कर सकता है.

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