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भीलवाड़ा की घटना पर बोले सतीश पूनिया-पुलिस को बदल देनी चाहिए टैगलाइन, ’अपराधियों में हौसला और आमजन में भय के हालात बन गए’

उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया गुरुवार को कोटा दौरे पर रहे. उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान भीलवाड़ा की घटना को लेकर सीएम अशोक गहलोत की सरकार पर निशाना साधा.

Bhilwara gangrape case, Satish Poonia targets on Congress government
भीलवाड़ा की घटना पर बोले सतीश पूनिया-पुलिस को बदल देनी चाहिए टैगलाइन, ’अपराधियों में हौसला और आमजन में भय के हालात बन गए’
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Published : Aug 3, 2023, 9:09 PM IST

सतीश पूनिया ने क्यों बोला, बदल देनी चाहिए पुलिस की टैगलाइन

कोटा. राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया गुरुवार को कोटा दौरे पर रहे. उन्होंने कोटा सर्किट हाउस में मीडिया से बातचीत करते हुए भीलवाड़ा की कोटड़ी की घटना को गंभीर बताया. साथ ही कहा कि पुलिस का इकबाल खत्म हो गया है. पुलिस की टैगलाइन को बदल देना चाहिए, अब अपराधियों में हौसला और आमजन में भय के हालात बन गए हैं.

सतीश पूनिया ने कहा कि भीलवाड़ा में पहले गैंगरेप फिर उसकी हत्या और उसके बाद भट्टी में झोंक देना शर्मसार कर देने वाला है, लेकिन यह पहली घटना नहीं है. इस सरकार के गठन के बाद थानागाजी के गैंगरेप की घटना हुई थी. यह भी मान लिया गया कि यह समाज के विकृति हो सकती है, लेकिन समाज की विकृति पर शासन का रुतबा व इकबाल किस काम आएगा.

पढ़ें: Minor Girl Burnt Body : बकरियां चराने गई बालिका की कोयले की भट्टी में मिली जली लाश, 5 आरोपी डिटेन

उन्होंने कहा कि अबला एंबुलेंस संचालक से रोटी मांगती है, तो उसकी अस्मत लूट ली जाती है, क्या अशोक गहलोत के नारे इस तरह की घटनाओं को रोक पाएंगे. राजस्थान में थानों के बाहर पंच लाइन लिखी होती है कि ’अपराधियों में भय और आमजन में विश्वास’ लेकिन 10 लाख 92 हजार मुकदमे, रोज 17 बलात्कार और 10 हत्या क्या इस पंच लाइन को सार्थक करती है. इसीलिए किसी आम आदमी के मन में यह वेदना अक्सर उभर आती है कि यह पंच लाइन बदल देनी चाहिए. इसमें ’अपराधियों में हौसला है और आमजन में भय कर देना चाहिए’.

राजनीतिक मुद्दा नहींः पूर्व मुख्यमंत्री के 1 अगस्त को हुए प्रदर्शन में शामिल नहीं होने के सवाल पर पूनिया ने कहा कि नेताओं की उपस्थिति व अनुपस्थिति राजनीतिक मुद्दा होता नहीं है. पार्टी के संगठन में इस बात को लेकर कोई गंभीरता नहीं है, क्योंकि हर व्यक्ति की अपनी व्यस्तता होती है, लेकिन प्रदर्शन प्रभावी हुआ है. हमारा संदेश प्रभावी रूप से जनता में पहुंच गया है. कोटा पहुंचने पर कई नेताओं ने उनका स्वागत किया. इनमें विधायक मदन दिलावर, संदीप शर्मा, जिला अध्यक्ष कृष्ण कुमार सोनी रामबाबू व मुकुट नागर सहित कई नेता शामिल थे.

पढ़ें: Minor Girl Burnt Body : भीलवाड़ा कांड पर भाजपा का सीएम गहलोत पर हमला, कहा - नहीं संभल रही जिम्मेदारी तो तुरंत दें इस्तीफा

मंदिर टूट गए लेकिन बीजेपी ने मुंह भी नहीं खोलाः रिवरफ्रंट पर मंदिर टूटने पर बीजेपी के नेताओं का विरोध नहीं करने के सवाल पर सतीश पूनिया ने कहा कि इसकी मुझे जानकारी नहीं है. क्या परिस्थिति थी कि बीजेपी के लोग नहीं बोले. साथ ही कहा कि यह खिलवाड़ जिन्होंने किया है, उन्हें आगे भुगतना भी होगा.

बिना चर्चा के बिल पास करना गलतः सतीश पूनिया ने कहा कि केडीए का बिल जो पास हुआ था, तब लाल डायरी से लेकर कई सारे मुद्दे थे. इनमें भ्रष्टाचार व पेपर लीक, कर्ज माफी सहित कई मुद्दों पर हमारा विरोध जारी था. सरकार को सदन सुचारू रूप से चलाते हुए सभी बिल पर डिस्कशन करना चाहिए था. विधानसभा सत्र के अंतिम दिन कृषक ऋण राहत आयोग के गठन, विद्युत विनियामक आयोग व दिव्यांग विश्वविद्यालय के बिल को आनन-फानन में सरकार ने रखा. ऐसा लग रहा था कि सरकार चाहती है कि जल्दी से बिल पास हो व सदन जल्दी से खत्म हो जाए.

मणिपुर की नहीं, राजस्थान की बात करूंगाः सतीश पूनिया ने कहा कि मैं मणिपुर के मुद्दे पर बात नहीं करूंगा, राजस्थान की बात करूंगा. इतने बरसों से यहां पर रह रहा हूं. साथ ही कहा कि कोई एसक्यूज भी नहीं है कि राजस्थान की सरकार को माफ कर दिया जाए. सतीश पूनिया ने कहा कि यह सरकार खान, भूमाफिया, शराब और पेपर लीक माफिया से घिरी हुई है. कांग्रेस विधायक भरत सिंह व रामनारायण मीणा कुछ कहते हैं. दिव्या मदेरणा स्वास्थ्य व्यवस्था को चुनौती देती हैं.

उन्होंने कहा कि अशोक गहलोत की सरपरस्ती में सोने के बिस्कुट उन्हीं के दफ्तर में मिलते हैं, इससे बड़ा चमत्कार और जादू नहीं हो सकता है. राजस्थान में अराजकता का माहौल है और बदहाली का माहौल है. भीलवाड़ा की घटना होने के बाद अब पानी सिर से ऊपर गुजर गया है. राजस्थान की आवाम सड़कों पर बेशक नहीं दिखती है, लेकिन ईवीएम पर उनकी उंगलियां कांग्रेस के खिलाफ जरूर दिखेंगी.

पढ़ें: रेप कैपिटल बन गया है राजस्थान, प्रियंका गांधी भी दें जवाब, भाजपा महिला सांसदों ने पूछे सवाल

केडीए पर धारीवाल की हठधर्मिता और कोई इंटरेस्टः कोटा विकास प्राधिकरण को लेकर विरोध हो रहा है. इस पर कहा अथॉरिटी बनती है, यूआईटी का गठन शहरों के विकास के लिए होता है. अर्बन डेवलपमेंट व रूरल डेवलपमेंट दोनों अलग पक्ष है. केडीए के बल पर उन्हीं के लोग विरोध कर रहे हैं, यह आश्चर्यजनक है. यह बिल भी आनन-फानन में शोरगुल में पास कराया है.

उन्होंने कहा कि मुझे बूंदी के लोगों ने ज्ञापन दिया है, उन्हें केडीए में शामिल होने पर ऐतराज है. ऐसा लगता है कि यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की हठधर्मिता है. मंत्री धारीवाल का किस तरह का इंटरेस्ट इस मामले पर है, इसका खुलासा होना चाहिए. इस बिल पर स्थिति भी स्पष्ट करनी चाहिए और जनहित की बात को प्राथमिकता देनी चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि रोजमर्रा के डेवलपमेंट के काम से अर्बन एरिया के लोगों को तो फायदा हो जाता है, लेकिन रूरल एरिया के लोगों को इससे नुकसान होता है. इसीलिए विधायक रामनारायण मीणा और भरत सिंह भी इसका विरोध कर रहे हैं.

हमारी पहले से ही तैयारीः सतीश पूनिया से पूछा गया कि कांग्रेस ने स्क्रीनिंग कमेटी की भी घोषणा कर दी है. इस पर पूनिया ने कहा कि राजस्थान में हम लोग पिछले काफी अर्से से तीन कारक पर काम कर रहे हैं. तीनों का संबंध संगठन, विचार व राजनीतिक से है. संगठन पूरी तरह से मजबूत व धरातल पर है. रचनात्मक तरीके से लोगों की सेवा व सरोकार के काम कर रहे हैं. पार्टी व मोर्चों ने कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार आदि मुद्दों पर कई आंदोलन खड़े किए हैं. पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह व राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के लगातार दौरे हो रहे हैं. पीएम मोदी ने कई जनहित की योजनाएं राजस्थान में लागू की है. उन्होंने कहा कि चुनाव को लेकर हमारी आंतरिक रूप से पूरी तैयारी है, जीत के इरादे से मैदान में उतरेंगे.

देवी सिंह भाटी पर यह बोले पूनियाः देवी सिंह भाटी के संगठन बनाने के सवाल पर सतीश पूनिया ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और 700 घोषित राजनीतिक संगठन हैं. उसमें भी 70 रजिस्टर्ड और स्थापित राजनीतिक संगठन है. अपनी बात को कहने व लोकतांत्रिक तरीके से वैचारिक लड़ाई लड़ने का सबको अधिकार है. उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि देश में अभी 2 ध्रुव की राजनीति है. राजस्थान में भी खास तौर पर यह दो ध्रुवी या बाइपोलर राजनीति 1990 के बाद से है. प्रदेश में लोग मंच और विचार से राजनीतिक तौर पर संस्था या संगठन बनाते हैं, सबको नैतिक अधिकार है.

बीएसपी से गहलोत ने मिलायाः सतीश पूनिया ने कहा कि सचिवालय में सोने के बिस्किट व पेपर लीक की घटनाएं हुई. उसके बाद लाल डायरी सामने आई है. इस मामले पर हमारे ऊपर आरोप लग रहे हैं, लेकिन जब बीएसपी के टिकट पर जीत कर राजेंद्र सिंह गुढ़ा आए थे और मान्यताओं को दरकिनार करते हुए उन्होंने कांग्रेस में मर्ज कर लिया. इसकी हमारे विधायक मदन दिलावर की लगाई पेटीशन हाईकोर्ट में चल रही है.

मुख्यमंत्री गहलोत खुद गुढ़ा को कहते थे कि वह हमारी सरकार के संकटमोचक हैं, उनके बेटे के जन्मदिन पर कहा कि गुढ़ा नहीं होते तो मेरी सरकार चली जाती है. दुष्कर्म का मुद्दा उठाने पर गुढ़ा की बर्खास्तगी हो जाती है. गुढ़ा तीन पेज सामने लेकर आए हैं, जिसमें आरसीए का उल्लेख है. मुख्यमंत्री के बेटे वैभव गहलोत पर आरोप लगे हैं. साथ ही कहा कि मेरा सवाल सीएम गहलोत से है कि बीजेपी के कहने पर बीएसपी को कांग्रेस में मर्ज किया था क्या?. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की फितरत है कि ‘मीठा मीठा गप गप, खारा खारा थू थू’.

भ्रष्टाचार और बेरोजगारी में राजस्थान आगेः पूनिया ने कहा कि कोटा के एक नौजवान ने आज अवसाद में आकर आत्महत्या कर ली है. उसके परिजनों का आरोप है कि बेरोजगारी और कर्जे से तंग था. उन्होंने कहा कि इस सरकार में 2100 बेरोजगार नौजवानों ने आत्महत्या की है. प्रदेश में बेरोजगारी की दर 28 फीसदी है, जो कि देश में सर्वाधिक है. पेपर लीक का दंश इन बेरोजगारों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रहा है. कर्जा माफी की बात करने वाली सरकार ने ही 19422 किसानों की जमीन कुर्क करवा दी है. सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करती है, लेकिन हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़ें लिखे को पारसी क्या’. मुख्यमंत्री को पब्लिक डोमेन में लोगों ने कहा राजस्थान में हमें काम के लिए रिश्वत देनी पड़ती है, होटल व रेस्टोरेंट की तरह भ्रष्टाचार और अपराध का भी मेनू कार्ड है.

सतीश पूनिया ने क्यों बोला, बदल देनी चाहिए पुलिस की टैगलाइन

कोटा. राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया गुरुवार को कोटा दौरे पर रहे. उन्होंने कोटा सर्किट हाउस में मीडिया से बातचीत करते हुए भीलवाड़ा की कोटड़ी की घटना को गंभीर बताया. साथ ही कहा कि पुलिस का इकबाल खत्म हो गया है. पुलिस की टैगलाइन को बदल देना चाहिए, अब अपराधियों में हौसला और आमजन में भय के हालात बन गए हैं.

सतीश पूनिया ने कहा कि भीलवाड़ा में पहले गैंगरेप फिर उसकी हत्या और उसके बाद भट्टी में झोंक देना शर्मसार कर देने वाला है, लेकिन यह पहली घटना नहीं है. इस सरकार के गठन के बाद थानागाजी के गैंगरेप की घटना हुई थी. यह भी मान लिया गया कि यह समाज के विकृति हो सकती है, लेकिन समाज की विकृति पर शासन का रुतबा व इकबाल किस काम आएगा.

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उन्होंने कहा कि अबला एंबुलेंस संचालक से रोटी मांगती है, तो उसकी अस्मत लूट ली जाती है, क्या अशोक गहलोत के नारे इस तरह की घटनाओं को रोक पाएंगे. राजस्थान में थानों के बाहर पंच लाइन लिखी होती है कि ’अपराधियों में भय और आमजन में विश्वास’ लेकिन 10 लाख 92 हजार मुकदमे, रोज 17 बलात्कार और 10 हत्या क्या इस पंच लाइन को सार्थक करती है. इसीलिए किसी आम आदमी के मन में यह वेदना अक्सर उभर आती है कि यह पंच लाइन बदल देनी चाहिए. इसमें ’अपराधियों में हौसला है और आमजन में भय कर देना चाहिए’.

राजनीतिक मुद्दा नहींः पूर्व मुख्यमंत्री के 1 अगस्त को हुए प्रदर्शन में शामिल नहीं होने के सवाल पर पूनिया ने कहा कि नेताओं की उपस्थिति व अनुपस्थिति राजनीतिक मुद्दा होता नहीं है. पार्टी के संगठन में इस बात को लेकर कोई गंभीरता नहीं है, क्योंकि हर व्यक्ति की अपनी व्यस्तता होती है, लेकिन प्रदर्शन प्रभावी हुआ है. हमारा संदेश प्रभावी रूप से जनता में पहुंच गया है. कोटा पहुंचने पर कई नेताओं ने उनका स्वागत किया. इनमें विधायक मदन दिलावर, संदीप शर्मा, जिला अध्यक्ष कृष्ण कुमार सोनी रामबाबू व मुकुट नागर सहित कई नेता शामिल थे.

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मंदिर टूट गए लेकिन बीजेपी ने मुंह भी नहीं खोलाः रिवरफ्रंट पर मंदिर टूटने पर बीजेपी के नेताओं का विरोध नहीं करने के सवाल पर सतीश पूनिया ने कहा कि इसकी मुझे जानकारी नहीं है. क्या परिस्थिति थी कि बीजेपी के लोग नहीं बोले. साथ ही कहा कि यह खिलवाड़ जिन्होंने किया है, उन्हें आगे भुगतना भी होगा.

बिना चर्चा के बिल पास करना गलतः सतीश पूनिया ने कहा कि केडीए का बिल जो पास हुआ था, तब लाल डायरी से लेकर कई सारे मुद्दे थे. इनमें भ्रष्टाचार व पेपर लीक, कर्ज माफी सहित कई मुद्दों पर हमारा विरोध जारी था. सरकार को सदन सुचारू रूप से चलाते हुए सभी बिल पर डिस्कशन करना चाहिए था. विधानसभा सत्र के अंतिम दिन कृषक ऋण राहत आयोग के गठन, विद्युत विनियामक आयोग व दिव्यांग विश्वविद्यालय के बिल को आनन-फानन में सरकार ने रखा. ऐसा लग रहा था कि सरकार चाहती है कि जल्दी से बिल पास हो व सदन जल्दी से खत्म हो जाए.

मणिपुर की नहीं, राजस्थान की बात करूंगाः सतीश पूनिया ने कहा कि मैं मणिपुर के मुद्दे पर बात नहीं करूंगा, राजस्थान की बात करूंगा. इतने बरसों से यहां पर रह रहा हूं. साथ ही कहा कि कोई एसक्यूज भी नहीं है कि राजस्थान की सरकार को माफ कर दिया जाए. सतीश पूनिया ने कहा कि यह सरकार खान, भूमाफिया, शराब और पेपर लीक माफिया से घिरी हुई है. कांग्रेस विधायक भरत सिंह व रामनारायण मीणा कुछ कहते हैं. दिव्या मदेरणा स्वास्थ्य व्यवस्था को चुनौती देती हैं.

उन्होंने कहा कि अशोक गहलोत की सरपरस्ती में सोने के बिस्कुट उन्हीं के दफ्तर में मिलते हैं, इससे बड़ा चमत्कार और जादू नहीं हो सकता है. राजस्थान में अराजकता का माहौल है और बदहाली का माहौल है. भीलवाड़ा की घटना होने के बाद अब पानी सिर से ऊपर गुजर गया है. राजस्थान की आवाम सड़कों पर बेशक नहीं दिखती है, लेकिन ईवीएम पर उनकी उंगलियां कांग्रेस के खिलाफ जरूर दिखेंगी.

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केडीए पर धारीवाल की हठधर्मिता और कोई इंटरेस्टः कोटा विकास प्राधिकरण को लेकर विरोध हो रहा है. इस पर कहा अथॉरिटी बनती है, यूआईटी का गठन शहरों के विकास के लिए होता है. अर्बन डेवलपमेंट व रूरल डेवलपमेंट दोनों अलग पक्ष है. केडीए के बल पर उन्हीं के लोग विरोध कर रहे हैं, यह आश्चर्यजनक है. यह बिल भी आनन-फानन में शोरगुल में पास कराया है.

उन्होंने कहा कि मुझे बूंदी के लोगों ने ज्ञापन दिया है, उन्हें केडीए में शामिल होने पर ऐतराज है. ऐसा लगता है कि यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की हठधर्मिता है. मंत्री धारीवाल का किस तरह का इंटरेस्ट इस मामले पर है, इसका खुलासा होना चाहिए. इस बिल पर स्थिति भी स्पष्ट करनी चाहिए और जनहित की बात को प्राथमिकता देनी चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि रोजमर्रा के डेवलपमेंट के काम से अर्बन एरिया के लोगों को तो फायदा हो जाता है, लेकिन रूरल एरिया के लोगों को इससे नुकसान होता है. इसीलिए विधायक रामनारायण मीणा और भरत सिंह भी इसका विरोध कर रहे हैं.

हमारी पहले से ही तैयारीः सतीश पूनिया से पूछा गया कि कांग्रेस ने स्क्रीनिंग कमेटी की भी घोषणा कर दी है. इस पर पूनिया ने कहा कि राजस्थान में हम लोग पिछले काफी अर्से से तीन कारक पर काम कर रहे हैं. तीनों का संबंध संगठन, विचार व राजनीतिक से है. संगठन पूरी तरह से मजबूत व धरातल पर है. रचनात्मक तरीके से लोगों की सेवा व सरोकार के काम कर रहे हैं. पार्टी व मोर्चों ने कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार आदि मुद्दों पर कई आंदोलन खड़े किए हैं. पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह व राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के लगातार दौरे हो रहे हैं. पीएम मोदी ने कई जनहित की योजनाएं राजस्थान में लागू की है. उन्होंने कहा कि चुनाव को लेकर हमारी आंतरिक रूप से पूरी तैयारी है, जीत के इरादे से मैदान में उतरेंगे.

देवी सिंह भाटी पर यह बोले पूनियाः देवी सिंह भाटी के संगठन बनाने के सवाल पर सतीश पूनिया ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और 700 घोषित राजनीतिक संगठन हैं. उसमें भी 70 रजिस्टर्ड और स्थापित राजनीतिक संगठन है. अपनी बात को कहने व लोकतांत्रिक तरीके से वैचारिक लड़ाई लड़ने का सबको अधिकार है. उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि देश में अभी 2 ध्रुव की राजनीति है. राजस्थान में भी खास तौर पर यह दो ध्रुवी या बाइपोलर राजनीति 1990 के बाद से है. प्रदेश में लोग मंच और विचार से राजनीतिक तौर पर संस्था या संगठन बनाते हैं, सबको नैतिक अधिकार है.

बीएसपी से गहलोत ने मिलायाः सतीश पूनिया ने कहा कि सचिवालय में सोने के बिस्किट व पेपर लीक की घटनाएं हुई. उसके बाद लाल डायरी सामने आई है. इस मामले पर हमारे ऊपर आरोप लग रहे हैं, लेकिन जब बीएसपी के टिकट पर जीत कर राजेंद्र सिंह गुढ़ा आए थे और मान्यताओं को दरकिनार करते हुए उन्होंने कांग्रेस में मर्ज कर लिया. इसकी हमारे विधायक मदन दिलावर की लगाई पेटीशन हाईकोर्ट में चल रही है.

मुख्यमंत्री गहलोत खुद गुढ़ा को कहते थे कि वह हमारी सरकार के संकटमोचक हैं, उनके बेटे के जन्मदिन पर कहा कि गुढ़ा नहीं होते तो मेरी सरकार चली जाती है. दुष्कर्म का मुद्दा उठाने पर गुढ़ा की बर्खास्तगी हो जाती है. गुढ़ा तीन पेज सामने लेकर आए हैं, जिसमें आरसीए का उल्लेख है. मुख्यमंत्री के बेटे वैभव गहलोत पर आरोप लगे हैं. साथ ही कहा कि मेरा सवाल सीएम गहलोत से है कि बीजेपी के कहने पर बीएसपी को कांग्रेस में मर्ज किया था क्या?. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की फितरत है कि ‘मीठा मीठा गप गप, खारा खारा थू थू’.

भ्रष्टाचार और बेरोजगारी में राजस्थान आगेः पूनिया ने कहा कि कोटा के एक नौजवान ने आज अवसाद में आकर आत्महत्या कर ली है. उसके परिजनों का आरोप है कि बेरोजगारी और कर्जे से तंग था. उन्होंने कहा कि इस सरकार में 2100 बेरोजगार नौजवानों ने आत्महत्या की है. प्रदेश में बेरोजगारी की दर 28 फीसदी है, जो कि देश में सर्वाधिक है. पेपर लीक का दंश इन बेरोजगारों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रहा है. कर्जा माफी की बात करने वाली सरकार ने ही 19422 किसानों की जमीन कुर्क करवा दी है. सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करती है, लेकिन हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़ें लिखे को पारसी क्या’. मुख्यमंत्री को पब्लिक डोमेन में लोगों ने कहा राजस्थान में हमें काम के लिए रिश्वत देनी पड़ती है, होटल व रेस्टोरेंट की तरह भ्रष्टाचार और अपराध का भी मेनू कार्ड है.

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