कोटा. शहर में कोचिंग छात्रों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए जिला प्रशासन से लेकर राज्य सरकार के स्तर पर काफी प्रयास किया जा रहा है. इसी क्रम में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के मौके पर कोटा पुलिस और एलन कोचिंग संस्थान की तरफ से डब्ल्यूएचओ की इस साल की थीम ‘क्रीएटिंग होप थ्रू एक्शन’ पर विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया.
इस कार्यक्रम के तहक पैनल डिस्कशन हुआ और सुसाइड जैसी घटनाओं में कमी लाने के प्रयासों पर विस्तार से चर्चा हुई. एक्सपर्ट ने माना कि कुछ बच्चे भावनात्मक रूप से कमजोर होते हैं. अभिभावकों को ऐसे बच्चों की काउंसलिंग करानी चाहिए. एक्सपर्ट ने कहा कि सुसाइड जैसी घटनाओं के वीडियो सोशल मीडिया पर जल्दी वायरल होते हैं, इसके कारण नेगेटिव माइंडसेट में चल रहे स्टूडेंट्स भी ऐसा कदम उठाने के लिए प्रेरित होते हैं. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया से भी स्टूडेंट को दूर रखना चाहिए. मोबाइल का इस्तेमाल केवल पढ़ाई के लिए हो तो ज्यादा बेहतर होगा.
बच्चे सोशल एक्टिविटी में हों शामिलः एक्सपर्ट ने माना कि समाज और परिवार के दबाव में स्टूडेंट स्ट्रेस फील करता है. ऐसे में जरूरी है कि स्टूडेंट्स समाज में अपनी भागीदारी दिखाएं. परिवार व अपने आसपास के लोगों से जुड़ें. स्टूडेंट्स को समझना चाहिए कि मनोवैज्ञानिक, मनोचिकित्सक व काउंसलर से बात करना बुरी बात नहीं है. आप उनसे मिलें और अपने मन की बातें शेयर करें. एक्सपर्ट ने कहा कि दिमाग में अस्थिरता से कई बार नेगेटिव ख्याल आते हैं. यही वजह है कि लोग सुसाइड जैसा कदम उठाते हैं. प्रतिस्पर्द्धा की वजह से अकेलापन भी बड़ा कारण है. ऐसे में बच्चों को सामाजिक गतिविधियों से जुड़ना व जोड़ना चाहिए.
माइंड और टाइम मैनेजमेंट बेहतर होः एक्सपर्ट ने कहा कि स्टूडेंट को समझाया जाए कि उनका कम्पिटीशन दूसरों से नहीं खुद से है. अपनी क्षमताओं के अनुसार कॅरियर ऑप्शन चुनिए. डॉक्टर-इंजीनियर बनना एक पड़ाव है. पढ़ाई के साथ दैनिक दिनचर्या, माइंड व टाइम मैनेजमेंट भी होना चाहिए. आपकी पढ़ाई या रिजल्ट में कमी निकालना लोगों की आदत है, लेकिन स्टूडेंट्स को इन बातों को नजरअंदाज कर खुद को मजबूत बनाना होगा. कार्यक्रम के दौरान कोटा रेंज आईजी प्रसन्न कुमार खमेसरा, एसपी सिटी शरद चौधरी, मेडिकल कॉलेज प्रिंसीपल डॉ. संगीता सक्सेना, मानव विज्ञान एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. निमेष देसाई, सीएमएचओ डॉ. जगदीश सोनी, मनोचिकित्सक डॉ. एमएल अग्रवाल, एलन के निदेशक नवीन माहेश्वरी, डॉ. विनोद दड़िया ने अपने विचार रखे.