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पता चल गया मुकुंदरा में बाघों की मौत का कारण...बाघिन MT-4 की मेडिकल जांच में मिला ये खतरनाक वायरस - केनाइन डिस्टेंपर वाइरस

कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में लगातार होती बाघों की मौत के बाद वन्यजीव प्रेमियों ने बाघों की जांच कराने की मांग रखी थी. जिसके बाद यहां सभी बाघों की जांच की गई. जिसमें बाघिन एमटी-4 की मेडिकल जांच रिपोर्ट में केनाइन डिस्टेंपर की एंटी बॉडी मिली है.

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मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व की बाघिन में मिली 'केनाइन डिस्टेंपर वाइरस' की एंटी बॉडी
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Published : Oct 18, 2020, 3:11 PM IST

Updated : Oct 18, 2020, 3:22 PM IST

रामगंजमंडी (कोटा). बाघों की मौत के बाद वन्यजीव प्रेमियों ने भी केनाइन डिस्टेंपर वायरस की आशंका जताते हुए जांच कराने की मांग रखी थी. ऐसे में जब मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व की बाघिन एमटी-4 की तबीयत बिगड़ी तो अधिकारियों ने उसका मेडिकल चेकअप कराया. इसकी रिपोर्ट बरेली की लैब से कोटा के अधिकारियों को मिल चुकी है. जिसमें मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व की बाघिन एमटी-4 की मेडिकल जांच रिपोर्ट में केनाइन डिस्टेंपर की एंटी बॉडी मिली है. ऐसे में इससे इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि यहां जिन बाघों की मौत हुई, उन्हें केनाइन डिस्टेंपर की बीमारी नहीं थी.

सूत्रों ने बताया कि रिपोर्ट में एमटी-4 को केनाइन डिस्टेंपर की एंटी बॉडी मिली है, वहीं अधिकारियों की मानें तो अब एमटी-4 को कोई खतरा नहीं है. वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि इस बात का पता चलने पर अब अन्य जीवों को भी सुरक्षित किया जा सकेगा. इससे मुकुंदरा में अब फिर स्वस्थ माहौल में बाघों का पुनर्वास किया जा सकेगा. विशेषज्ञों के अनुसार जिस जीव को ये बीमारी है उसे आहार बनाने पर बाघों को भी खतरा उत्पन्न हो जाता है. ये खतरनाक वायरस कुत्तों और दूसरे पालतू पशुओं से बाघों में पहुंचता है और न केवल बाघों को बीमार करता है, बल्कि उनके नर्वस सिस्टम खासतौर पर मस्तिष्क को प्रभावित करता है.

ये भी पढे़ंः लोकसभा अध्यक्ष के घर निकला पांच फीट लंबा कोबरा, मचा हड़कंप

पर्यावरण प्रेमी डॉ. सुधीर गुप्ता ने बताया कि अब इस बीमारी का खुलासा होने पर बाघों को सुरक्षित करने में मदद मिलेगी. उन्हें इस बीमारी से बचाने के लिए टीका लगाया जाएगा. केनाइन डिस्टेंपर वायरस ज्यादातर कुत्तों में पाया जाता है. इस वायरस से पीड़ित कुत्ते जंगलों में जाते हैं. बाघ या तो इन कुत्तों का शिकार कर लेते हैं या कुत्तों द्वारा मारे गए जानवर को खा लेते हैं. जिससे वायरस बाघों में पहुंच जाता है.

रामगंजमंडी (कोटा). बाघों की मौत के बाद वन्यजीव प्रेमियों ने भी केनाइन डिस्टेंपर वायरस की आशंका जताते हुए जांच कराने की मांग रखी थी. ऐसे में जब मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व की बाघिन एमटी-4 की तबीयत बिगड़ी तो अधिकारियों ने उसका मेडिकल चेकअप कराया. इसकी रिपोर्ट बरेली की लैब से कोटा के अधिकारियों को मिल चुकी है. जिसमें मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व की बाघिन एमटी-4 की मेडिकल जांच रिपोर्ट में केनाइन डिस्टेंपर की एंटी बॉडी मिली है. ऐसे में इससे इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि यहां जिन बाघों की मौत हुई, उन्हें केनाइन डिस्टेंपर की बीमारी नहीं थी.

सूत्रों ने बताया कि रिपोर्ट में एमटी-4 को केनाइन डिस्टेंपर की एंटी बॉडी मिली है, वहीं अधिकारियों की मानें तो अब एमटी-4 को कोई खतरा नहीं है. वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि इस बात का पता चलने पर अब अन्य जीवों को भी सुरक्षित किया जा सकेगा. इससे मुकुंदरा में अब फिर स्वस्थ माहौल में बाघों का पुनर्वास किया जा सकेगा. विशेषज्ञों के अनुसार जिस जीव को ये बीमारी है उसे आहार बनाने पर बाघों को भी खतरा उत्पन्न हो जाता है. ये खतरनाक वायरस कुत्तों और दूसरे पालतू पशुओं से बाघों में पहुंचता है और न केवल बाघों को बीमार करता है, बल्कि उनके नर्वस सिस्टम खासतौर पर मस्तिष्क को प्रभावित करता है.

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पर्यावरण प्रेमी डॉ. सुधीर गुप्ता ने बताया कि अब इस बीमारी का खुलासा होने पर बाघों को सुरक्षित करने में मदद मिलेगी. उन्हें इस बीमारी से बचाने के लिए टीका लगाया जाएगा. केनाइन डिस्टेंपर वायरस ज्यादातर कुत्तों में पाया जाता है. इस वायरस से पीड़ित कुत्ते जंगलों में जाते हैं. बाघ या तो इन कुत्तों का शिकार कर लेते हैं या कुत्तों द्वारा मारे गए जानवर को खा लेते हैं. जिससे वायरस बाघों में पहुंच जाता है.

Last Updated : Oct 18, 2020, 3:22 PM IST
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