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आउटसोर्सिंग फर्म का मामलाः आरटीयू में जांच के लिए पहुंची एसीबी की टीम

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Published : May 8, 2023, 7:30 PM IST

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो कोटा देहात की टीम राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय में जांच करने पहुंची है. मामला 7 करोड़ के टेंडर में अनियमितता को लेकर है.

ACB in Rajasthan technical university to investigate a case of corruption
आउटसोर्सिंग फर्म का मामलाः आरटीयू में जांच के लिए पहुंची एसीबी की टीम

कोटा. राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो कोटा देहात की टीम जांच करने पहुंची है. जांच 7 करोड रुपए के टेंडर से जुड़ी अनियमितता की है. जिसे ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड (बेसिल) को दिया गया है. इस संबंध में गुमनाम शिकायत भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को मिली थी. शिकायत के बाद ही एसीबी की टीम ने कार्रवाई शुरू की है. इसमें राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के दो दर्जन से ज्यादा स्टाफ और प्रोफेसर पर आरोप लगे हैं.

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रेरणा शेखावत ने बताया कि राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर एसके सिंह और रजिस्ट्रार वीरेंद्र सिंह भी उन्हें नहीं मिले हैं. हालांकि प्रबंधन ने उन्हें आश्वस्त किया है कि जो टेंडर उन्होंने किया था, उसमें कोई गड़बड़झाला नहीं है. इस शिकायत में डीन फैकल्टी अफेयर्स प्रोफेसर एके द्विवेदी, प्रो धीरेंद्र माथुर, प्रो अनिल माथुर, प्रो डीके पलवलिया, डॉ दिनेश बिरला, किरण मीणा, मनीषा भंडारी सहित कई लोगों की शिकायत है.

पढ़ेंः Rajasthan Technical University: ठेका फर्म ने काम शुरू नहीं किया, अधर में स्टूडेंट्स का भविष्य, जिम्मेदार झाड़ रहे पल्ला

शिकायत में यह भी आरोप लगे हैं कि राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय में लगी फैकेल्टी बच्चों को पढ़ाती नहीं है व उन्हें धमकाया भी जाता है. इस मामले पर ईटीवी भारत ने 16 मार्च को ही यह खबर प्रकाशित कर पूरे मामले को उजागर किया था. जिसमें सामने आया था कि हजारों विद्यार्थियों का परीक्षा, रिजल्ट और डॉक्यूमेंट देने का काम अटक गया है. इनमें कई विद्यार्थियों का प्लेसमेंट हो गया है या फिर उन्हें विदेश आगे की पढ़ाई के लिए जाना है, लेकिन उन्हें डॉक्यूमेंट नहीं मिल पा रहे हैं.

पढ़ेंः RTU के प्रोफेसर ने छात्रा को परीक्षा में किया फेल, अच्छे नंबरों से पास करने की एवज में मांगी अस्मत

जिनमें माइग्रेशन से लेकर डुप्लीकेट मार्कशीट, सर्टिफिकेट, प्रोविजनल सर्टिफिकेट, कंसोलिडेटेड मार्कशीट व ट्रांसक्रिप्ट विद्यार्थियों को नहीं मिल रही हैं. पहले की ठेका फार्म माइक्रोनिक इन्फोटेक सर्विस प्राइवेट लिमिटेड को बीते साल 2022 में करीब 60 लाख से ज्यादा का भुगतान हुआ है. जबकि यह नया ठेका फर्म बेसिल को कई गुने पैसा में मिला है. हालांकि उसे कुछ सुविधाओं का विस्तार करना है, लेकिन उसके पहले उसे सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करने के लिए भी करीब 6 करोड़ 83 लाख रुपए का भुगतान की तैयारी है.

कोटा. राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो कोटा देहात की टीम जांच करने पहुंची है. जांच 7 करोड रुपए के टेंडर से जुड़ी अनियमितता की है. जिसे ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड (बेसिल) को दिया गया है. इस संबंध में गुमनाम शिकायत भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को मिली थी. शिकायत के बाद ही एसीबी की टीम ने कार्रवाई शुरू की है. इसमें राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के दो दर्जन से ज्यादा स्टाफ और प्रोफेसर पर आरोप लगे हैं.

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रेरणा शेखावत ने बताया कि राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर एसके सिंह और रजिस्ट्रार वीरेंद्र सिंह भी उन्हें नहीं मिले हैं. हालांकि प्रबंधन ने उन्हें आश्वस्त किया है कि जो टेंडर उन्होंने किया था, उसमें कोई गड़बड़झाला नहीं है. इस शिकायत में डीन फैकल्टी अफेयर्स प्रोफेसर एके द्विवेदी, प्रो धीरेंद्र माथुर, प्रो अनिल माथुर, प्रो डीके पलवलिया, डॉ दिनेश बिरला, किरण मीणा, मनीषा भंडारी सहित कई लोगों की शिकायत है.

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शिकायत में यह भी आरोप लगे हैं कि राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय में लगी फैकेल्टी बच्चों को पढ़ाती नहीं है व उन्हें धमकाया भी जाता है. इस मामले पर ईटीवी भारत ने 16 मार्च को ही यह खबर प्रकाशित कर पूरे मामले को उजागर किया था. जिसमें सामने आया था कि हजारों विद्यार्थियों का परीक्षा, रिजल्ट और डॉक्यूमेंट देने का काम अटक गया है. इनमें कई विद्यार्थियों का प्लेसमेंट हो गया है या फिर उन्हें विदेश आगे की पढ़ाई के लिए जाना है, लेकिन उन्हें डॉक्यूमेंट नहीं मिल पा रहे हैं.

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जिनमें माइग्रेशन से लेकर डुप्लीकेट मार्कशीट, सर्टिफिकेट, प्रोविजनल सर्टिफिकेट, कंसोलिडेटेड मार्कशीट व ट्रांसक्रिप्ट विद्यार्थियों को नहीं मिल रही हैं. पहले की ठेका फार्म माइक्रोनिक इन्फोटेक सर्विस प्राइवेट लिमिटेड को बीते साल 2022 में करीब 60 लाख से ज्यादा का भुगतान हुआ है. जबकि यह नया ठेका फर्म बेसिल को कई गुने पैसा में मिला है. हालांकि उसे कुछ सुविधाओं का विस्तार करना है, लेकिन उसके पहले उसे सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करने के लिए भी करीब 6 करोड़ 83 लाख रुपए का भुगतान की तैयारी है.

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