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स्पेशल रिपोर्ट: सात दोस्तों का ऐसा जज्बा, श्मशान को बना दिया गार्डन

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Published : Sep 19, 2019, 9:31 AM IST

इंसान में अगर कुछ करने का जज्बा हो तो उसके सामने बड़ी से बड़ी मुसीबतें भी छोटी पड़ जाती हैं. जब व्यक्ति लक्ष्य की ओर बढ़ता है. तब विपरीत हालातों को भी झुकना पड़ता है. ऐसा करने वाले व्यक्तियों को बाद में हर इंसान सलाम करता है.

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रामगंजमंड़ी (कोटा). कुछ ऐसी ही कहानी इन सात दोस्तों की है. जिन्होंने एक ऐसी जगह को निखारा है. जहां इंसान अपने मोक्ष को प्राप्त करता है. मोड़क स्टेशन के निवासी सात दोस्तों ने मिलकर कस्बे के श्मशान को 3 साल में कुछ ऐसा बना दिया. जहां पहले व्यक्ति किसी का अंतिम संस्कार में ही जाता थे. लेकिन उस श्मशान के आज हालात इस तरह कर दिए हैं कि श्मशान अब कोई गार्डन नजर आता है. इसमें व्यक्ति बिना किसी के अंतिम संस्कार में जाए बिना भी अपना समय व्यतीत करते हैं.

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एक पंचायत में 7 दोस्तों ने शमशान को दिया गार्डन का रूप

सात दोस्तों ने मिलकर श्मशान में अपनी समिति बनाई हुई है. वहीं मुक्तिधाम समिति अध्यक्ष दीपक कुमार मीणा ने बताया कि रामगंजमंडी में अक्सर सुना है कि श्मशान के हालात इस कदर होते हैं कि कई बार मानवता शर्मशार होती नजर आई है. इसलिए हमने हमारे श्मशान को इस कदर बनाया है. पहले यह श्मशान इस कदर खराब था कि जगह-जगह उगती झाड़ियां और गंदगी से इंसान आने से घबराता था. जब कोई अंतिम संस्कार यात्रा होती थी. तभी लोग आया करते थे.

शमशान को बना दिया गार्डन

पढ़ें- कोटा में पानी का कहर, इटावा क्षेत्र में 100 से ज्यादा मकान धराशायी

लेकिन 3 साल में हम सात दोस्तों ने इस श्मशान की दुर्दशा सुधारने का लक्ष्य लिया. इसको इस प्रकार बनाने की सोच रखी कि इस श्मशान को हम ऐसा रूप दें कि सब देखते रह जाए. तभी सातों दोस्तो ने संकल्प लिया और श्मशान को सुधारने में लग गए. आज इस श्मशान को हमने इस प्रकार बना दिया कि जब कस्बे वासी किसी की शव यात्रा में आते है. तो उनको शमशान देखकर अच्छा लगता है. बुजुर्ग व्यकि हमकों आशीर्वाद देकर जाते हैं. मीणा ने बताया कि हम सातों दोस्त में कोई सरकारी तो कोई प्राइवेट जॉब करता है. इस पर हमने मीटिंग कर हप्ते का एक दिन जिंदगी का हमने श्मशान की देख-रेख और साफ-सफाई के नाम कर दी. साथ ही जरूरत की कुछ सामग्री हम सभी ने मिलकर और भामाशाहों की मदद से पूरी की है.

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हप्ते में एक दिन शमशान की सुंदरता के नाम

पढ़ें- कोटा: रीको अफसर की मिलीभगत से अराफात पेट्रोकेमिकल्स प्रबंधन पर 227 एकड़ जमीन बेचने का आरोप

श्मशान में कई तरह के पौधे और बैठक व्यवस्था के साथ ही साफ-सफाई का सम्पूर्ण ध्यान रखने की जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है. वहीं मुक्तिधाम समिति सदस्य मनीष नामा ने बताया कि हर हफ्ते हम सभी दोस्त मिलकर पूरा दिन श्मशान में साफ-सफाई, पौधा लगाने और शमशान को सुंदर बनाने के प्रयास करते आए हैं. वहीं हमने अब एक नया लक्ष्य बनाया है कि श्मशान में औषधि उत्पन्न करने वाले पौधा रोपण किया जाएगा. जिसकी जड़ी-बूटियों को हमारे द्वारा सरकारी औषधालय में नि:शुल्क दिया जाएगा. जिससे किसी भी गरीब का भला हो. हमारा आगे का लक्ष्य यह है कि 1 हजार पौधे हम इस शमशान में लगाएंगे.

रामगंजमंड़ी (कोटा). कुछ ऐसी ही कहानी इन सात दोस्तों की है. जिन्होंने एक ऐसी जगह को निखारा है. जहां इंसान अपने मोक्ष को प्राप्त करता है. मोड़क स्टेशन के निवासी सात दोस्तों ने मिलकर कस्बे के श्मशान को 3 साल में कुछ ऐसा बना दिया. जहां पहले व्यक्ति किसी का अंतिम संस्कार में ही जाता थे. लेकिन उस श्मशान के आज हालात इस तरह कर दिए हैं कि श्मशान अब कोई गार्डन नजर आता है. इसमें व्यक्ति बिना किसी के अंतिम संस्कार में जाए बिना भी अपना समय व्यतीत करते हैं.

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एक पंचायत में 7 दोस्तों ने शमशान को दिया गार्डन का रूप

सात दोस्तों ने मिलकर श्मशान में अपनी समिति बनाई हुई है. वहीं मुक्तिधाम समिति अध्यक्ष दीपक कुमार मीणा ने बताया कि रामगंजमंडी में अक्सर सुना है कि श्मशान के हालात इस कदर होते हैं कि कई बार मानवता शर्मशार होती नजर आई है. इसलिए हमने हमारे श्मशान को इस कदर बनाया है. पहले यह श्मशान इस कदर खराब था कि जगह-जगह उगती झाड़ियां और गंदगी से इंसान आने से घबराता था. जब कोई अंतिम संस्कार यात्रा होती थी. तभी लोग आया करते थे.

शमशान को बना दिया गार्डन

पढ़ें- कोटा में पानी का कहर, इटावा क्षेत्र में 100 से ज्यादा मकान धराशायी

लेकिन 3 साल में हम सात दोस्तों ने इस श्मशान की दुर्दशा सुधारने का लक्ष्य लिया. इसको इस प्रकार बनाने की सोच रखी कि इस श्मशान को हम ऐसा रूप दें कि सब देखते रह जाए. तभी सातों दोस्तो ने संकल्प लिया और श्मशान को सुधारने में लग गए. आज इस श्मशान को हमने इस प्रकार बना दिया कि जब कस्बे वासी किसी की शव यात्रा में आते है. तो उनको शमशान देखकर अच्छा लगता है. बुजुर्ग व्यकि हमकों आशीर्वाद देकर जाते हैं. मीणा ने बताया कि हम सातों दोस्त में कोई सरकारी तो कोई प्राइवेट जॉब करता है. इस पर हमने मीटिंग कर हप्ते का एक दिन जिंदगी का हमने श्मशान की देख-रेख और साफ-सफाई के नाम कर दी. साथ ही जरूरत की कुछ सामग्री हम सभी ने मिलकर और भामाशाहों की मदद से पूरी की है.

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हप्ते में एक दिन शमशान की सुंदरता के नाम

पढ़ें- कोटा: रीको अफसर की मिलीभगत से अराफात पेट्रोकेमिकल्स प्रबंधन पर 227 एकड़ जमीन बेचने का आरोप

श्मशान में कई तरह के पौधे और बैठक व्यवस्था के साथ ही साफ-सफाई का सम्पूर्ण ध्यान रखने की जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है. वहीं मुक्तिधाम समिति सदस्य मनीष नामा ने बताया कि हर हफ्ते हम सभी दोस्त मिलकर पूरा दिन श्मशान में साफ-सफाई, पौधा लगाने और शमशान को सुंदर बनाने के प्रयास करते आए हैं. वहीं हमने अब एक नया लक्ष्य बनाया है कि श्मशान में औषधि उत्पन्न करने वाले पौधा रोपण किया जाएगा. जिसकी जड़ी-बूटियों को हमारे द्वारा सरकारी औषधालय में नि:शुल्क दिया जाएगा. जिससे किसी भी गरीब का भला हो. हमारा आगे का लक्ष्य यह है कि 1 हजार पौधे हम इस शमशान में लगाएंगे.

Intro:रामगंजमंडी /कोटा
उपखण्ड की एक पंचायत में दोस्तो ने शमशान को दिया गार्डन का रूप,जिंदगी का हप्ते में एक दिन शमशान की सुंदरता के नाम । औषधि पौधों को लगाकर निःशुल्क दवा वितरण केंद्र पहुँचाने व श्मशान में 1 हजार पौधरोपण करने का लक्ष्य करंगे युवा पूरा। Body:रामगंजमंडी /कोटा
इंसान में अगर कुछ करने का जज्बा हाे ताे उसके सामने बड़ी से बड़ी दिक्कतें भी छाेटी पड़ जाती हैं। जब व्यक्ति लक्ष्य की ओर बढ़ता है ताे विपरीत हालाताें काे झुकना पड़ता है। एसा करने वाले व्यक्तियाें काे बाद में हर इंसान सलाम करता है।
कुछ एसी ही कहानी है इन सात दोस्तो की जिन्होंने एक ऐसी जगह को निखारा है। जहा इंसान अपने मोक्ष को प्राप्त करता है। आपको बता दे कि मोड़क स्टेशन के निवासी सात दोस्तो ने मिलकर कस्बे के शमशान को 3 साल में कुछ ऐसा बना दिया । जहां पहले व्यक्ति किसी का अंतिम संस्कार में ही जाता था। लेकिन उस शमशान के आज हालात इस तरह कर दिए है कि शमशान शमशान नही कोई गार्डन दिखता है। जिसमे व्यक्ति बिना किसी के अंतिम संस्कार में जाय बिना भी अपना समय व्यतीत करते है । सात दोस्तो ने शमशान में अपनी समिति बनाई हुई है । वही मुक्तिधाम समिति अध्यक्ष दीपक कुमार मीणा ने बताया हम रामगंजमंडी में अधिकांश सुने आये है कि शमशान के हालात इस कदर होते है कि कई बार मानवता शर्मशार होती नजर आई है जिसको हमने हमारे शमशान को इस कदर बनाया है। पहले यह शमशान इस कदर खराब था कि जगह जगह उगती झाड़ियां ,व जगह जगह गंदगी इंसान दिन में जाने से घबराता था । जब कोई अंतिम संस्कार यात्रा होती थी तब आया करते थे ले 3 साल हम सात दोस्तो ने इस शमशान की दुर्दशा सुधारने का लक्ष्य लिया और इसको इस प्रकार बनाने की सोच रखी कि इस शमशान को हम ऐसा रूप दे कि सब देखते रह जाये। तभी सातों दोस्तो ने संकल्प लिया और शमशान को सुधारने में लग गए। आज इस शमशान को हमने इस प्रकार बना दिया कि जब कस्बे वासी किसी की शव यात्रा में आते है तो उनको शमशान देखकर अच्छा लगता है । और बुजुर्ग व्यकि हमको आशीर्वाद देकर जाते है । वही अध्यक्ष मीणा ने बताया कि हम सातों दोस्त कोई सरकारी तो कोई प्राइवेट जॉब करते है तो इस पर हमने मीटिंग कर हप्ते का एक दिन जिंदगी का हमने शमशान की देखरेख व साफ सफाई के नाम कर दी और जरूरत की कुछ सामग्री हम सभी ने मिलकर व भामाशाहों की मदद से पूरी की । वही आज शमशान में कई तरह के पौधे व बैठक व्यवस्था साथ ही साफ सफाई का सम्पूर्ण ध्यान रखने की जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है। वही मुक्तिधाम समिति सदस्य मनीष नामा ने बताया कि हर हफ्ते हम सभी दोस्त मिलकर पूरा दिन शमशान में साफसफाई व पौधा लगाने व शमशान को सुंदर बनाने के प्रयास करते आए है। वही हमने अब एक नया लक्ष्य बनाया है कि शमशान में औषधि उत्पन्न करने वाले पौधा रोपण किया जाएगा जिसकी जड़ीबूटियां को हमारे द्वारा सरकारी औषधालय में निशुल्क दिया जाएगा ।जिससे किसी भी गरीब का भला हो। हमारा आगे का लक्ष्य यह है कि 1हजार पौधे हम इस शमशान में लगाएंगे।Conclusion:रामगंजमंडी /कोटा
उपखण्ड की एक पंचायत में सात दोस्तों ने शमशान को दिया गार्डन का रूप,जिंदगी का हप्ते में एक दिन शमशान की सुंदरता के नाम । औषधि पौधों को लगाकर निःशुल्क दवा वितरण केंद्र पहुँचाने व श्मशान में 1 हजार पौधरोपण करने का लक्ष्य करंगे युवा पूरा।
बाईट-मुक्तिधाम समिति अध्यक्ष दीपक कुमार मीणा
बाईट-मुक्तिधाम समिति सदस्य मनीष नामा
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