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कोटा: 4 साल पहले गुम हुई बालिका अब जाकर मिली अपने परिजनों से

कोटा के आरकेपुरम में रहने वाला एक परिवार मध्यप्रदेश के जावरा में मजदूरी करने गए थे. जहां वर्ष 2017 में पर 8 वर्षीय बालिका काजल अपने माता-पिता से बिछड़ गई, लेकिन बालिका कुछ भी बताने में असमर्थ थी. वह समझती भी नहीं थी, क्योंकि स्कूल में भी उसने पढ़ाई नहीं की थी. जिसके बाद उसके परिवार को खोजा गया और राज्य बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष संगीता बेनीवाल की मौजूदगी में उसको उसके परिजनों को सौंपा गया.

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4 साल पहले गुम हुई बालिका मिली परिजनों से
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Published : Mar 20, 2021, 3:55 PM IST

कोटा. जिले में आरकेपुरम निवासी एक बच्ची 4 साल बाद अपने परिजनों से मिली है, जो कि मध्य प्रदेश में गुम हो गई थी. इस दुर्घटना के बाद बच्चे के खो जाने के गम में उसके मां पिता की भी मौत हो गई थी. वहीं, बच्ची कभी स्कूल नहीं गई जिसकी वजह से अपने परिवार के बारे में कुछ भी नहीं बता पा रही थी. केवल उसे अपने पिता का नाम ही पता था. साथ ही वह किस एरिया में कोटा में रहती थी. यह भी नहीं बता पा रही थी.

4 साल पहले गुम हुई बालिका मिली परिजनों से

बता दें कि बच्ची को रतलाम से लाकर कोटा बाल कल्याण समिति के समक्ष 2019 में पेश किया गया. जिसके बाद उसके परिवार को खोजा गया और राज्य बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष संगीता बेनीवाल की मौजूदगी में बालिका को परिजनों के सुपुर्द किया गया है. मामले के अनुसार आरकेपुरम में रहने वाला एक परिवार मध्यप्रदेश के जावरा में मजदूरी करने गए थे. जहां वर्ष 2017 में पर 8 वर्षीय बालिका काजल अपने माता-पिता से बिछड़ गई, लेकिन बालिका कुछ भी बताने में असमर्थ थी. ऐसे में इसे दस्तयाब कर पुलिस ने बाल कल्याण समिति रतलाम के समक्ष पेश किया. इस दौरान बालिका अपने बारे में कुछ भी नहीं बता पा रही थी. वहीं, लगातार हुई उसकी काउंसलिंग के बाद उसने बताया कि वह कोटा की रहने वाली है.

पढ़ें: DEO ने ऑफिस में दी शादी की पार्टी, पत्नी के साथ किया हवन...अब वीडियो हो रहा वायरल

ऐसे में 2019 में उसे कोटा भेज दिया गया, लेकिन कोटा में भी उसकी कई बार काउंसलिंग होने के बावजूद वह कुछ नहीं बता पा रही थी. केवल बस इतना सा बता रही थी कि वह हाड़ा के पुल इलाके में रहती है, लेकिन और जानकारी उसे नहीं है. इस तरह का कोई इलाका नहीं होने के चलते कोटा में भी उसके घरवालों को ढूंढना मुश्किल हो रहा था. दूसरी तरफ बालिका कि कहीं भी गुमशुदगी रिपोर्ट उसके परिजनों ने नहीं करवाई थी, वे उसे इसी तरह से तलाश रहे थे. हालांकि कोटा बाल कल्याण समिति के निर्देश पर लगातार इसकी काउंसलिंग होती रही. ऐसे में जो नाम वह बता रही थी हाड़ा का पुल उससे मिलते जुलते नाम देखे गए.

जहां, आरके पुरम आने पर बच्ची ने इस पर सहमति जताई. इसके बाद आरकेपुरम इलाके में स्पॉट विजिट करवाई गई. जिसमें बच्ची को भी ले जाया गया. इसमें काउंसलर आरती जोशी और लवीना सेन उसे लेकर आरकेपुरम इलाके में गई. जहां पर बालिका को कुछ एरिया समझ में आया. इसके बाद मजदूरों के रहने वाली बस्तियों को देखा गया. जिनमें 150 से ज्यादा घरों में तलाश की गई. आखिर में बालिका काजल का भाई बुंदेल सिंह और उसकी पत्नी मिली.

साथ ही उसकी एक छोटी बहन भी वहीं थी. इसके बाद बाल कल्याण समिति की बैठक आयोजित हुई. इसमें अध्यक्ष कनीज फातिमा, सदस्य विमल चंद जैन, अरुण भार्गव आबिद हुसैन अब्बासी और मधु शर्मा मौजूद थे. उन्होंने बच्ची को परिजनों को सौंपने के निर्देश दिए. जिसके बाद राजस्थान बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष संगीता बेनीवाल की मौजूदगी में बच्ची परिजनों के सुपुर्द की गई है.

कोटा. जिले में आरकेपुरम निवासी एक बच्ची 4 साल बाद अपने परिजनों से मिली है, जो कि मध्य प्रदेश में गुम हो गई थी. इस दुर्घटना के बाद बच्चे के खो जाने के गम में उसके मां पिता की भी मौत हो गई थी. वहीं, बच्ची कभी स्कूल नहीं गई जिसकी वजह से अपने परिवार के बारे में कुछ भी नहीं बता पा रही थी. केवल उसे अपने पिता का नाम ही पता था. साथ ही वह किस एरिया में कोटा में रहती थी. यह भी नहीं बता पा रही थी.

4 साल पहले गुम हुई बालिका मिली परिजनों से

बता दें कि बच्ची को रतलाम से लाकर कोटा बाल कल्याण समिति के समक्ष 2019 में पेश किया गया. जिसके बाद उसके परिवार को खोजा गया और राज्य बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष संगीता बेनीवाल की मौजूदगी में बालिका को परिजनों के सुपुर्द किया गया है. मामले के अनुसार आरकेपुरम में रहने वाला एक परिवार मध्यप्रदेश के जावरा में मजदूरी करने गए थे. जहां वर्ष 2017 में पर 8 वर्षीय बालिका काजल अपने माता-पिता से बिछड़ गई, लेकिन बालिका कुछ भी बताने में असमर्थ थी. ऐसे में इसे दस्तयाब कर पुलिस ने बाल कल्याण समिति रतलाम के समक्ष पेश किया. इस दौरान बालिका अपने बारे में कुछ भी नहीं बता पा रही थी. वहीं, लगातार हुई उसकी काउंसलिंग के बाद उसने बताया कि वह कोटा की रहने वाली है.

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ऐसे में 2019 में उसे कोटा भेज दिया गया, लेकिन कोटा में भी उसकी कई बार काउंसलिंग होने के बावजूद वह कुछ नहीं बता पा रही थी. केवल बस इतना सा बता रही थी कि वह हाड़ा के पुल इलाके में रहती है, लेकिन और जानकारी उसे नहीं है. इस तरह का कोई इलाका नहीं होने के चलते कोटा में भी उसके घरवालों को ढूंढना मुश्किल हो रहा था. दूसरी तरफ बालिका कि कहीं भी गुमशुदगी रिपोर्ट उसके परिजनों ने नहीं करवाई थी, वे उसे इसी तरह से तलाश रहे थे. हालांकि कोटा बाल कल्याण समिति के निर्देश पर लगातार इसकी काउंसलिंग होती रही. ऐसे में जो नाम वह बता रही थी हाड़ा का पुल उससे मिलते जुलते नाम देखे गए.

जहां, आरके पुरम आने पर बच्ची ने इस पर सहमति जताई. इसके बाद आरकेपुरम इलाके में स्पॉट विजिट करवाई गई. जिसमें बच्ची को भी ले जाया गया. इसमें काउंसलर आरती जोशी और लवीना सेन उसे लेकर आरकेपुरम इलाके में गई. जहां पर बालिका को कुछ एरिया समझ में आया. इसके बाद मजदूरों के रहने वाली बस्तियों को देखा गया. जिनमें 150 से ज्यादा घरों में तलाश की गई. आखिर में बालिका काजल का भाई बुंदेल सिंह और उसकी पत्नी मिली.

साथ ही उसकी एक छोटी बहन भी वहीं थी. इसके बाद बाल कल्याण समिति की बैठक आयोजित हुई. इसमें अध्यक्ष कनीज फातिमा, सदस्य विमल चंद जैन, अरुण भार्गव आबिद हुसैन अब्बासी और मधु शर्मा मौजूद थे. उन्होंने बच्ची को परिजनों को सौंपने के निर्देश दिए. जिसके बाद राजस्थान बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष संगीता बेनीवाल की मौजूदगी में बच्ची परिजनों के सुपुर्द की गई है.

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