करौली. आदिवासी युवा संगठन के पदाधिकारियों ने बुधवार को विश्व आदिवासी दिवस पर राजकीय अवकाश घोषित करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है. साथ ही ज्ञापन के माध्यम से जल्द से जल्द मांगों को पूरा करने की मांग भी की है.
पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष राजेन्द्र मनेमा ने बताया कि सभी आदिवासी संगठन द्वारा विगत वर्षों से 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के उपलक्ष्य मे राजकीय अवकाश घोषित कराने की मांग की जा रही है. गत वर्ष भी आदिवासी संगठनों के द्वारा पूरे प्रदेश स्तर पर इस मांग को उठाया गया था, लेकिन सरकार ने राजकीय अवकाश घोषित ना करके मात्र ऐच्छिक अवकाश घोषित किया गया, जो कि नाइंसाफी है. इस वर्ष भी पूरे प्रदेश में उपखंड स्तर पर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर इस मांग को दोहराया गया है.
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साथ ही सरकार से आदिवासियों को संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों के बारे में सरकारी तंत्र को संवेदनशील बनाने, संविधान की 5वीं अनुसूची को प्रभावी रूप से लागू करने, वन अधिकार अधिनियम एफआरए को प्रभावी रूप से पूरे प्रदेश में लागू करने, पेसा एक्ट 1996 को शक्ति से लागू करने सहित ग्राम सभा को मजबूत करने, करौली जिले में लौह खनन को रोकने और रणथंभौर, कैला देवी, सरिस्का अभ्यारण से होने वाले विस्थापन को शीघ्र रोकने, आदिवासी विधार्थियों की छात्रवृत्तियों को समय पर मिलने के लिए सुनिश्चित करने, राजस्थान की जनजातिय मंत्रालय के अधीन जनजातीय छात्रावास शिक्षण संस्थानों में स्थाई कर्मचारियों की नियुक्तिया करने, टीएसपी क्षेत्र में आबादी के अनुपात में आरक्षण लागू करने और पूर्वी राजस्थान के कई आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र को टीएसपी एरिया घोषित करने, जोधपुर संभाग को टाडा और माडा उप योजना की तर्ज पर रेगिस्तान जनजाति विशेष क्षेत्र डीटीएसए लागू कर आदिवासियों की समस्या समाधान करने की मांग की गई है.
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युवाओं ने सरकार को चेतावनी देते बताया कि अगर सरकार आदिवासियों के हित में फैसला ना लेकर उनके साथ खिलवाड़ करती है, तो आने वाले समय में इसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ सकता है.